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वाराणसी: BHU में कोरोना वायरस की दवा का होगा ट्रायल

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Published : Jul 31, 2020, 12:07 PM IST

कोविड-19 से बचाव के लिए कई देश वैक्सीन इजाद कर रहे हैं. हालांकि अभी तक कोई कारगर दवा या वैक्सीन नहीं बन पाई है. वहीं काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय विभाग को आयुर्वेदिक दवाओं से कोरोना संक्रमितों के इलाज की अनुमति मिल गई है.

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बीएचयू करेगा कोरोना वायरस की दवा का ट्रायल.

वाराणसी: कोरोना वायरस से बचाव के लिए अभी तक कोई दवा या वैक्सीन नहीं बन पाई है. इस वायरस से बचाव के लिए अब तक आयुर्वेद के काढ़ा को माना गया है. ऐसे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित आयुर्वेद संकाय की टीम को आयुर्वेदिक पद्धति से कोविड-19 का इलाज करने की अनुमति मिल गई है. मॉडर्न मेडिसिन विभाग के साथ आईआईटी बीएचयू भी इसमें सहयोग करेगा. इस शोध में आईआईटी बीएचयू के फाइटोकेमिकल चेक के लिए डॉक्टर सुनील कुमार मिश्र, स्टैटिक डाटा के लिए प्रोफेसर टीबी सिंह, माइक्रोबायोलॉजी से डॉक्टर प्रद्दयुत प्रकाश शामिल हैं.

संक्रमितों को आयुर्वेदिक औषधि दी जाएगी
काढ़े को लेकर प्रोफेसर ने बताया कि चरक सूत्र-25 में शिरीष विषनाशक है. शिरीषादि कसाय जहर को खत्म करेगा, जिससे रोग-प्रतिरोधक क्षमता बनी रहेगी. प्रो. त्रिपाठी के मुताबिक प्रोजेक्ट में मरीजों पर शिरीषादि कसाय (काढ़ा) का असर देखने संग मैकेनिज्म का अवलोकन होगा. स्वस्थ लोगों को कोरोना से बचाव के लिए शुण्ठी का चूर्ण दिया जाएगा. साथ ही 10,000 मरीजों और उनके परिजनों को सुबह शाम आयुर्वेद से बनी सामाग्रियों के इस्तेमाल करने की सलाह दी जाएगी.

टीम में यह लोग हैं शामिल
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित आयुर्वेद संकाय के डॉक्टर पीएस व्याडगी रोग निदान विभाग एवं वैद्य सुशील कुमार दुबे, क्रियाशरीर विभाग के साथ चिकित्सा विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर आर एन चौरसिया, न्यूरोलोजी विभागाध्यक्ष डॉ. ललित मीना, डॉ. वाई बी त्रिपाठी, डॉ. के एन द्विवेदी, डॉ. ए के द्विवेदी, डॉ. विश्वंभर सिंह और आयुर्वेदिक के साथ मॉडर्न मेडिसिन के भी डॉक्टर शामिल हैं.

इन औषधियों का होगा प्रयोग
ई एन टी विभाग के साथ गुजरात में चल रहे प्रोजेक्ट को अब वाराणसी में इलाज के लिए एथिकल कमेटी से अनुमति मिल चुकी है. अब कोरोना संक्रमितों को दी जाने वाली औषधि पञ्चगब्य घृत, गोजिह्वादी क्वाथ, शिरीषादी क्वाथ, शुण्ठी चूर्ण एवं संजीवनी बटी को तीन ग्रुप में आयुर्वेद चिकित्सकों की देख-रेख में दिया जाएगा. यह प्रयोग करने के लिए सभी औषधि काशी हिंदू विश्वविद्यालय पहुंच चुकी हैं.

यह सारा कार्य कामधेनु आयोग के अध्यक्ष डॉ. वल्लभ भाई कठरिया की देख-रेख में चल रहा है. शिरीषादि कसाय में शिरीष संग वासा, मुलेठी, तेजपत्ता, कंडकारी आदि औषधीय पदार्थ शामिल हैं. मुलेठी कफ को बाहर निकलता है साथ ही यह बुद्धिवर्धक भी है. तेज पत्ता भूख बढ़ाता है और पेट साफ भी करता है. बता दें कि बीएचयू ने साल 1980 में सांस के रोग के लिए दवा खोजी थी.

वाराणसी: कोरोना वायरस से बचाव के लिए अभी तक कोई दवा या वैक्सीन नहीं बन पाई है. इस वायरस से बचाव के लिए अब तक आयुर्वेद के काढ़ा को माना गया है. ऐसे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित आयुर्वेद संकाय की टीम को आयुर्वेदिक पद्धति से कोविड-19 का इलाज करने की अनुमति मिल गई है. मॉडर्न मेडिसिन विभाग के साथ आईआईटी बीएचयू भी इसमें सहयोग करेगा. इस शोध में आईआईटी बीएचयू के फाइटोकेमिकल चेक के लिए डॉक्टर सुनील कुमार मिश्र, स्टैटिक डाटा के लिए प्रोफेसर टीबी सिंह, माइक्रोबायोलॉजी से डॉक्टर प्रद्दयुत प्रकाश शामिल हैं.

संक्रमितों को आयुर्वेदिक औषधि दी जाएगी
काढ़े को लेकर प्रोफेसर ने बताया कि चरक सूत्र-25 में शिरीष विषनाशक है. शिरीषादि कसाय जहर को खत्म करेगा, जिससे रोग-प्रतिरोधक क्षमता बनी रहेगी. प्रो. त्रिपाठी के मुताबिक प्रोजेक्ट में मरीजों पर शिरीषादि कसाय (काढ़ा) का असर देखने संग मैकेनिज्म का अवलोकन होगा. स्वस्थ लोगों को कोरोना से बचाव के लिए शुण्ठी का चूर्ण दिया जाएगा. साथ ही 10,000 मरीजों और उनके परिजनों को सुबह शाम आयुर्वेद से बनी सामाग्रियों के इस्तेमाल करने की सलाह दी जाएगी.

टीम में यह लोग हैं शामिल
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित आयुर्वेद संकाय के डॉक्टर पीएस व्याडगी रोग निदान विभाग एवं वैद्य सुशील कुमार दुबे, क्रियाशरीर विभाग के साथ चिकित्सा विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर आर एन चौरसिया, न्यूरोलोजी विभागाध्यक्ष डॉ. ललित मीना, डॉ. वाई बी त्रिपाठी, डॉ. के एन द्विवेदी, डॉ. ए के द्विवेदी, डॉ. विश्वंभर सिंह और आयुर्वेदिक के साथ मॉडर्न मेडिसिन के भी डॉक्टर शामिल हैं.

इन औषधियों का होगा प्रयोग
ई एन टी विभाग के साथ गुजरात में चल रहे प्रोजेक्ट को अब वाराणसी में इलाज के लिए एथिकल कमेटी से अनुमति मिल चुकी है. अब कोरोना संक्रमितों को दी जाने वाली औषधि पञ्चगब्य घृत, गोजिह्वादी क्वाथ, शिरीषादी क्वाथ, शुण्ठी चूर्ण एवं संजीवनी बटी को तीन ग्रुप में आयुर्वेद चिकित्सकों की देख-रेख में दिया जाएगा. यह प्रयोग करने के लिए सभी औषधि काशी हिंदू विश्वविद्यालय पहुंच चुकी हैं.

यह सारा कार्य कामधेनु आयोग के अध्यक्ष डॉ. वल्लभ भाई कठरिया की देख-रेख में चल रहा है. शिरीषादि कसाय में शिरीष संग वासा, मुलेठी, तेजपत्ता, कंडकारी आदि औषधीय पदार्थ शामिल हैं. मुलेठी कफ को बाहर निकलता है साथ ही यह बुद्धिवर्धक भी है. तेज पत्ता भूख बढ़ाता है और पेट साफ भी करता है. बता दें कि बीएचयू ने साल 1980 में सांस के रोग के लिए दवा खोजी थी.

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