वाराणसी: बनारस में अंग्रेजों के जमाने में तैयार हुआ एक पुराना विरासत टूटने जा रहा है. इस जगह पर नए भारत की नई सुविधाओं की गाथा लिखी जाएगी. वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन पर सबसे पुराना अंग्रेजों के समय में तैयार किया गया फुट ओवर ब्रिज अब ध्वस्त होने जा रहा है. साल 1930 में बना यह ब्रिज अब इतिहास बन जाएगा. इसके स्थान पर नया फुट ओवर ब्रिज तैयार किया जाएगा. इसकी चौड़ाई 12 मीटर होगी. कैंट का यह ओवर ब्रिज न सिर्फ नया होगा, बल्कि आधुनिक सुविधाओं से युक्त भी होगा. यहां अब यात्रियों को सीढ़ियों पर चढ़ने से मुक्ति मिलेगी. इसके साथ ही इस ओवर ब्रिज से होकर यात्री प्लेटफार्म संख्या 9 पर सीधे पहुंच सकेंगे.
नया फुट ओवर ब्रिज की तैयारी
भारतीय रेलवे "अमृत भारत स्टेशन योजना" के तहत देशभर के रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प कर रहा है. साथ ही साथ उन स्टेशनों पर आधुनिक सुविधाएं भी बढ़ाई जा रही है. इसी कड़ी में वाराणसी का कैंट स्टेशन भी जुड़ चुका है. यहां पर पिछले दिनों में रिमॉडलिंग का काम पूरा किया गया है. इसके साथ ही नए प्लेटफॉर्म का भी निर्माण किया जाएगा. कुछ प्लेटफार्म की चौड़ाई बढ़ाई गई है. साथ ही साथ यात्रियों की सुविधा बढ़ाते हुए एक्सेलरेटर और लिफ्ट भी लगाए गए हैं, जिससे कि भीड़ को डायवर्ट किया जा सके और यात्रियों की सुविधा को भी बढ़ाया जा सके. इसी क्रम में वाराणसी के सबसे पुराने फुट ओवर ब्रिज को तोड़कर नया फुट ओवर ब्रिज तैयार किया जा रहा है.
नए फुट ओवर ब्रिज की चौड़ाई 12 मीटर होगी
ईटीवी भारत ने स्टेशन के निदेशक गौरव दीक्षित से बातचीत की. उन्होंने बताया कि यहां स्टेशन पर जो सबसे पुराना फुट ओवर ब्रिज है, वो ब्रिज नंबर वन है. जोकि लगभग 1930 में बना था. उसे अब तोड़ा जा रहा है. रेलवे द्वारा उसे अगले महीने तक तोड़ दिया जाएगा. इसको रिप्लेस करने के लिए रेलवे द्वारा एक नया फुट ओवर ब्रिज बनाने का काम किया जा रहा है. यहां जो प्लेटफार्म नंबर एक से लेकर प्लेटफार्म नंबर 9 तक सेकेंड इंट्री को लेकर बनाया जाएगा. इस फुट ओवर ब्रिज को लेकर वर्तमान समय में जो संकल्पना की गई है उसकी चौड़ाई लगभग 12 मीटर होगी, जोकि "अमृत भारत स्टेशन योजाना" के अंतर्गत नया फुट ओवर ब्रिज बनाने की योजना है. उसके अनुसार ही इसको बनाया जा रहा है.'
प्लेटफॉर्म पर लगेंगे आधुकनिक लिफ्ट और एस्केलरेटर्स
भारतीय रेलवे यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए कैंट रेलवे स्टेशन का कायाकल्प कर रहा है. करीब 568 करोड़ की लागत से वार्ड की रीमॉडलिंग की गई है. इस दौरान स्टेशन पर प्लेटफॉर्म की संख्या को भी बढ़ाया गया है. करीब 30 साल बाद वाराणसी कैंट स्टेशन की यह तस्वीर बदल चुकी है. वाराणसी कैंट स्टेशन पर एक नया एफओबी पहले ही बना है, जिसे एफओबी-3 के नाम से जाना जाता है. यह 10 मीटर चौड़ा और करीब 144 मीटर लंबा है. इसमें लिफ्ट और एस्केलरेटर्स हैं. प्लेटफॉर्म के लिए 8 लिफ्ट और 11 एस्केलरेटर्स लगाए जांएगे. यहां आने वाले समय में बाकी जगहों पर भी 10 मीटर से भी चौड़े प्लेटफॉर्म बनाए जांएगे.
नए प्लेटफार्म और फुट ओवर ब्रिज का निर्माण
बता दें कि लगभग 45 दिन चले रीमॉडलिंग के बाद स्टेशन पहले से बेहतर और अधिक सुविधाजनक हो गया है. वाराणसी कैंट स्टेशन पर यात्रियों को 11 और 12 नंबर प्लेटफॉर्म की सुविधा मिल रही है. पहले स्टेशन पर 9 प्लेटफॉर्म थे. इसके साथ ही 3 नए फुट ओवरब्रिज का भी निर्माण किया गया है. वहीं 38 किलोमीटर का नया ट्रैक बिछाया गया है. पहले तीन प्लेटफॉर्म पर फुल लेंथ की गाड़ियां आती थीं. अब 11 गाड़ियां आएंगी. 2 नए प्लेटफॉर्म बनाए गए हैं. कुछ प्लेटफॉर्म को चौड़ा किया गया है, जिससे कि वहां पर लिफ्ट और एक्सकेलेटर्स लगाए जा सकें. 568 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट में 150 परियोजनाओं पर काम किया गया है.
प्रतिदिन लाखों यात्रियों का होता है आगमन
स्टेशन के निदेशक ने बताया, 'वाराणसी स्टेशन पर यात्रियों के बैठने, शॉपिंग करने और खाने-पीने की सुविधा भी दी जाएगी. रेलवे की एक स्कीम के तहत कई स्टेशनों को मॉडिफाई किया जा रहा है. आने वाले 30-40 साल के लिए फ्यूचर रेडी किया जा रहा है. वर्तमान में कैंट स्टेशन पर प्रतिदिन 70 हजार से लेकर एक लाख यात्रियों का आवागमन होता है और यहां से 112 जोड़ी से ज्यादा ट्रेनों का संचालन होता है.' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भारतीय रेलवे ने कमाल कर दिखाया है. एक ओर जहां तय समय से पहले कैंट स्टेशन की रीमॉडलिंग कर ली गई. वहीं अब उसे और भी भव्य स्वरूप देते हुए आधुनिक फुट ओवर ब्रिज का निर्माण किया जा रहा है.
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