वाराणसी: 1990 के दशक में कश्मीर में हिंदुओं और खासतौर पर कश्मीरी पंडितों के साथ हो रही घटनाओं के बीच नरसंहार में मारे गए कश्मीरी पंडितों की आत्मा की शांति के लिए काशी में विशेष अनुष्ठान हुआ. वाराणसी के पिशाच मोचन कुंड पर कश्मीरी पंडितों की आत्मा की शांति के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध का आयोजन किया गया. अभिनेता अनुपम खेर ने यह श्राद्ध किया. इस मौके पर उन्होंने खुलकर कहा कि 32 सालों तक किसी ने कश्मीरी पंडितों के बारे में कोई बात नहीं की. अब वक्त आया है. सभी अपना फर्ज निभाएं और उनकी वापसी कराएं.
उन्होंने कहा कि जब मैं कश्मीर फाइल्स की शूटिंग कर रहा था, उसी दौरान मेरे मन में यह विचार आया था. उन्होने कहा कि यह मेरे निजी जीवन से जुड़ी कहानी है. 32 साल बाद कश्मीर फाइल्स बन रही थी और ऐसी बहुत सारी कहानियां सामने आईं, जिसमें आतंकवाद का शिकार हुए कश्मीरी हिंदुओं को मारा गया था. महिलाओं के साथ हमारी बहन और माताओं के साथ अशोभनीय कार्य हुए थे. तभी मैंने सोचा था कि मैं ऐसी पूजा करवाऊंगा.
काशी के पंडितों ने बताया था कि यह पूजा उनके मोक्ष के लिए की जाती है, जिनकी मौत की वजह या उनका नाम पता नहीं होता है. इस वजह से मैं यह पूजा करवाने आया हूं. सिर्फ कश्मीरी पंडितों को हो नहीं बल्कि जो भी आतंकवाद के शिकार हुए हैं, उन सभी की आत्मा की शांति के लिए यहां पूजा करवाने आया हूं.
वह बोले कि 32 साल तक न ही मीडिया ने, न ही पॉलीटिशियन ने और न ही देश की जनता ने कश्मीरी पंडितों का साथ दिया. अब सभी का फर्ज बनता है उनको वापस भेजा जाए.
टारगेट किलिंग के सवाल पर उन्होंने मीडिया से कहा कि आप इसको उजागर करिए. सोशल मीडिया के जरिए भी उनको रोकिए या कम से कम उनके बारे में बोलिए. हमारे यहां तो बहुत से लोग आतंकवादियों को साफ क्लीनचिट दे रहे हैं.
घाटी में हो रहे पलायन पर बोले कि मैं जानता हूं कि मीडिया को कुछ ऐसा चाहिए जो वे चला सकें लेकिन मेरे लिए आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि मैं दिवंगत लोगों की आत्मा की शांति के लिए यहां आया हूं. कश्मीर के पंडितों के लिए तो 32 साल तक हालात अच्छे नहीं थे उसके पहले भी नहीं थे, अब उनको पकड़कर मारा जा रहा है. यह भी एक सच्चाई है कि 8 लाख लोग वहां पर्यटन के लिए गए हैं. यह एक अलग बात है. मैं दरख्वास्त करूंगा, जितने भी लोग जो वहां पर हैं, निर्दोष टारगेट बनाए जा रहे हैं उनके साथ ऐसा ना हो. हमें लड़ना पड़ेगा. एक दूसरे पर लांछन लगाकर सवाल पूछकर काम नहीं चलेगा. कम से कम आज कश्मीरी पंडितों पर सवाल तो पूछे जा रहे हैं. मैं 32 सालों से अकेला लड़ रहा था. वहीं, नूपुर शर्मा के सवालों पर अनुपम खेर बचते नजर आए. विरोध कर रहे लोगों के बारे में उन्होंने कहा कि जहां अच्छा काम होता वहां बुरे लोग भी आते हैं, मैं उन लोगों की बुद्धि की शांति के लिए भगवान से प्रार्थना करता हूं.
त्रिपिंडी श्राद्ध का महत्व
त्रिपिंडी श्राद्ध का आय़ोजन आगमन संस्था की ओर से किया गया था. संस्थापक डॉ. संतोष ओझा मुख्य यजमान रहे और उनके साथ अभिनेता अनुपम खेर भी पूजा में शामिल हुए. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पांडेय ने बताया कि ज्ञात-अज्ञात आत्माओं की शांति के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध किया जाता है. अकाल मृत्यु के दौरान जो आत्माएं धरती पर ही भटकती रहती हैं और मोक्ष की कामना के लिए पुर्नजन्म की खातिर परेशान होती हैं उनको मोक्ष दिलाने और मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से त्रिपिंडी श्राद्ध करवाया जाता है. आज का आयोजन काशी में होना बहुत ही महत्व रखता है. लंबे वक्त से कश्मीरी पंडितों की हत्या और उनकी अकाल मृत्यु के बाद उनकी आत्मा मुक्ति के लिए भटक रही थीं, आज इस आयोजन के बाद उन्हें मुक्ति भी मिलेगी और वह पुर्नजन्म के मार्ग पर आगे बढ़ सकेंगीं.
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