वाराणसीः धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी अपनी परंपराओं के निर्वहन के लिए मशहूर है. गुरुवार को काशी के संध्याकालीन होने वाली विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती में अनोखा नजारा देखने को मिला. बारिश के बीच मां गंगा की आरती हुई. इस दौरान दशाश्वामेध पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे. दशाश्वमेध घाट पर साल के 365 दिन गंगा आरती की जाती है, जो गंगा सेवा निधि कराती है.
आरती में देश-विदेश से काशी आए श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया और हर हर महादेव के नारे लगाए. बारिश के बीच मां गांगा की आरती खत्म होने तक सभी श्रद्धालु भक्ती में डूबे दिखे. आरती खत्म होने के बाद भक्तों ने कहा कि उन्होंने ऐसी आरती कभी नहीं देखी थी. मानो, जैसे तेज बरसात में भी आरती के लौ और तेज होती जा रही हो. मां गंगा की आरती में पहुंची अर्धांगिनी ने कहा, 'मैं कोलकाता से काशी आई हूं. यहां गंगा आरती देखने आई. इतनी तेज बारिश के बाद भी एक दिया नहीं बुझा. यही महादेव की शक्ति है. यह महादेव की भक्ति है. मुझे आज यहां आकर बहुत ही अच्छा लगा लगा.'
वहीं, हर्षवर्धन ने कहा, 'यह बनारस की परंपरा और बाबा की भक्ति है. एक तरफ तेज बारिश हो रही थी. वहीं, दूसरी तरफ लोग एक साथ हर-हर महादेव के जयकारे लगा रहे थे. पूरे जीवन में ऐसा सिर्फ एक बार ही देखने को मिलता है. मैं भाग्यशाली हूं, जो आज इस गंगा आरती में शामिल हुआ.'
गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष प्रशांत मिश्र ने बताया कि यह परंपरा अनवरत चलती आ रही है. वैश्विक महामारी के दौर में भी एक अर्चक द्वारा मां गंगा की नियमित आरती की गई. पिछले 30 वर्षों से ऐसा कभी नहीं हुआ. जब आरती नहीं हुई हो. ग्रहण काल में या सूतक काल में आरती का समय परिवर्तन जरूर हुआ है. लेकिन आरती कभी नहीं रुकी. गुरुवार को ऐसा लगा मानों काशी में मां गंगा आरती देखने के लिए स्वयं इंद्रदेव मौजूद हों. बारिश श्रद्धालुओं और ब्राह्मणों के भक्ति को डिगा न सकी और भारी बारिश में भी आरती संपन्न की गयी.
बता दें कि लंबे समय से भीषण गर्मी झेल रहे लोगों को बारिश का बेसब्री से इंतजार था. ऐसे में मानसून के दस्तक से ही लोगों ने राहत की सांस ली. इस दौरान काशी के दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती और बारिश के संगम का एक अद्भुत नजारा देखने को मिला.
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