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भाई बहन के प्रेम का पर्व भाई दूज आज, नोट करें तिलक का सही समय - भाई बहन के प्रेम का पर्व भाई दूज

भाई बहन के प्रेम का पर्व भाई दूज आज (Bhai Dooj Auspicious Time) मनाया जा रहा है. ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि इस बार द्वितीया तिथि 14 नवम्बर, मंगलवार को दिन में 2 बजकर 37 मिनट से 15 नवम्बर, बुधवार को दिन में 1 बजकर 48 मिनट तक रहेगी.

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Etv Bharat भाई बहन के प्रेम का पर्व भाई दूज bhai dooj auspicious time
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 15, 2023, 9:23 AM IST

वाराणसी: दीपावली के त्यौहार के पांच दिवसीय पर्व के अंतिम दिन भाई दूज (Bhai Dooj Auspicious Time) का त्यौहार मनाया जाता है. आज अन्नकूट का पर्व पूर्ण होने के बाद अब चल भाई दूज का त्यौहार मनाया जाएगा. बहने अपने भाइयों को तिलक लगाएंगी और भाई बहनों के घर भोजन ग्रहण करने जाएंगे. इसके पीछे यह और यमुना के भाई-बहन के रिश्ते से जुड़ी कथा प्रचलित है, जिसके कारण यह त्यौहार मनाया जाता है.

ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि दीपोत्सव का पंचम व अन्तिम पर्व भैया दूज के रूप में मनाया जाता है. भाई-बहन के स्नेह का पर्व भैया, यमद्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन बहन के घर भाई को जाकर भोजन करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है. कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को यम का पूजन किया जाता है, जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं. 15 नवम्बर बुधवार को यह पर्व मनाया जायेगा.

विमल जैन ने बताया कि इस बार द्वितीया तिथि 14 नवम्बर, मंगलवार को दिन में 2 बजकर 37 मिनट से 15 नवम्बर, बुधवार को दिन में 1 बजकर 48 मिनट तक रहेगी. भैया दूज के दिन भाई बहन के घर जाकर उसके हाथ से बना भोजन ग्रहण करता है. आज बहनें रीति-रिवाज के मुताबिक अपने भाइयों को टीका लगाकर उनके दीर्घायु व शुभ मंगल की कामना करती हैं. उसे भगवती लक्ष्मी की कृपा से सुख-समृद्धि खुशहाली प्राप्त होती है. भाई बहन एक दूसरे को उपहार प्रदान करते हैं. कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान् चित्रगुप्त जी की जयन्ती मनाने को मान्यता है. इस दिन कलम दवात की भी पूजा-अर्चना की जाती है.

ऐसे लगाएं तिलक: भाई दूज के दिन बहनें भाई को तिलक लगाती हैं. तिलक लगाते समय भाई का मुख उत्तर या उत्तर पश्चिम दिशा में होना चाहिए. इस दिन रोली की जगह अष्टगंध या केसर से भाई को तिलक करना चाहिए. बहनों को शाम को दक्षिण मुखी दीप जलाना चाहिए. इसे भाई के लिए शुभ माना जाता है. इस दिन कमल की पूजा और नदी स्नान विशेष रूप से यमुना स्नान का भी विधान है.
ये भी पढ़ें- कभी अमिताभ बच्चन, मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी थे सहाराश्री, देखिए जीवन से जुड़ी खास फोटो

वाराणसी: दीपावली के त्यौहार के पांच दिवसीय पर्व के अंतिम दिन भाई दूज (Bhai Dooj Auspicious Time) का त्यौहार मनाया जाता है. आज अन्नकूट का पर्व पूर्ण होने के बाद अब चल भाई दूज का त्यौहार मनाया जाएगा. बहने अपने भाइयों को तिलक लगाएंगी और भाई बहनों के घर भोजन ग्रहण करने जाएंगे. इसके पीछे यह और यमुना के भाई-बहन के रिश्ते से जुड़ी कथा प्रचलित है, जिसके कारण यह त्यौहार मनाया जाता है.

ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि दीपोत्सव का पंचम व अन्तिम पर्व भैया दूज के रूप में मनाया जाता है. भाई-बहन के स्नेह का पर्व भैया, यमद्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन बहन के घर भाई को जाकर भोजन करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है. कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को यम का पूजन किया जाता है, जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं. 15 नवम्बर बुधवार को यह पर्व मनाया जायेगा.

विमल जैन ने बताया कि इस बार द्वितीया तिथि 14 नवम्बर, मंगलवार को दिन में 2 बजकर 37 मिनट से 15 नवम्बर, बुधवार को दिन में 1 बजकर 48 मिनट तक रहेगी. भैया दूज के दिन भाई बहन के घर जाकर उसके हाथ से बना भोजन ग्रहण करता है. आज बहनें रीति-रिवाज के मुताबिक अपने भाइयों को टीका लगाकर उनके दीर्घायु व शुभ मंगल की कामना करती हैं. उसे भगवती लक्ष्मी की कृपा से सुख-समृद्धि खुशहाली प्राप्त होती है. भाई बहन एक दूसरे को उपहार प्रदान करते हैं. कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान् चित्रगुप्त जी की जयन्ती मनाने को मान्यता है. इस दिन कलम दवात की भी पूजा-अर्चना की जाती है.

ऐसे लगाएं तिलक: भाई दूज के दिन बहनें भाई को तिलक लगाती हैं. तिलक लगाते समय भाई का मुख उत्तर या उत्तर पश्चिम दिशा में होना चाहिए. इस दिन रोली की जगह अष्टगंध या केसर से भाई को तिलक करना चाहिए. बहनों को शाम को दक्षिण मुखी दीप जलाना चाहिए. इसे भाई के लिए शुभ माना जाता है. इस दिन कमल की पूजा और नदी स्नान विशेष रूप से यमुना स्नान का भी विधान है.
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