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काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति पद के लिए फिर निकला विज्ञापन, नौ महीने के भीतर दूसरी बार विज्ञापन जारी

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Published : Sep 15, 2021, 11:32 AM IST

बीएचयू में नए कुलपति के चयन के लिए आवेदन का एक और मौका दिया गया है. मंत्रालय की ओर से नौ महीने के भीतर दूसरी बार विज्ञापन जारी किया गया है.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति पद के लिए फिर निकला विज्ञापन
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति पद के लिए फिर निकला विज्ञापन

वाराणसी: सर्व विद्या की राजधानी कहे जाने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय में स्थाई कुलपति की नियुक्ति नहीं हो पाई है. जिसे लेकर एक बार फिर कुलपति पद के लिए विज्ञापन जारी किया गया है. हम आपको बताते चलें कि इससे पहले भी पिछले साल 9 दिसंबर को कुलपति की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया था. लेकिन उस समय कोई योग्य अभ्यर्थी नहीं मिल सका. बीएचयू कुलपति के विज्ञापन के बाद देश भर से प्रोफेसर और शिक्षक वेदों ने आवेदन किया था. हालांकि अभी तक विश्वविद्यालय को अपना कुलपति नहीं मिल सका है.

हम आपको बताते चलें कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर राकेश भटनागर ने 31 मार्च को कार्यकाल पूरा कर लिया था. बीएचयू में कुलपति पद से प्रो. राकेश भटनागर का कार्यकाल मार्च महीने में पूरा होने के बाद से विश्वविद्यालय के रेक्टर प्रो. वीके शुक्ला कार्यवाहक कुलपति पद की जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं. नियमानुसार कुलपति का कार्यकाल पूरा होने के तीन महीने पहले से ही नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. विश्वविद्यालय में जो विज्ञापन निकाला है, वह 24 सितंबर तक आवेदन करने की अंतिम तिथि है. इसमें यह भी कहा गया है कि अभ्यर्थी में अपनी अकादमिक अनुभव के साथ-साथ उत्तम स्तर की क्षमता, ईमानदारी, नैतिकता व संस्थागत प्रतिबद्धता होनी चाहिए.

छात्रों में निराशा
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के शोध छात्र सत्येंद्र मिश्र ने बताया कि विश्वविद्यालय एनआईआरएफ की रैंकिंग में तीसरा स्थान प्राप्त करता है. ऐसे विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति करने में शिक्षा मंत्रालय को इतना ज्यादा समय लग रहा है. यह सही नहीं है जल्द से जल्द कुलपति की नियुक्ति कर विश्वविद्यालय को सुचारू रूप से संचालित किया जाना चाहिए.

इसे भी पढ़ें-जिनको मंदिर में जाने से डर लगता था, आज जनेऊ निकालकर दिखा रहे हैं : नंद गोपाल नंदी

बीएचयू के शोध छात्र शुभम तिवारी ने कहा कि अब तक विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति न हो पाना केंद्र सरकार और शिक्षा मंत्रालय की नाकामयाबी है. वाराणसी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री ने कल अलीगढ़ में राज्य विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया. लेकिन भारत में तीसरा स्थान रखने वाले विश्वविद्यालय को 6 महीने का समय बीत गया अभी तक कुलपति नहीं मिल पाया है.

वाराणसी: सर्व विद्या की राजधानी कहे जाने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय में स्थाई कुलपति की नियुक्ति नहीं हो पाई है. जिसे लेकर एक बार फिर कुलपति पद के लिए विज्ञापन जारी किया गया है. हम आपको बताते चलें कि इससे पहले भी पिछले साल 9 दिसंबर को कुलपति की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया था. लेकिन उस समय कोई योग्य अभ्यर्थी नहीं मिल सका. बीएचयू कुलपति के विज्ञापन के बाद देश भर से प्रोफेसर और शिक्षक वेदों ने आवेदन किया था. हालांकि अभी तक विश्वविद्यालय को अपना कुलपति नहीं मिल सका है.

हम आपको बताते चलें कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर राकेश भटनागर ने 31 मार्च को कार्यकाल पूरा कर लिया था. बीएचयू में कुलपति पद से प्रो. राकेश भटनागर का कार्यकाल मार्च महीने में पूरा होने के बाद से विश्वविद्यालय के रेक्टर प्रो. वीके शुक्ला कार्यवाहक कुलपति पद की जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं. नियमानुसार कुलपति का कार्यकाल पूरा होने के तीन महीने पहले से ही नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. विश्वविद्यालय में जो विज्ञापन निकाला है, वह 24 सितंबर तक आवेदन करने की अंतिम तिथि है. इसमें यह भी कहा गया है कि अभ्यर्थी में अपनी अकादमिक अनुभव के साथ-साथ उत्तम स्तर की क्षमता, ईमानदारी, नैतिकता व संस्थागत प्रतिबद्धता होनी चाहिए.

छात्रों में निराशा
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के शोध छात्र सत्येंद्र मिश्र ने बताया कि विश्वविद्यालय एनआईआरएफ की रैंकिंग में तीसरा स्थान प्राप्त करता है. ऐसे विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति करने में शिक्षा मंत्रालय को इतना ज्यादा समय लग रहा है. यह सही नहीं है जल्द से जल्द कुलपति की नियुक्ति कर विश्वविद्यालय को सुचारू रूप से संचालित किया जाना चाहिए.

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बीएचयू के शोध छात्र शुभम तिवारी ने कहा कि अब तक विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति न हो पाना केंद्र सरकार और शिक्षा मंत्रालय की नाकामयाबी है. वाराणसी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री ने कल अलीगढ़ में राज्य विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया. लेकिन भारत में तीसरा स्थान रखने वाले विश्वविद्यालय को 6 महीने का समय बीत गया अभी तक कुलपति नहीं मिल पाया है.

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