वाराणसी: बनारस की खूबसूरती के लिए राज्य और केंद्र सरकार के साथ अधिकारी कदम से कदम मिलाकर काम कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र को बेहद सुंदर दिखाने के लिए बहुत से प्लान पूरे हो चुके हैं और बहुत से अभी संचालित होने बाकी हैं. इसके अलावा अप्रैल माह से शहर में G-20 सम्मेलन की शुरुआत होने जा रही है और शंघाई देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले देशों के प्रतिनिधि बनारस में डेरा डाले हुए हैं. इन सबके बीच शहर आ रहे लोगों के साथ ही विशेष मेहमानों को किसी तरह की कोई परेशानी न हो और बनारस की बेहतर तस्वीर दिखाई दे. इसके लिए शहर के भिखारियों को बाहर करने की तैयारी हो गई है. इन भिखारियों को लेकर जो बातें सामने आई है वह चौंकाने वाली है. बनारस में पर्यटकों की बढ़ती संख्या से साथ ही शहर में 16 गुना ज्यादा भिखारियों की संख्या भी बढ़ी है. अब अधिकारियों ने भिखारियों को शहर से बाहर करने की कवायद शुरू कर दी है.
दरअसल भिक्षावृत्ति मुक्त काशी अभियान के लिए पुलिस विभाग, नगर निगम व अन्य सभी सम्बन्धित विभागों एवं एनजीओ के साथ मिलकर यह प्लान तैयार किया गया है. वाराणसी में पर्यटकों के आने की वजह से कार्यों के गंगा घाट मंदिरों के बाहर रहने का मामला कोई नया नहीं है. यह काफी बरसों से बनारस के अलग-अलग इलाकों में मिलते रहे हैं. लेकिन काशी विश्वनाथ धाम के बनने के बाद पर्यटकों की बढ़ती संख्या से अधिक तादाद में भिखारियों की संख्या बढ़ी है.
गंगा घाट क्षेत्र में बढ़ी भिखारियों की संख्याः कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने बताया कि यह बहुत आश्चर्य की बात है कि बाहर से आने वाले पर्यटकों को हर जगह परेशान करने भीखारी पहुंच रहे हैं. जो गंगा घाट पहले इन भिखारियों से मुक्त था. आज उस इलाके में भिखारियों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. जिसकी शिकायत पर्यटन विभाग समेत कई विभागों में यहां आने वाले पर्यटकों के द्वारा भी गई है.
काशी को भिक्षावृत्ति मुक्त कराने का निर्देशः कमिश्नर ने बताया कि इन भिक्षुओं की कांउसलिंग व भिक्षा न देने हेतु प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिये गए हैं. इसके पश्चात रेसक्यू की कार्रवाई की टीम गठित की जाएगी. रेसक्यू के बाद विभिन्न प्रकार के भिक्षुओं को विभिन्न सेल्टर होम, बालगृहों एवं अपना घर आश्रम इत्यादि में रखा जायेगा. वाराणसी नगर निगम और वाराणसी पुलिस विभाग अपने पब्लिक ऐडेसिंग सिस्टम, पोस्टर, बैनर, पम्पलेट आदि के माध्यम से जन जागरूकता एवं प्रचार-प्रसार करेंगे. इस अभियान के दौरान भिक्षावृत्ति निषेध अधिनियम एवं मानवाधिकारों आदि का अनुपालन कराया जायेगा. इसके साथ ही अगले 15 दिनों में काशी को भिक्षावृत्ति मुक्त कराने का निर्देश दिया गया है.
एनजीओ अपना घर एवं रोटी बैंक से सहयोग की अपीलः कमिश्नर ने बताया कि इस अभियान में जुड़े एनजीओ अपना घर एवं रोटी बैंक से इस मुहिम में सहयोग की अपील की गई है. रोटी बैंक द्वारा बताया गया कि उनके द्वारा पिछले सात सालों से भिक्षावृत्ति, ठेला, रिक्शा चालक, मानसिक विकृत और लावारिस लोगों के बीच भोजन पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है. इसलिए उनके द्वारा प्रतिदिन रूबरू होने की वजह से भिखारियों को पहचानना एवं चिह्नित करना आसान होगा. वहीं अपना घर एनजीओ की मदद से इन्हें विस्थापित करने और इन्हें खाने-पीने की सुविधा देने के लिए मदद ली जाएगी. इसके बाद इनकी काउंसलिंग करते हुए इन्हें जरूरत के हिसाब से रोजगार, बच्चों को पढ़ाई उपलब्ध करवाने के साथ ही जो जिस देश या राज्य का होगा. उसे वहां वापस भेजने की कवायद की जाएगी.
पर्यटकों के साथ बढ़ी भिक्षावृत्ति वालों की संख्याः कमिश्नर ने बताया कि जिस तरह से दूसरे राज्यों से यहां पर पर्यटकों का आना हो रहा है. वैसे ही भिक्षावृत्ति के लिए भी बड़ी संख्या में बाहर से लोगों के आने का सिलसिला शुरू हुआ है. इसलिए इन्हें काउंसलिंग के जरिए इनके घरों में वापस भेजने की तैयारी की जा रही है. जिससे बनारस को भिक्षावृत्ति से मुक्त किया जा सके.
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