वाराणसी: मंदिरों के शहर बनारस में जितने मंदिर भगवान शंकर के हैं, उतने ही प्रसिद्ध मंदिर मां आदिशक्ति के हैं. काशी में देवी के ऐसे कई चमत्कारी मंदिर हैं, जिनका अपना महत्व है, लेकिन यहां पर देवी का एक ऐसा भी चमत्कारी मंदिर है, जिसका स्वरूप बदलता रहता है. जिले के भदैनी स्थित लोलार्क कुंड से सटा देवी का प्राचीन मंदिर, जिसका नाम देवी महिषासुर मर्दिनी है.
यह देवी दुर्गा का स्वरुप है. लिहाजा नवरात्र में देवी की उपासना और दर्शन के लिए मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी रहती है. क्योंकि आस्था की देवी महिषासुर मर्दिनी ने महिषासुर राक्षस का वध किया था. ऐसे में यह मान्यता है कि देवी के दर्शन से शत्रुओं का नाश होता है. इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां देवी का स्वरूप दिन में तीन बार बदलता है.
दिन में तीन बार स्वरूप बदलती हैं देवी
- मंदिर के पुजारी पंडित कुटुंब पांडेय का कहना है कि मां महिषासुर मर्दिनी का यह प्रचीन और स्वयंभू मंदिर है.
- मां महिषासुर मर्दिनी ने सारी देवी देवताओं के आह्वान पर महिषासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए अवतार लिया था.
- पुजारी का दावा है कि इस मंदिर में जो प्रतिदिन निश्चित समय पर मां के दर्शन करता है, उसकी सारी समस्या को मां हर लेती हैं.
पुजारी का कहना है कि मां के इस प्रतिमा की खास बात यह है कि मां का स्वरूप बदलता रहता है. सुबह दर्शन करेंगे तो मां का स्वरूप कुछ और होगा, दोपहर में आएंगे तो मां का स्वरूप दूसरा होगा. शाम का स्वरूप कुछ और होता है. लोगों ने इस बात को महसूस किया है.
महिषासुर मर्दिनी शुंभ निशुंभ नामक राक्षस का वध किया था. जिसका उल्लेख दुर्गा सप्तशती के अंदर है. राक्षसों के भय से सभी देवी देवताओं ने मिलकर मां का आह्वान किया था. आज भी जो लोग मां का श्रद्धा से दर्शन करते हैं. निश्चित रूप से देवी का स्वरूप बदलता है, लोगों की बड़ी आस्था है.
-प्रमोद मिश्र, श्रद्धालु