वाराणसीः उत्तर प्रदेश की राज्य स्तरीय संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा रविवार को दो पालियों में संपन्न हो गई. परीक्षा के लिए वाराणसी जिले में 109 केंद्र बनाए गए थे, जहां 3917 अभ्यार्थियों ने अपनी किस्मत आजमाई. परीक्षा की शुचिता बनाए रखने के लिए प्रशासन सतर्क दिखा और इस दौरान एसटीएफ और एलआईयू की भी नजर परीक्षा केंद्रों पर रही. हालांकि, परीक्षा केंद्रों पर कोरोना से बचाव के लिए व्यवस्था लचर दिखी.
जनपद में काशी विद्यापीठ नोडल केंद्र में 64 और बीएचयू नोडल केंद्र में 45 केंद्र शामिल थे. परीक्षा में माइनस मार्किंग भी रही. इसके साथ ही परीक्षा को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए 218 पर्यवेक्षक भी नियुक्त किए गए थे.
कोरोना के तहत बनाए गए नियमों का नहीं हुआ पालन
कोविड-19 के तहत परीक्षा के एक दिन पहले ही केंद्रों को सैनिटाइज करवाया गया था. शासन के द्वारा यह कहा गया था कि परीक्षार्थी परीक्षा शुरू होने के एक घंटे पहले ही केंद्र पर पहुंच जाएं, ताकि उनको सैनिटाइज और थर्मल स्कैनिंग किया जा सके. परन्तु परीक्षा केंद्रों की हकीकत अलग ही रही. सभी परीक्षार्थियों ने जोखिम के साथ बीएड की संयुक्त परीक्षा दी.
थर्मल स्कैनिंग की नहीं थी व्यवस्था
हैरान करने वाली बात यह है कि तमाम सेंटर के साथ जिले के श्री हरिश्चंद्र बालिका इंटर कॉलेज में भी सभी मानकों को दरकिनार कर परीक्षा संचालित कराई गई. न थर्मल स्कैनिंग की कोई व्यवस्था थी और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का कोई ध्यान रखा गया. ये हाल वाराणसी के लगभग सभी सेंटरों का था, जहां परीक्षार्थियों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया गया.
परीक्षार्थियों के सेहत के साथ खिलवाड़
अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि आगामी आने वाले दिनों में तमाम केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालय संग अनेक प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाएं सरकार और शासन संपन्न कराने की सोच रही है, तो ऐसे व्यवस्थाओं के साथ परीक्षार्थियों के सेहत के साथ खिलवाड़ किया जाना कहां तक उचित है?.