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वाराणसी: बसंत पंचमी पर होगा बाबा विश्वनाथ का तिलकोत्सव

बसंत पंचमी शनिवार (05 फरवरी) को बाबा विश्वनाथ के तिलक (Baba Vishwanath Tilak Utsav) का उत्सव टेढ़ीनीम स्थित विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर होगा. बंसत पंचमी पर तिलकोत्सव के पूर्व भोर 4 बजे से 04:30 बजे तक बाबा विश्वनाथ की पंचबदन रजत मूर्ति की मंगल आरती के साथ आयोजन की शुरुआत होगी.

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बाबा विश्वनाथ
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Published : Feb 2, 2022, 7:59 PM IST

वाराणसी: काशी को 7 बार और 9 त्योहारों का शहर ऐसे ही नहीं कहा जाता, क्योंकि यहां पर नए साल की शुरुआत के साथ ही त्योहारों की शुरुआत भी हो जाती है, जो पूरे साल चलती रहती है. होली से पहले रंगभरी एकादशी के मौके पर बाबा विश्वनाथ (Baba Vishwanath Banaras) और माता पार्वती के गौने का आयोजन होता है जिसमें बाबा के विवाह (Baba Vishwanath Ka Vivah) की अन्य रस्मों को निभाने की तैयारियां की जाती है. हर साल बसंत पंचमी (Basant Panchami 2022) के साथ और बाबा के तिलक उत्सव की शुरुआत होने के बाद शिवरात्रि और फिर रंगभरी के दिन बाबा का गौना संपन्न होता है.

बसंत पंचमी शनिवार को बाबा विश्वनाथ के तिलक (Baba Vishwanath Tilak Utsav) का उत्सव टेढ़ीनीम स्थित विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर होगा. लोकमान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि पर शिव-विवाह के पूर्व बंसत पंचमी पर भगवान शिव का तिलकोत्सव किया गया था. काशीवासी परंपरानुसार तिलक की रस्म पूरी करते है.

जानकारी के अनुसार, शनिवार (05 फरवरी) को महंत आवास पर भोर में मंगला आरती के बाद परंपरानुसार दिनभर तिलकोत्सव के लोकाचार संपादित होगा. ब्राह्मणों द्वारा चारों वेदों की ऋचाओं के पाठ के साथ बाबा का दुग्धाभिषेक कर विशेष पुजनोपरांत फलाहार के साथ विजयायुक्त ठंडाई का भोग अर्पित किया जायेगा. इस दौरान महिलाओं द्वारा मंगल गीत भी होगा.

यह भी पढ़ें: बीएचयू कैंपस में लगा विवादित पोस्टर, समर्थन में उतरे छात्र

वहीं सायं काल को भक्तों को बाबा विश्वनाथ (राजसी-स्वरूप) दूल्हा स्वरूप में दर्शन देगें. इसके बाद काशीवासी परंपरानुसार, शहनाई की मंगल ध्वनि और डमरुओं के निनाद के बीच तिलकोत्सव की रस्म पूरी करेंगे. महंत डॉ.कुलपति तिवारी के सानिध्य में तिलकोत्सव की रस्म पूरी की जाएगी.

महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया कि बसंत पंचमी शनिवार को सायंकाल बाबा विश्वनाथ की पंचबदन रजत प्रतिमा का तिलकोत्सव टेढीनिम महंत आवास पर होगा. बंसत पंचमी पर तिलकोत्सव के पूर्व भोर 4 बजे से 04:30 बजे तक बाबा विश्वनाथ की पंचबदन रजत मूर्ति की मंगल आरती के साथ आयोजन की शुरुआत होगी. 06:00 से 08:00 बजे तक ग्यारह वैदिक ब्राह्मणों द्वारा चारों वेदों की ऋचाओं के पाठ के साथ बाबा का दुग्धाभिषेक करने के बाद बाबा को फलाहार का भोग अर्पित किया जाएगा. दोपहर भोग आरती के बाद बाबा विश्वनाथ की रजत प्रतिमा का विशेष राजसी श्रृंगार होगा. इसके बाद सायंकाल 5:00 बजे से प्रतिमा का दर्शन श्रद्धालुओं को होगा. 7:00 बजे लग्नानुसार बाबा का तिलकोत्सव किया जाएगा.

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वाराणसी: काशी को 7 बार और 9 त्योहारों का शहर ऐसे ही नहीं कहा जाता, क्योंकि यहां पर नए साल की शुरुआत के साथ ही त्योहारों की शुरुआत भी हो जाती है, जो पूरे साल चलती रहती है. होली से पहले रंगभरी एकादशी के मौके पर बाबा विश्वनाथ (Baba Vishwanath Banaras) और माता पार्वती के गौने का आयोजन होता है जिसमें बाबा के विवाह (Baba Vishwanath Ka Vivah) की अन्य रस्मों को निभाने की तैयारियां की जाती है. हर साल बसंत पंचमी (Basant Panchami 2022) के साथ और बाबा के तिलक उत्सव की शुरुआत होने के बाद शिवरात्रि और फिर रंगभरी के दिन बाबा का गौना संपन्न होता है.

बसंत पंचमी शनिवार को बाबा विश्वनाथ के तिलक (Baba Vishwanath Tilak Utsav) का उत्सव टेढ़ीनीम स्थित विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर होगा. लोकमान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि पर शिव-विवाह के पूर्व बंसत पंचमी पर भगवान शिव का तिलकोत्सव किया गया था. काशीवासी परंपरानुसार तिलक की रस्म पूरी करते है.

जानकारी के अनुसार, शनिवार (05 फरवरी) को महंत आवास पर भोर में मंगला आरती के बाद परंपरानुसार दिनभर तिलकोत्सव के लोकाचार संपादित होगा. ब्राह्मणों द्वारा चारों वेदों की ऋचाओं के पाठ के साथ बाबा का दुग्धाभिषेक कर विशेष पुजनोपरांत फलाहार के साथ विजयायुक्त ठंडाई का भोग अर्पित किया जायेगा. इस दौरान महिलाओं द्वारा मंगल गीत भी होगा.

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वहीं सायं काल को भक्तों को बाबा विश्वनाथ (राजसी-स्वरूप) दूल्हा स्वरूप में दर्शन देगें. इसके बाद काशीवासी परंपरानुसार, शहनाई की मंगल ध्वनि और डमरुओं के निनाद के बीच तिलकोत्सव की रस्म पूरी करेंगे. महंत डॉ.कुलपति तिवारी के सानिध्य में तिलकोत्सव की रस्म पूरी की जाएगी.

महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया कि बसंत पंचमी शनिवार को सायंकाल बाबा विश्वनाथ की पंचबदन रजत प्रतिमा का तिलकोत्सव टेढीनिम महंत आवास पर होगा. बंसत पंचमी पर तिलकोत्सव के पूर्व भोर 4 बजे से 04:30 बजे तक बाबा विश्वनाथ की पंचबदन रजत मूर्ति की मंगल आरती के साथ आयोजन की शुरुआत होगी. 06:00 से 08:00 बजे तक ग्यारह वैदिक ब्राह्मणों द्वारा चारों वेदों की ऋचाओं के पाठ के साथ बाबा का दुग्धाभिषेक करने के बाद बाबा को फलाहार का भोग अर्पित किया जाएगा. दोपहर भोग आरती के बाद बाबा विश्वनाथ की रजत प्रतिमा का विशेष राजसी श्रृंगार होगा. इसके बाद सायंकाल 5:00 बजे से प्रतिमा का दर्शन श्रद्धालुओं को होगा. 7:00 बजे लग्नानुसार बाबा का तिलकोत्सव किया जाएगा.

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