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वाराणसी: मठ पहुंचे शाह, लेकिन महंत से नहीं लिया आशीर्वाद

अमित शाह वाराणसी के गढ़वा घाट स्थित आश्रम पहुंचे. पूर्वांचल में यादव वोट बैंक के लिए माने जाने वाले आश्रम में अमित शाह ने एक घंटे से ज्यादा समय बिताया. वहीं वह आश्रम के महंत से आशीर्वाद नहीं मांगा. महंत ने कहा कि एक संत के दर पर कोई आता है, वह मांगे न मांगे उसको आशीर्वाद मिल जाता है.

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Published : May 10, 2019, 12:15 AM IST

अमित शाह ने महंत से नहीं लिया आशीर्वाद.

वाराणसी: चुनाव में अक्सर नेताओं को मंदिर और मस्जिद याद आते हैं. यहां पहुंचकर हर नेता जीत का आशीर्वाद लेकर सत्ता हासिल करने की चाहत रखता है. ऐसी ही कुछ चाहत लेकर गुरुवार को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह वाराणसी के गढ़वा घाट स्थित आश्रम में पहुंचे. पूर्वांचल में यादव वोट बैंक के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले इस आश्रम में अमित शाह ने एक घंटे से ज्यादा का वक्त बिताया. वहीं आश्रम के महंत सद्गुरु स्वामी शरणानंद जी महाराज ने बताया कि अमित शाह ने उनसे आशीर्वाद मांगा ही नहीं.

अमित शाह ने महंत से नहीं लिया आशीर्वाद.
  • भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह गढ़वा घाट स्थित आश्रम पहुंचे.
  • यहां उन्होंने हर उस काम को किया जो यहां पहुंचने के बाद हर सनातन धर्मी करता है.
  • संत सेवा, गो सेवा कर अमित शाह ने यह संदेश देने की कोशिश की कि बीजेपी अब भी धर्म की राह पर आगे बढ़ रही है.
  • होने वाले दो चरण के मतदान बीजेपी की असली चुनावी परीक्षा मानी जा रही है.
  • 12 तारीख को पूर्वांचल की सबसे महत्वपूर्ण आजमगढ़ सीट पर चुनाव होना है. क्योंकि एक तरफ जहां मुलायम सिंह ने यह सीट छोड़कर अपने बेटे अखिलेश यादव को दी है, तो वहीं बीजेपी ने भी पूर्वांचल में भोजपुरी फिल्म के बड़े कलाकार दिनेश लाल यादव पर दांव खेला है.
  • यूपी के यादव वोट बैंक कि इस आश्रम में अच्छी खासी पैठ है. यहां के महंत चुनावी रण में जिस ओर अपने अनुयायियों को जाने का आदेश देते हैं, अनुयाई उस ओर ही चले जाते हैं.
  • वहीं अमित शाह यहां आए तो थे बाबा शरणानंद का आशीर्वाद लेने, लेकिन उन्होंने आशीर्वाद लिया ही नहीं.
  • वहीं महंत का कहना है कि उन्होंने यहां आकर गो सेवा की, संत समागम किया, लेकिन मुझसे आशीर्वाद मांगा ही नहीं. उन्होंने यह जरूर कहा कि एक संत के दर पर यदि कोई आता है वह मांगे या न मांगे उसे आशीर्वाद मिल जाता है.

वाराणसी: चुनाव में अक्सर नेताओं को मंदिर और मस्जिद याद आते हैं. यहां पहुंचकर हर नेता जीत का आशीर्वाद लेकर सत्ता हासिल करने की चाहत रखता है. ऐसी ही कुछ चाहत लेकर गुरुवार को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह वाराणसी के गढ़वा घाट स्थित आश्रम में पहुंचे. पूर्वांचल में यादव वोट बैंक के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले इस आश्रम में अमित शाह ने एक घंटे से ज्यादा का वक्त बिताया. वहीं आश्रम के महंत सद्गुरु स्वामी शरणानंद जी महाराज ने बताया कि अमित शाह ने उनसे आशीर्वाद मांगा ही नहीं.

अमित शाह ने महंत से नहीं लिया आशीर्वाद.
  • भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह गढ़वा घाट स्थित आश्रम पहुंचे.
  • यहां उन्होंने हर उस काम को किया जो यहां पहुंचने के बाद हर सनातन धर्मी करता है.
  • संत सेवा, गो सेवा कर अमित शाह ने यह संदेश देने की कोशिश की कि बीजेपी अब भी धर्म की राह पर आगे बढ़ रही है.
  • होने वाले दो चरण के मतदान बीजेपी की असली चुनावी परीक्षा मानी जा रही है.
  • 12 तारीख को पूर्वांचल की सबसे महत्वपूर्ण आजमगढ़ सीट पर चुनाव होना है. क्योंकि एक तरफ जहां मुलायम सिंह ने यह सीट छोड़कर अपने बेटे अखिलेश यादव को दी है, तो वहीं बीजेपी ने भी पूर्वांचल में भोजपुरी फिल्म के बड़े कलाकार दिनेश लाल यादव पर दांव खेला है.
  • यूपी के यादव वोट बैंक कि इस आश्रम में अच्छी खासी पैठ है. यहां के महंत चुनावी रण में जिस ओर अपने अनुयायियों को जाने का आदेश देते हैं, अनुयाई उस ओर ही चले जाते हैं.
  • वहीं अमित शाह यहां आए तो थे बाबा शरणानंद का आशीर्वाद लेने, लेकिन उन्होंने आशीर्वाद लिया ही नहीं.
  • वहीं महंत का कहना है कि उन्होंने यहां आकर गो सेवा की, संत समागम किया, लेकिन मुझसे आशीर्वाद मांगा ही नहीं. उन्होंने यह जरूर कहा कि एक संत के दर पर यदि कोई आता है वह मांगे या न मांगे उसे आशीर्वाद मिल जाता है.
Intro:स्पेशल:

वाराणसी: जब चुनाव नजदीक आते हैं तो हर नेता को मंदिरों मस्जिद जरूर याद आता है और यहां पहुंचकर हर नेता जीत का आशीर्वाद लेकर सत्ता हासिल करने की चाहत रखता है और ऐसी ही कुछ चाहत लेकर आज बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह वाराणसी के गढ़वा घाट स्थित आश्रम में पहुंचे थे पूर्वांचल में यादव वोट बैंक के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले इस आश्रम में अमित शाह ने 1 घंटे से ज्यादा का वक्त बिताया सबसे बड़ी बात यह है कि हमेशा जिस कार्य के लिए यहां आए थे शायद वकार उनका पूर्ण हो या ना हो यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन यहां के महंत सद्गुरु स्वामी शरणानंद जी महाराज ने यह साफ कर दिया कि अमित शाह ने उनसे आशीर्वाद मांगा ही नहीं.


Body:वीओ-01 वाराणसी में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह गढ़वा घाट स्थित आश्रम पहुंचे तो यहां पर उन्होंने हर उस धर्म-कर्म के काम को किया जो मठिया मंदिर में पहुंचने के बाद हर सनातन धर्मी करना चाहता है संत सेवा गौ सेवा और संत संगति कर अमित शाह ने यह संदेश देने की कोशिश की कि बीजेपी अब भी धर्म की राह पर आगे बढ़ रही है लेकिन इस धार्मिक यात्रा में कहीं ना कहीं से कोई राजनैतिक महत्वाकांक्षा जरूर थी ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि आने वाले दो चरण बीजेपी की असली चुनावी परीक्षा मानी जा रही है 12 तारीख को पूर्वांचल की सबसे महत्वपूर्ण और यादव वोट बैंक के लिहाज से काफी महत्व रखने वाली आजमगढ़ सीट पर चुनाव होना है यहां पर बीजेपी की साख फसी है क्योंकि एक तरफ जहां मुलायम सिंह ने यह सीट छोड़कर आप अपने बेटे अखिलेश यादव को दे दी है तो वहीं बीजेपी ने भी पूर्वांचल में भोजपुरी फिल्मों के बड़े कलाकार दिनेश लाल यादव पर दांव खेला है शायद यही वजह है कि अपनी इस सीट को सकुशल निकालने की चाहत के साथ हमेशा इस आश्रम में माथा टेकने के लिए पहुंचे थे, क्योंकि यूपी के यादव वोट बैंक कि इस आश्रम में अच्छी खासी पैठ है और यहां के महंत चुनावी रण में जिस ओर अपने अनुयायियों को जाने का आदेश दे देते हैं वह अनुयाई और ही चले जाते हैं लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि अमित शाह आए तो थे बाबा शरणानंद का आशीर्वाद लेने लेकिन शायद उन्होंने आशीर्वाद लिया ही नहीं यह हम नहीं बल्कि खुद महंत का कहना है उनका कहना है हमेशा आए उन्होंने गौ सेवा की संत समागम किया लेकिन मुझसे आशीर्वाद मांगा ही नहीं हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा एक संत के दर पर यदि कोई आता है वह मांगे या ना मांगे उसको तो आशीर्वाद दे ही दिया जाता है.

बाईट- सद्गुरु स्वामी शरणानंद जी महाराज, महंत, गढ़वा घाट मठ


Conclusion:वीओ-02 फिलहाल वाराणसी के आश्रम में अमित शाह कि इस मठ में धार्मिक यात्रा सफल होती है या नहीं यह तो 23 मई को साफ हो जाएगा लेकिन यह जरूर है अमित शाह जिस उम्मीद के साथ इस मठ में आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचे थे शायद जल्दी बाजी में उन्होंने मठ के महान से आशीर्वाद मांगा ही नहीं हालांकि यह संत स्वभाव होता है कि यदि उनके दर पर कोई पहुंचे तो शायद वह बिन मांगे ही सब कुछ पा जाता है और यदि ऐसा हो गया तो बीजेपी की पूर्वांचल में याद धार्मिक चुनावी गणित सटीक बैठने पर यूपी की राह से दिल्ली का रास्ता आसान हो जाएगा. फिलहाल यादव वोट बैंक यूपी में इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 2014 के चुनाव में बीजेपी ने इस जातिगत वोट बैंक में सेंधमारी की थी और 27% यादव वोट बैंक बीजेपी के पक्ष में था जबकि परंपरागत यादव वोट बैंक को अपना बताने वाली समाजवादी पार्टी को 53% मत यादवों के मिले थे. शायद यही वजह है कि अब दो चरणों के चुनाव में जिन महत्वपूर्ण पूर्वांचल की सीटों पर मत पड़ने हैं उन सीटों पर यादों को अपने पक्ष में करने के लिए बीजेपी पूरी ताकत झोंक रही है.

पीटीसी- गोपाल मिश्र

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