वाराणसी: भारत सरकार द्वारा उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा प्राप्त काशी हिन्दू विश्वविद्यालय सुधारात्मक कदमों को उठा रहा है. विश्वविद्यालय अपने शैक्षणिक और प्रशासनिक ढांचे को अधिक सक्रिय, प्रभावी, व्यवहारिक तथा प्रतिक्रियात्मक बनाने की कवायद में जुटा है. इन सुधारात्मतक प्रयासों को सही ढंग से लागू करने के लिए एक सहयोगात्मक और सकारात्मक कार्य वातावरण का होना जरूरी है. किसी भी संस्थान के सदस्यों के बीच अनसुलझे व लंबित विवाद परिसर में अच्छा माहौल बनाने में समस्या पैदा करते हैं. इन्हीं समस्याओं को सुलझाने के लिए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा नई पहल की है.
मध्यस्थता अधिकारी की नियुक्ति: बीएचयू ने नई पहल करते हुए विश्वविद्यालय के कार्य वातावरण में कटुता व असहयोग के कारणों का पता लगाने और उनका समाधान करने के लिए एक मध्यस्थता अधिकारी की नियुक्ति की है. ये मध्यस्थता अधिकारी सदस्यों के मध्य विवादों के न्यायोचित, स्वीकार्य, तर्कसंगत व समयबद्ध समाधान की दिशा में कार्य करेंगे. कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने प्रो. मधुलिका अग्रवाल, वनस्पति विज्ञान विभाग को विश्वविद्यालय की प्रथम मध्यस्थता अधिकारी नियुक्त किया है.
कुलपति के पास भेजे जाएंगे न सुलझने वाले मामले: विश्वविद्यालय प्रशासन ने बताया कि ऐसे मामले जिनमें पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान निकालना संभव न हो, उसमें मध्यस्थता अधिकारी अपनी अनुशंसा के साथ मामले को कुलपति को भेजेंगे. कुलपति कार्यालय में सलाहकार ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) नरिन्दर सिंह मध्यस्थता अधिकारी का सहयोग करेंगे. मध्यस्थता अधिकारी विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ विभिन्न स्तरों पर काम करेंगे. इसके साथ ही नीतिगत तथा प्रक्रियात्मक खामियों की पहचान कर उन्हें दूर करने के तरीके बताएंगे, जिससे कि भविष्य में विवादों की स्थिति से बचा जा सके.
सेवा संबंधी मामलों को देखेगी शिक्षक शिकायत निवारण समिति: विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि ऐसे मामले जब विभाग, संकाय अथवा संस्थान के स्तर पर हल नहीं हो सकेंगे. तब ऐसी स्थिति में मध्यस्थता अधिकारी अपनी भूमिका निभाएंगे. इसके साथ ही उनकी समस्याओं, विवाद के कारणों आदि पक्षों पर सदस्यों के साथ काम करेंगे. मामले में संभावित समाधान की संभावनाएं देखेंगे. ये अधिकारी यह भी सुनिश्चित करेंगे कि पारस्परिक सहमति का समाधान समयबद्ध ढंग से तथा सफलतापूर्वक लागू भी हो. संकाय सदस्यों के सेवा संबंधी मामलों को शिक्षक शिकायत निवारण समिति ही देखेगी.
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की नई पहल, अब मध्यस्थता आधिकारी विवादों का करेंगे हल - appoints arbitration officer in bhu
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने विवादों को सुलझाने के लिए मध्यस्थता अधिकारी की नियुक्ति की है. यह अधिकारी विश्वविद्यालय में कटुता व असहयोग के कारणों का पता लगाने और उनका समाधान करने के का काम करेंगे.
वाराणसी: भारत सरकार द्वारा उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा प्राप्त काशी हिन्दू विश्वविद्यालय सुधारात्मक कदमों को उठा रहा है. विश्वविद्यालय अपने शैक्षणिक और प्रशासनिक ढांचे को अधिक सक्रिय, प्रभावी, व्यवहारिक तथा प्रतिक्रियात्मक बनाने की कवायद में जुटा है. इन सुधारात्मतक प्रयासों को सही ढंग से लागू करने के लिए एक सहयोगात्मक और सकारात्मक कार्य वातावरण का होना जरूरी है. किसी भी संस्थान के सदस्यों के बीच अनसुलझे व लंबित विवाद परिसर में अच्छा माहौल बनाने में समस्या पैदा करते हैं. इन्हीं समस्याओं को सुलझाने के लिए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा नई पहल की है.
मध्यस्थता अधिकारी की नियुक्ति: बीएचयू ने नई पहल करते हुए विश्वविद्यालय के कार्य वातावरण में कटुता व असहयोग के कारणों का पता लगाने और उनका समाधान करने के लिए एक मध्यस्थता अधिकारी की नियुक्ति की है. ये मध्यस्थता अधिकारी सदस्यों के मध्य विवादों के न्यायोचित, स्वीकार्य, तर्कसंगत व समयबद्ध समाधान की दिशा में कार्य करेंगे. कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने प्रो. मधुलिका अग्रवाल, वनस्पति विज्ञान विभाग को विश्वविद्यालय की प्रथम मध्यस्थता अधिकारी नियुक्त किया है.
कुलपति के पास भेजे जाएंगे न सुलझने वाले मामले: विश्वविद्यालय प्रशासन ने बताया कि ऐसे मामले जिनमें पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान निकालना संभव न हो, उसमें मध्यस्थता अधिकारी अपनी अनुशंसा के साथ मामले को कुलपति को भेजेंगे. कुलपति कार्यालय में सलाहकार ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) नरिन्दर सिंह मध्यस्थता अधिकारी का सहयोग करेंगे. मध्यस्थता अधिकारी विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ विभिन्न स्तरों पर काम करेंगे. इसके साथ ही नीतिगत तथा प्रक्रियात्मक खामियों की पहचान कर उन्हें दूर करने के तरीके बताएंगे, जिससे कि भविष्य में विवादों की स्थिति से बचा जा सके.
सेवा संबंधी मामलों को देखेगी शिक्षक शिकायत निवारण समिति: विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि ऐसे मामले जब विभाग, संकाय अथवा संस्थान के स्तर पर हल नहीं हो सकेंगे. तब ऐसी स्थिति में मध्यस्थता अधिकारी अपनी भूमिका निभाएंगे. इसके साथ ही उनकी समस्याओं, विवाद के कारणों आदि पक्षों पर सदस्यों के साथ काम करेंगे. मामले में संभावित समाधान की संभावनाएं देखेंगे. ये अधिकारी यह भी सुनिश्चित करेंगे कि पारस्परिक सहमति का समाधान समयबद्ध ढंग से तथा सफलतापूर्वक लागू भी हो. संकाय सदस्यों के सेवा संबंधी मामलों को शिक्षक शिकायत निवारण समिति ही देखेगी.