वाराणसी: 2022 का विधानसभा चुनाव (assembly election 2022) नजदीक आ रहा है और ईटीवी भारत आपको हर जिले के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र के विधायकों से भी रूबरू करवा रहा है. उनके कार्यकाल और उनकी तैयारियों पर हम सीधे उनसे ही मिल रहे हैं और आज हम आपको वाराणसी शहर उत्तरी विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी से दूसरी बार चुने गए विधायक और उत्तर प्रदेश सरकार में स्टाम्प एवं न्यायालय शुल्क राज्य मंत्री रविंद्र जायसवाल (Ravindra Jaiswal) से मुलाकात करवाने जा रहे हैं.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में रविंद्र जायसवाल ने एक तरफ जहां अपने क्षेत्र में हुए विकास के कार्यों का लेखा-जोखा रखा तो वहीं स्टाम्प विभाग में हुए परिवर्तन और आने वाले दिनों में किए जा रहे बदलावों पर भी चर्चा की. उन्होंने अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से बार-बार अब्बाजान शब्द का इस्तेमाल किए जाने को सही ठहराते हुए अखिलेश पर सिर्फ एक समुदाय के लिए काम किए जाने का आरोप लगाया.
बनारस में बही विकास की गंगा
शहर उत्तरी से विधायक और राज्य मंत्री रविंद्र जायसवाल ने अपने क्षेत्र में किए जा रहे विकास कार्यों की जगह बनारस में हुए विकास कार्यों पर ज्यादा फोकस किया. अपने क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों के बाबत पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि काशी पूर्वांचल की अघोषित राजधानी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संपूर्ण काशी के विकास का संकल्प लिया. काशी के विकास के लिए 23000 करोड़ रुपये सरकार ने दिया. इसका विकास पहले होना चाहिए था, लेकिन लोगों ने इस पर ध्यान नहीं दिया.
प्रधानमंत्री जी ने यहां पर विकास की गंगा बहा दी. सड़कें, आईपीडीएस बिजली, रिंग रोड, बनारस से इलाहाबाद का पुल, फोरलेन का जाल बिछाया गया, स्वास्थ्य सेवाओं में तेजी से कई नए इंस्टिट्यूट और अस्पताल खोले गए. केंद्र और प्रदेश की सरकार ने मिलकर संपूर्ण बनारस का विकास किया जो कल्पना से परे था. काशी का कायाकल्प हुआ है. मेरे को लगता है कि क्योंकि शहर पुराना है और जब हम पुरानी चीजों में हाथ लगाते हैं तो कुछ तोड़फोड़ करनी पड़ती है. जहां एकदम नया शहर बसाना होता है तो हम नए सिरे से निर्माण करते हैं. इसलिए हमें पुराने स्ट्रक्चर को बचाते हुए काम करना है.
शहर उत्तरी की दो बड़ी समस्याओं पर दिया यह जवाब
उत्तरी विधानसभा में सीवर और वरुणा की वजह से हर साल बाढ़ को लेकर आने वाली तबाही पर उनका कहना था कि वरुणा को हम हटा नहीं सकते. वह गंगा में जा रही है. इस वजह से बाढ़ को लेकर पीएम मोदी की जो कल्पना है कि संपूर्ण नदियों को जोड़ा जाए, उसके बाद ही इसका समाधान हो पाएगा. बाढ़ प्रभावित लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिले यह ज्यादा महत्वपूर्ण है. सीवर की समस्या को लेकर उनका कहना था कि शहर में दो एसटीपी का निर्माण कर लिया गया है. दो एसटीपी से इसका निदान बहुत हद तक हुआ है, लेकिन अभी बनारस में तीन साढ़े 300 कॉलोनियां बाद में बनी हैं. उनको भी जल्द इससे जोड़ने की कवायद चल रही है.
चुनावी तैयारियों पर दिया यह जवाब
मंत्री रविंद्र जायसवाल ने 2022 में चुनावों को लेकर तैयारियों के बारे में कहा कि हम लोग चुनाव की तैयारी नहीं करते हैं. हम तैयारी करते हैं विकास की, हम तैयारी करते हैं विश्वास की, हम तैयारी करते हैं उसूलो की, हम तैयारी करते हैं सिद्धांतों की. यह उनके लिए है जो राजनीति को टूर मानते हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी संकल्प लेकर चुनावों में आती है.
स्टाम्प विभाग हो गया कैशलेस
स्टाम्प विभाग में बदलाव को लेकर उन्होंने बताया कि स्टाम्प विभाग लगभग 12 चीजें डिजिटलाइज कर चुका है. आज प्रॉपर्टी खरीदने के लिए कचहरी में जाकर मुआयना नहीं करना है. अब आपके मोबाइल पर सारी जानकारी उपलब्ध है. दिसंबर तक उत्तर प्रदेश के 75 जिलों का पूरा रिकॉर्ड डिजिटल हो जाएगा. अब आप रजिस्ट्री के मामले में कैशलेस हो चुके हैं. आप अपने मोबाइल पर ही 12 साल का रिकॉर्ड चेक कर सकते हैं और इस काम की व्यवस्था कर दी गई है. निबंधन शुल्क कैशलेस हो चुका है. निबंधन शुल्क जमा करके बिना जेब में एक रुपये रखे अब आपको टाइम पहले दे दिया जा रहा है. आप इंतजार किए बिना ही जल्द से जल्द रजिस्ट्री करवा सकते हैं. उत्तर प्रदेश का स्टाम्प विभाग भारत सरकार की तरफ से एक नंबर पर रखा गया है.
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प्रो वादी हैं अखिलेश तो अब्बा जान से नफरत क्यों
यूपी की राजनीति में अब्बा जान शब्दों को लेकर मचे हंगामे के बीच राज्य मंत्री और शहर उत्तरी से विधायक रविंद्र जायसवाल ने कहा कि जब अखिलेश यादव तुष्टिकरण की राजनीति करेंगे और केवल कब्रिस्तान की चाहरदीवारी बनाएंगे और मरघट के लिए पैसा नहीं देंगे. जब आप प्रो वादी होते हैं तो फिर परेशान क्यों, हम हिंदू अपने पिता को पापा या पिता कहते हैं और मुसलमानों में अब्बाजान कहा जाता है. अब्बाजान शब्द कोई खराब नहीं है. वह भी अपने पिता को अब्बा कहते हैं, जो प्रो वादी कह रहा है अगर वह अब्बा कह रहा है तो गलत क्या है. अगर वह अब्बा अब्बा कह कर वोट ले रहे हैं तो फिर दिक्कत किस बात की है. अब्बा उनके ही लिए प्रचलित है और वह समुदाय विशेष के लिए ही काम करते हैं.