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बनारस के 23,000 स्ट्रीट वेंडर्स ने किया 2.43 करोड़ का डिजिटल लेनदेन, 12 लाख का मिला कैशबैक

बनारस के स्ट्रीट वेंडर्स ने करोड़ो का डिजिटल लेनदेन किया है. करोड़ों के लेनदेन के बाद बनारस के स्ट्रीट वेंडर्स को 12 लाख रुपए का कैशबैक भी मिला है.

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वाराणसी
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Published : Sep 10, 2022, 10:39 PM IST

वाराणसी: जिन्हें कभी अतिक्रमणकारी कहकर इधर-उधर खदेड़ दिया जाता था, उन ठेला-पटरी वालों ने व्यापार के मुख्य धारा के साथ कदम मिलकार चलना सीख लिया है. योगी सरकार ने ठेला-पटरी वालों को उचित माहौल क्या दिया, वाराणसी के ठेला-पटरी व्यवसाइयों ने डिजिटल लेन देन(digital transaction) में रिकॉर्ड कायम कर दिखाया है. प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया का सपना यूपी की योगी सरकार में तेजी से साकार हो रहा है. बनारस के स्ट्रीट वेंडर्स डिजिटल ट्रांजेक्शन करने में प्रदेश में सबसे आगे निकल चुके हैं. यही नहीं करोड़ों में डिजिटल ट्रांजेक्शन करने का फायदा इन्हें कैश बैक के रुप में भी मिल रहा है. यही वजह है कि इन 18 महीनों के अंदर करोड़ों के लेनदेन के बाद बनारस के स्ट्रीट वेंडर्स को 12 लाख रुपए का कैशबैक भी मिला है.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्ट्रीट वेंडर्स को ऐसा माहौल दे रहे हैं, जिससे उनके व्यापर को नया आयाम मिल रहा है. पहले की सरकारों में पुलिस और नगर निगम रेहड़ी पटरी व्यवसाइयों को तंग करते थे. जिससे उनको अपनी आजीविका चलाने में परेशानी होती थी. योगी सरकार ने इनको स्थायित्व दिया, उन्हें वेंडिंग जोन के रूप में उनके व्यापार के लिए चिह्नित जगह उपलब्ध करायी गयी. साथ ही बड़े पैमाने पर स्ट्रीट वेंडर्स को फिनटेक कंपनियों के साथ पंजीकृत कराया गया. यही नहीं बड़े पैमाने पर ठेला पटरी व्यवसाइयों को पीएम स्वनिधि योजना से भी जोड़ा गया, जिसके लिए हाल ही में वाराणसी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सम्मानित भी किया है.

रेहड़ी पटरी व्यवसायियों को उचित माहौल मिला तो उन्होंने रिकॉर्ड कायम कर दिया है. डूडा की परियोजना अधिकारी निधी बाजपेयी ने बताया कि डिजिटल ट्रांसजेक्शन में वाराणसी स्थान पूरे यूपी में सबसे ऊपर है. यहां 23 हजार रेहड़ी पटरी व्यवसाइयों ने महज़ 18 महीने में 2.43 करोड़ का व्यापार डिजिटल लेनदेन कर दिखाया. बता दें कि प्रधानमंत्री स्वनिधी योजना में डिजिटल भुगतान और सुशासन के लिए वाराणसी के जिलाधिकारी को खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पुरस्कृत कर चुके हैं.


यह भी पढे़ं:रेहड़ी, पटरी वाले अब 10 हजार रुपये तक की कर्ज योजना का लाभ उठा सकते हैं



डिजिटल लेनदेन करने पर स्ट्रीट वेंडरों को कैशबैक की सुविधा मिलती है, जो स्ट्रीट वेंडर महीने में कम से कम 200 ट्रांजैक्शन करता है उसे प्रति महीने 100 रुपए कैशबैक मिलता है. यह एक साल में 1200 रुपए हो जाता है. डिजिटल लेनदेन करने से रेहड़ी पटरी व्यवसाइयों को बैंक से लोन लेने में भी मदद मिलती है. साथ ही कैशबैक के रूप में उनको अच्छी कमाई भी होती है.

यह भी पढे़ं:वाराणसी में 2021 में साइबर क्राइम के मामलों में 21 लाख रुपये से भी ज्यादा के रकम की हुई रिकवरी

वाराणसी: जिन्हें कभी अतिक्रमणकारी कहकर इधर-उधर खदेड़ दिया जाता था, उन ठेला-पटरी वालों ने व्यापार के मुख्य धारा के साथ कदम मिलकार चलना सीख लिया है. योगी सरकार ने ठेला-पटरी वालों को उचित माहौल क्या दिया, वाराणसी के ठेला-पटरी व्यवसाइयों ने डिजिटल लेन देन(digital transaction) में रिकॉर्ड कायम कर दिखाया है. प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया का सपना यूपी की योगी सरकार में तेजी से साकार हो रहा है. बनारस के स्ट्रीट वेंडर्स डिजिटल ट्रांजेक्शन करने में प्रदेश में सबसे आगे निकल चुके हैं. यही नहीं करोड़ों में डिजिटल ट्रांजेक्शन करने का फायदा इन्हें कैश बैक के रुप में भी मिल रहा है. यही वजह है कि इन 18 महीनों के अंदर करोड़ों के लेनदेन के बाद बनारस के स्ट्रीट वेंडर्स को 12 लाख रुपए का कैशबैक भी मिला है.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्ट्रीट वेंडर्स को ऐसा माहौल दे रहे हैं, जिससे उनके व्यापर को नया आयाम मिल रहा है. पहले की सरकारों में पुलिस और नगर निगम रेहड़ी पटरी व्यवसाइयों को तंग करते थे. जिससे उनको अपनी आजीविका चलाने में परेशानी होती थी. योगी सरकार ने इनको स्थायित्व दिया, उन्हें वेंडिंग जोन के रूप में उनके व्यापार के लिए चिह्नित जगह उपलब्ध करायी गयी. साथ ही बड़े पैमाने पर स्ट्रीट वेंडर्स को फिनटेक कंपनियों के साथ पंजीकृत कराया गया. यही नहीं बड़े पैमाने पर ठेला पटरी व्यवसाइयों को पीएम स्वनिधि योजना से भी जोड़ा गया, जिसके लिए हाल ही में वाराणसी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सम्मानित भी किया है.

रेहड़ी पटरी व्यवसायियों को उचित माहौल मिला तो उन्होंने रिकॉर्ड कायम कर दिया है. डूडा की परियोजना अधिकारी निधी बाजपेयी ने बताया कि डिजिटल ट्रांसजेक्शन में वाराणसी स्थान पूरे यूपी में सबसे ऊपर है. यहां 23 हजार रेहड़ी पटरी व्यवसाइयों ने महज़ 18 महीने में 2.43 करोड़ का व्यापार डिजिटल लेनदेन कर दिखाया. बता दें कि प्रधानमंत्री स्वनिधी योजना में डिजिटल भुगतान और सुशासन के लिए वाराणसी के जिलाधिकारी को खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पुरस्कृत कर चुके हैं.


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डिजिटल लेनदेन करने पर स्ट्रीट वेंडरों को कैशबैक की सुविधा मिलती है, जो स्ट्रीट वेंडर महीने में कम से कम 200 ट्रांजैक्शन करता है उसे प्रति महीने 100 रुपए कैशबैक मिलता है. यह एक साल में 1200 रुपए हो जाता है. डिजिटल लेनदेन करने से रेहड़ी पटरी व्यवसाइयों को बैंक से लोन लेने में भी मदद मिलती है. साथ ही कैशबैक के रूप में उनको अच्छी कमाई भी होती है.

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