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वाराणसी: कोरोना के डर और चुनौती के साथ सेवा में तत्पर हैं बैंक कर्मी

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Published : Aug 19, 2020, 10:37 PM IST

देश के तमाम हिस्सों के साथ-साथ वाराणसी में भी बैंक कर्मियों के संक्रमित होने के केस बढ़ते जा रहे हैं. इससे बैंक कर्मियों को भी अब कोरोना का डर सता रहा है. कोविड-19 के दौर में बैंक कर्मियों के क्या हाल हैं और किस तरीके से वे जंग लड़ रहे हैं. ये जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने बैंक कर्मियों से बातचीत की. देखें ये रिपोर्ट...

कोरोना के डर के बीच लोगों के लिए काम कर रहे हैं बैंककर्मी
कोरोना के डर के बीच लोगों के लिए काम कर रहे हैं बैंककर्मी

वाराणसी: कोविड-19 के दौर में आमजन के लिए तत्परता से खड़े रहने वाले बैंक कर्मी अब कोरोना से जंग में खुद को बेबस महसूस कर रहे हैं. जब पूरे भारत में संपूर्ण लॉकडाउन था उस समय भी बैंककर्मी आमजन की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए मैदान में डटे हुए थे और अभी भी डटे हुए हैं. इसके पीछे का मकसद गरीब और असहाय लोगों तक सरकार की योजनाओं के लाभ को पहुंचाया जाना है. देश के तमाम हिस्सों के साथ-साथ जिले में भी बैंक कर्मियों के संक्रमित होने के केस बढ़ते जा रहे हैं. हालांकि जिले में अब तक संक्रमण से किसी भी बैंक कर्मी की मौत नहीं हुई है, लेकिन संक्रमण की बढ़ती संख्या के कारण सभी में भय बना हुआ है.

बैंक कर्मियों को संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा
काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक के मैनेजर मुकेश सिंह ने बताया कि कोविड-19 महामारी ने बैंक कर्मियों के हौसले को अब तोड़ना शुरू कर दिया है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौर में हम आम जन की सुविधाओं के लिए डटे रहे, लेकिन अब धीरे-धीरे हमारा हौसला कमजोर पड़ रहा है, क्योंकि लगातार संक्रमण के केस बढ़ते जा रहे हैं और अभी तक इसकी कोई वैक्सीन भी मार्केट में नहीं आई है. मैनेजर मुकेश सिंह का कहना है कि हम लोगों के साथ डायरेक्ट कनेक्ट रहे, इसलिए हमें संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा है. उन्होंने बताया कि हमारे मन में डर और भी बढ़ गया है, लेकिन यह हमारी ड्यूटी है. हम आमजन के लिए समर्पित हैं, इसलिए हमें अपनी जिम्मेदारी निभानी है.

कोरोना के डर के बीच लोगों के लिए काम कर रहे हैं बैंककर्मी

परिवार तक न पहुंच जाए संक्रमण
काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक में काम करने वाली ऑफिस असिस्टेंट श्रुति कुमारी ने बताया कि महिला होने के नाते उन्हें और भी परेशानी हो रही है, क्योंकि घर में बच्चे और परिवार है. ऑफिस वर्क करने के अलावा परिवार के लिए भी खाना बनाने से लेकर अन्य काम करना होता है. जिसमें परिवार से न चाहते हुए भी जुड़ना पड़ता है, इसलिए डर लगता है कि कहीं उनकी वजह से परिवार तक ये संक्रमण न पहुंच जाए.

लोगों को नहीं है संक्रमण की चिंता
डेली वेज पर काम करने वाले ऑफिस बॉय रजत कुमार जायसवाल ने बताया कि वह यहां लोगों की थर्मल स्कैनिंग, सैनिटाइजेशन का काम करता है. उसे भी लोगों के साथ काम करने में डर लगता है, लेकिन अगर वह काम नहीं करेगा तो उसका गुजारा कैसे होगा. उसने बताया कि लोग खुद भी अवेयर नहीं है. उनको चिंता ही नहीं है कि वे संक्रमित हो जाएंगे. जिसकी वजह से वह गाइडलाइन का उल्लंघन कर जबरदस्ती बैंक में आते हैं. उनको समझाया जाता है, लेकिन फिर भी वह समझते नहीं हैं.

डर और चुनौती दोनों का कर रहे सामना
बैंक ऑफ बड़ौदा के मिनी ब्रांच के मैनेजर विनय प्रकाश यादव ने बताया कि कहने को यह मिनी ब्रांच है, लेकिन लॉकडाउन के दौर में यहां सबसे ज्यादा लोग आए थे और अभी भी आ रहे हैं, क्योंकि सरकार द्वारा दी गई योजनाओं से पैसे निकालने के लिए यहां लोग ज्यादा मात्रा में एकत्रित हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि हम लोगों को समझा रहे हैं, बता रहे हैं, लेकिन फिर भी लोग बातों को मानने और समझने को तैयार नहीं है. विनय प्रकाश यादव ने बताया कि इस वजह से हमारे सामने डर और चुनौती दोनों हैं. हमें अपने परिवार और अपनों से दूर रहना पड़ रहा है. हम चाहकर भी उनसे वह अपनापन नहीं दिखा पा रहे हैं, क्योंकि हमें नहीं पता कि हम रोजाना कितने लोगों से मिलते हैं और उन लोगों में कौन संक्रमित है कौन नहीं.

वाराणसी: कोविड-19 के दौर में आमजन के लिए तत्परता से खड़े रहने वाले बैंक कर्मी अब कोरोना से जंग में खुद को बेबस महसूस कर रहे हैं. जब पूरे भारत में संपूर्ण लॉकडाउन था उस समय भी बैंककर्मी आमजन की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए मैदान में डटे हुए थे और अभी भी डटे हुए हैं. इसके पीछे का मकसद गरीब और असहाय लोगों तक सरकार की योजनाओं के लाभ को पहुंचाया जाना है. देश के तमाम हिस्सों के साथ-साथ जिले में भी बैंक कर्मियों के संक्रमित होने के केस बढ़ते जा रहे हैं. हालांकि जिले में अब तक संक्रमण से किसी भी बैंक कर्मी की मौत नहीं हुई है, लेकिन संक्रमण की बढ़ती संख्या के कारण सभी में भय बना हुआ है.

बैंक कर्मियों को संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा
काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक के मैनेजर मुकेश सिंह ने बताया कि कोविड-19 महामारी ने बैंक कर्मियों के हौसले को अब तोड़ना शुरू कर दिया है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौर में हम आम जन की सुविधाओं के लिए डटे रहे, लेकिन अब धीरे-धीरे हमारा हौसला कमजोर पड़ रहा है, क्योंकि लगातार संक्रमण के केस बढ़ते जा रहे हैं और अभी तक इसकी कोई वैक्सीन भी मार्केट में नहीं आई है. मैनेजर मुकेश सिंह का कहना है कि हम लोगों के साथ डायरेक्ट कनेक्ट रहे, इसलिए हमें संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा है. उन्होंने बताया कि हमारे मन में डर और भी बढ़ गया है, लेकिन यह हमारी ड्यूटी है. हम आमजन के लिए समर्पित हैं, इसलिए हमें अपनी जिम्मेदारी निभानी है.

कोरोना के डर के बीच लोगों के लिए काम कर रहे हैं बैंककर्मी

परिवार तक न पहुंच जाए संक्रमण
काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक में काम करने वाली ऑफिस असिस्टेंट श्रुति कुमारी ने बताया कि महिला होने के नाते उन्हें और भी परेशानी हो रही है, क्योंकि घर में बच्चे और परिवार है. ऑफिस वर्क करने के अलावा परिवार के लिए भी खाना बनाने से लेकर अन्य काम करना होता है. जिसमें परिवार से न चाहते हुए भी जुड़ना पड़ता है, इसलिए डर लगता है कि कहीं उनकी वजह से परिवार तक ये संक्रमण न पहुंच जाए.

लोगों को नहीं है संक्रमण की चिंता
डेली वेज पर काम करने वाले ऑफिस बॉय रजत कुमार जायसवाल ने बताया कि वह यहां लोगों की थर्मल स्कैनिंग, सैनिटाइजेशन का काम करता है. उसे भी लोगों के साथ काम करने में डर लगता है, लेकिन अगर वह काम नहीं करेगा तो उसका गुजारा कैसे होगा. उसने बताया कि लोग खुद भी अवेयर नहीं है. उनको चिंता ही नहीं है कि वे संक्रमित हो जाएंगे. जिसकी वजह से वह गाइडलाइन का उल्लंघन कर जबरदस्ती बैंक में आते हैं. उनको समझाया जाता है, लेकिन फिर भी वह समझते नहीं हैं.

डर और चुनौती दोनों का कर रहे सामना
बैंक ऑफ बड़ौदा के मिनी ब्रांच के मैनेजर विनय प्रकाश यादव ने बताया कि कहने को यह मिनी ब्रांच है, लेकिन लॉकडाउन के दौर में यहां सबसे ज्यादा लोग आए थे और अभी भी आ रहे हैं, क्योंकि सरकार द्वारा दी गई योजनाओं से पैसे निकालने के लिए यहां लोग ज्यादा मात्रा में एकत्रित हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि हम लोगों को समझा रहे हैं, बता रहे हैं, लेकिन फिर भी लोग बातों को मानने और समझने को तैयार नहीं है. विनय प्रकाश यादव ने बताया कि इस वजह से हमारे सामने डर और चुनौती दोनों हैं. हमें अपने परिवार और अपनों से दूर रहना पड़ रहा है. हम चाहकर भी उनसे वह अपनापन नहीं दिखा पा रहे हैं, क्योंकि हमें नहीं पता कि हम रोजाना कितने लोगों से मिलते हैं और उन लोगों में कौन संक्रमित है कौन नहीं.

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