ETV Bharat / state

तपती गर्मी में ठंडक दे रहे बनारसी बाबू, 'वाह' सुन हो जाते हैं गदगद

गर्मी के मौसम में काशी के गोदौलिया, दशाश्वमेध और गिरजाघर नई सड़क से होकर अगर आप गुजरते हैं तो कुछ देर के लिए ही सही, यहां खड़े एक शख्स के पंखे की ठंडी हवा आपको जरूर सुकून देगी. इस शख्स का नाम बाबूलाल है, जो निस्वार्थ भाव से भीषण गर्मी में सड़क पर राहगीरों को हवा करते हैं, जिससे राहगीर काफी राहत महसूस करते हैं.

निस्वार्थ भाव से भीषण गर्मी में लोगों को ठंडी हवा का सुकून दे रहे बाबूलाल.
निस्वार्थ भाव से भीषण गर्मी में लोगों को ठंडी हवा का सुकून दे रहे बाबूलाल.
author img

By

Published : Jun 15, 2021, 12:06 PM IST

वाराणसी: कहते हैं असली सेवा वही है, जो निस्वार्थ भाव से की जाए. स्वार्थ के साथ की जाने वाली सेवा खुद के फायदे के लिए होती है, लेकिन आज के इस स्वार्थी परिवेश में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो सच में बिना किसी कारण और स्वार्थ के लोगों की सेवा करने में यकीन रखते हैं. ऐसे ही बनारस की सड़कों पर घूमते मिल जाएंगे बाबूलाल. बाबूलाल जी की उम्र 78 वर्ष है. पतले-दुबले शरीर और छोटी कद काठी के बाबूलाल को देखकर आप खुद आश्चर्यचकित हो जाएंगे, क्योंकि भीषण गर्मी में यह बनारसी लोगों को ठंडी का एहसास कराता है. आप सोच रहे होंगे कैसे तो यह जानने के लिए पढ़िए ईटीवी भारत की यह खास खबर...

निस्वार्थ भाव से भीषण गर्मी में राहगीरों को ठंडी हवा का सुकून दे रहे बाबूलाल.

30 सालों की निस्वार्थ सेवा
दरअसल, बनारस के सोनारपुरा इलाके के रहने वाले बाबूलाल पक्के बनारसी हैं और बनारसी होने के साथ वह लोगों की सेवा भाव करने पर यकीन रखते हैं. उनके सेवा भाव का यह कार्य बीते 30 सालों से जारी है, लेकिन सेवा का तरीका थोड़ा अलग है. यह तरीका है लोगों को गर्मी और धूप के साथ भीषण उमस में पसीने से तरबतर होने के बाद हवा पहुंचाना. जी हां बाबूलाल कुछ ऐसे ही तरीके से लोगों की सेवा कर रहे हैं. बनारस की सड़कों पर बाबूलाल हाथों में बड़ा ताड़ का पंखा लेकर सुबह से शाम तक लोगों को हवा देने का काम करते हैं. एक बार जब आप भी कभी काशी आएंगे तो बाबूलाल के हाथों में बड़ा पंखा और उनके इस काम को देखकर आश्चर्य जरूर करेंगे, लेकिन जब आप जानकारी जुटाएंगे तो आपको पता चलेगा कि बाबूलाल बिना किसी कारण और स्वार्थ के ऐसे ही सुबह से शाम तक गर्मी, बारिश और हर मौसम में लोगों के शरीर को शीतलता प्रदान करने के लिए चौराहे पर सड़कों पर खड़े होकर अपने बड़े पंखे से हवा देने का काम करते हैं.

दुकान छोड़कर शुरू की सेवा
दरअसल, बाबूलाल जी पहले एक छोटी सी दुकान चलाते थे. अपनी दुकान की जिम्मेदारी अपने बेटों को सौंपने के बाद उन्होंने समाज सेवा के लिए कुछ करने की ठानी. कई बार फर्जी समाजसेवियों को देखकर उनके मन में कुछ अलग करने कि बात आई, जिसके बाद उन्होंने किसी की मदद करने से बेहतर हर किसी को अपनी मदद पहुंचाने की कोशिश हुई थी और लगभग 30 साल पहले छोटा पंखा हाथ में लेकर गोदौलिया चौराहे पर पर्यटकों को हवा देने लगे, जिससे पर्यटक बेहद खुश दिखाई देने लगे. धीरे-धीरे लोगों का सपोर्ट मिलता है और बाबूलाल अपने इस काम को और बढ़ाते हुए पंखे का साइज भी बड़ा कर देते हैं. अब बाबूलाल और सड़क पर उनका यह बड़ासनखा दूर से ही दिखाई दे जाता है.

चौराहे पर पंखा लिये खड़े बाबूलाल.
चौराहे पर पंखा लिये खड़े बाबूलाल.

परिवार की जिम्मेदारी भी निभाई
बाबूलाल बताते हैं कि 7 बच्चों का पालन-पोषण करने के बाद सब की शादी कर दी है. हर जिम्मेदारियों से मुक्त होने के बाद अब उनके जिम्मे सिर्फ लोगों की सेवा करना ही है. इसलिए काशी आने वाले पर्यटक हों या फिर काशीवासी जब भी गोदौलिया, दशाश्वमेध, गिरजाघर नई सड़क से गुजरते हैं तो कुछ देर के लिए ही सही, लेकिन बाबूलाल के हाथों चलने वाले इस बड़े पंखे से निकलने वाली हवा को पाकर सुकून जरूर महसूस करते हैं.

इसे भी पढ़ें:- जुनून के आगे गरीबी पड़ी फीकी, मजदूर का बेटा सेना में बना लेफ्टिनेंट

हर कोई इनका शुक्रगुजार
बनारसियों का भी यही मानना है कि बीते कई सालों से निस्वार्थ भाव से बाबूलाल यह काम कर रहे हैं कोई पैसा देता है तो भी वह मना कर देते हैं, लेकिन जबरदस्ती करने पर वह लोगों के दिल को भी नहीं तोड़ते. फिलहाल बीते 30 सालों से बाबूलाल का यह काम अनवरत जारी है और आज भी आपको बनारस की सड़कों या चौराहों पर यदि हाथों में पंखा था में बाबूलाल मिल जाए तो उन्हें धन्यवाद जरूर कहियेगा.

वाराणसी: कहते हैं असली सेवा वही है, जो निस्वार्थ भाव से की जाए. स्वार्थ के साथ की जाने वाली सेवा खुद के फायदे के लिए होती है, लेकिन आज के इस स्वार्थी परिवेश में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो सच में बिना किसी कारण और स्वार्थ के लोगों की सेवा करने में यकीन रखते हैं. ऐसे ही बनारस की सड़कों पर घूमते मिल जाएंगे बाबूलाल. बाबूलाल जी की उम्र 78 वर्ष है. पतले-दुबले शरीर और छोटी कद काठी के बाबूलाल को देखकर आप खुद आश्चर्यचकित हो जाएंगे, क्योंकि भीषण गर्मी में यह बनारसी लोगों को ठंडी का एहसास कराता है. आप सोच रहे होंगे कैसे तो यह जानने के लिए पढ़िए ईटीवी भारत की यह खास खबर...

निस्वार्थ भाव से भीषण गर्मी में राहगीरों को ठंडी हवा का सुकून दे रहे बाबूलाल.

30 सालों की निस्वार्थ सेवा
दरअसल, बनारस के सोनारपुरा इलाके के रहने वाले बाबूलाल पक्के बनारसी हैं और बनारसी होने के साथ वह लोगों की सेवा भाव करने पर यकीन रखते हैं. उनके सेवा भाव का यह कार्य बीते 30 सालों से जारी है, लेकिन सेवा का तरीका थोड़ा अलग है. यह तरीका है लोगों को गर्मी और धूप के साथ भीषण उमस में पसीने से तरबतर होने के बाद हवा पहुंचाना. जी हां बाबूलाल कुछ ऐसे ही तरीके से लोगों की सेवा कर रहे हैं. बनारस की सड़कों पर बाबूलाल हाथों में बड़ा ताड़ का पंखा लेकर सुबह से शाम तक लोगों को हवा देने का काम करते हैं. एक बार जब आप भी कभी काशी आएंगे तो बाबूलाल के हाथों में बड़ा पंखा और उनके इस काम को देखकर आश्चर्य जरूर करेंगे, लेकिन जब आप जानकारी जुटाएंगे तो आपको पता चलेगा कि बाबूलाल बिना किसी कारण और स्वार्थ के ऐसे ही सुबह से शाम तक गर्मी, बारिश और हर मौसम में लोगों के शरीर को शीतलता प्रदान करने के लिए चौराहे पर सड़कों पर खड़े होकर अपने बड़े पंखे से हवा देने का काम करते हैं.

दुकान छोड़कर शुरू की सेवा
दरअसल, बाबूलाल जी पहले एक छोटी सी दुकान चलाते थे. अपनी दुकान की जिम्मेदारी अपने बेटों को सौंपने के बाद उन्होंने समाज सेवा के लिए कुछ करने की ठानी. कई बार फर्जी समाजसेवियों को देखकर उनके मन में कुछ अलग करने कि बात आई, जिसके बाद उन्होंने किसी की मदद करने से बेहतर हर किसी को अपनी मदद पहुंचाने की कोशिश हुई थी और लगभग 30 साल पहले छोटा पंखा हाथ में लेकर गोदौलिया चौराहे पर पर्यटकों को हवा देने लगे, जिससे पर्यटक बेहद खुश दिखाई देने लगे. धीरे-धीरे लोगों का सपोर्ट मिलता है और बाबूलाल अपने इस काम को और बढ़ाते हुए पंखे का साइज भी बड़ा कर देते हैं. अब बाबूलाल और सड़क पर उनका यह बड़ासनखा दूर से ही दिखाई दे जाता है.

चौराहे पर पंखा लिये खड़े बाबूलाल.
चौराहे पर पंखा लिये खड़े बाबूलाल.

परिवार की जिम्मेदारी भी निभाई
बाबूलाल बताते हैं कि 7 बच्चों का पालन-पोषण करने के बाद सब की शादी कर दी है. हर जिम्मेदारियों से मुक्त होने के बाद अब उनके जिम्मे सिर्फ लोगों की सेवा करना ही है. इसलिए काशी आने वाले पर्यटक हों या फिर काशीवासी जब भी गोदौलिया, दशाश्वमेध, गिरजाघर नई सड़क से गुजरते हैं तो कुछ देर के लिए ही सही, लेकिन बाबूलाल के हाथों चलने वाले इस बड़े पंखे से निकलने वाली हवा को पाकर सुकून जरूर महसूस करते हैं.

इसे भी पढ़ें:- जुनून के आगे गरीबी पड़ी फीकी, मजदूर का बेटा सेना में बना लेफ्टिनेंट

हर कोई इनका शुक्रगुजार
बनारसियों का भी यही मानना है कि बीते कई सालों से निस्वार्थ भाव से बाबूलाल यह काम कर रहे हैं कोई पैसा देता है तो भी वह मना कर देते हैं, लेकिन जबरदस्ती करने पर वह लोगों के दिल को भी नहीं तोड़ते. फिलहाल बीते 30 सालों से बाबूलाल का यह काम अनवरत जारी है और आज भी आपको बनारस की सड़कों या चौराहों पर यदि हाथों में पंखा था में बाबूलाल मिल जाए तो उन्हें धन्यवाद जरूर कहियेगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.