वाराणसी : सर्व विद्या की राजधानी कहे जाने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय के महिला विद्यालय में 28 अप्रैल को कुलपति समेत तमाम प्रशासनिक अधिकारी रोजा इफ्तार में शामिल हुए जिसका छात्र विरोध कर रहे हैं. छात्रों का कहना है कि ऑफिशियल रूप से विश्वविद्यालय में इस तरह की परंपरा नहीं शुरू करनी चाहिए. छात्रों का कहना है कि कुलपति जल्द से जल्द उनसे माफी मांगें.
विश्वविद्यालय में 29 अप्रैल से लगातार छात्र विरोध कर रहे हैं. छात्रों ने गंगाजल से विश्वविद्यालय के कुलपति के आवास का शुद्धिकरण किया. वहीं, मुंडन करके विरोध दर्ज कराया. हनुमान चालीसा पढ़ी और ध्वजा स्थापना कर अपना विरोध जारी रखा. छात्रों ने 3 मई यानी मंगलवार को कुलपति समेत सभी प्रशासनिक अधिकारियों के सद्बुद्धि के लिए भगवान परशुराम का विधि विधान से मंत्रोचार के साथ पूजन पाठ किया. एक बार फिर कुलपति का पुतला फूंका. इसे लेकर छात्रों और प्रॉक्टोरियल बोर्ड के कर्मचारियों में जमकर नोकझोंक हुई.
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कुलपति कोविड-19 का आडियो वायरल : दरअसल, छात्रों ने परशुराम जयंती पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया. इसमें कुलपति को मुख्य अतिथि के रुप में आमंत्रण किया. कुलपति इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए. छात्रों ने इस बाबत जब उनके पर्सनल पीए से बात की तो उन्होंने बताया कि वह कोरोना संक्रमित हैं. यह ऑडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. छात्र इसी बात को लेकर एक बार फिर भड़क गए. कहा कि हमारे कार्यक्रम में आने के लिए कुलपति के पास समय नहीं है, वह बहाना कर रहे हैं.
इस बात पर भड़के छात्र : छात्र नेता अधोक्षक पांडेय ने बताया कि कुलपति रोजा इफ्तार में जाने के लिए तैयार हैं लेकिन परशुराम जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया तो बहाना बना लिया कि वह कोरोना संक्रमित हैं. छात्र नेता ने बताया कि कुलपति जल्द से जल्द स्वस्थ हों, विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी स्वस्थ हों, इसलिए आज हम लोगों ने भगवान परशुराम से उनके जयंती के लिए प्रार्थना की और कुलपति ने हमसे बहाना किया. इसलिए आक्रोश में हम लोगों ने उनका पुतला भी फूंका. यह कार्यक्रम तब तक जारी रहेगा, जब तक वह माफी नहीं मांगेंगे.
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