वाराणसी: रोहनिया-शाहंशाहपुर स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान का सोमवार को अपर मुख्य सचिव (कृषि) डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने डीएम कौशल राज शर्मा के साथ भ्रमण किया. संस्थान के निदेशक डॉ. जगदीश सिंह ने दोनों का स्वागत किया. साथ ही शोध परियोजनाओं की उपलब्धियों, राष्ट्रीय स्तर पर किसानों के आर्थिक उत्थान और रोजगार सृजन पर सब्जी शोध के विशेष प्रभाव की जानकारी दी.
विकसित किस्मों को कृषकों के बीच समय से पहुंचना जरूरी
सचिव ने संस्थान के वैज्ञानिकों से मुख्य एवं अल्प रोहित सब्जियों पर चल रहे विशिष्ट अनुसंधान कार्यक्रमों पर चर्चा की. इस दौरान उन्होंने वैज्ञानिकों से कहा कि संस्थान से विकसित किस्मों को कृषकों के बीच समय से पहुंचना जरूरी है. इससे उनकी आय और आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकेगी. परिवर्तित जलवायु की परिस्थितियों में इस संस्थान के पास अनेकों तकनीक हैं. ये देश के किसानों के लिए बहुत महत्व रखती हैं. अच्छा होगा कि नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत प्राकृतिक और जैविक खेती की प्रक्रिया को समाहित किया जाना चाहिए. इसके लिए समसामयिक तकनीकी प्रशिक्षण किसानों और अधिकारियों को दिया जाना चाहिए. प्रशिक्षण के बाद उनके उपयोग के आकड़े भी रखे जाने चाहिए.
कार्बनिक विधि से उगाई गई बीज की प्रचुर मात्रा
सचिव ने कहा कि किसान प्रति वर्ष जैविक खेती करते रहें, इसके लिए कार्बनिक विधि से उगाई गई बीज की प्रचुर मात्रा उन्हें मिलनी चाहिए. आने वाले दिनों में जैविक विधि से उगाई गई फलों, सब्जियों की मांग राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ेगी. देश में तेलंगाना प्रांत की तर्ज पर पूर्वी उत्तर प्रदेश को सब्जी बीज के उत्पादन के लिए हब बनाया जाना चाहिए. इससे उत्तर प्रदेश एवं बिहार के किसानों को गुणवत्ता युक्त बीज मिल सकेगा. सचिव ने कहा कि किसानों कि आय दोगुनी करने के लिए कृषि विविधिकरण को बढ़ावा देना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. इस अवसर पर पशुपालन एवं कृषि विभाग के सभी अधिकारी मौजूद थे. कार्यक्रम का संचालन डॉ. नीरज सिंह और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. पीएम सिंह ने किया.
विकसित किस्में समय से पहुंचें किसानों के पास, जानें किसने दिए निर्देश - अपर मुख्य सचिव कृषि के कृषि अनुसंधान का भ्रमण किया
वाराणसी स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान का सोमवार को अपर मुख्य सचिव (कृषि) डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने डीएम कौशल राज शर्मा के साथ भ्रमण किया.
वाराणसी: रोहनिया-शाहंशाहपुर स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान का सोमवार को अपर मुख्य सचिव (कृषि) डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने डीएम कौशल राज शर्मा के साथ भ्रमण किया. संस्थान के निदेशक डॉ. जगदीश सिंह ने दोनों का स्वागत किया. साथ ही शोध परियोजनाओं की उपलब्धियों, राष्ट्रीय स्तर पर किसानों के आर्थिक उत्थान और रोजगार सृजन पर सब्जी शोध के विशेष प्रभाव की जानकारी दी.
विकसित किस्मों को कृषकों के बीच समय से पहुंचना जरूरी
सचिव ने संस्थान के वैज्ञानिकों से मुख्य एवं अल्प रोहित सब्जियों पर चल रहे विशिष्ट अनुसंधान कार्यक्रमों पर चर्चा की. इस दौरान उन्होंने वैज्ञानिकों से कहा कि संस्थान से विकसित किस्मों को कृषकों के बीच समय से पहुंचना जरूरी है. इससे उनकी आय और आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकेगी. परिवर्तित जलवायु की परिस्थितियों में इस संस्थान के पास अनेकों तकनीक हैं. ये देश के किसानों के लिए बहुत महत्व रखती हैं. अच्छा होगा कि नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत प्राकृतिक और जैविक खेती की प्रक्रिया को समाहित किया जाना चाहिए. इसके लिए समसामयिक तकनीकी प्रशिक्षण किसानों और अधिकारियों को दिया जाना चाहिए. प्रशिक्षण के बाद उनके उपयोग के आकड़े भी रखे जाने चाहिए.
कार्बनिक विधि से उगाई गई बीज की प्रचुर मात्रा
सचिव ने कहा कि किसान प्रति वर्ष जैविक खेती करते रहें, इसके लिए कार्बनिक विधि से उगाई गई बीज की प्रचुर मात्रा उन्हें मिलनी चाहिए. आने वाले दिनों में जैविक विधि से उगाई गई फलों, सब्जियों की मांग राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ेगी. देश में तेलंगाना प्रांत की तर्ज पर पूर्वी उत्तर प्रदेश को सब्जी बीज के उत्पादन के लिए हब बनाया जाना चाहिए. इससे उत्तर प्रदेश एवं बिहार के किसानों को गुणवत्ता युक्त बीज मिल सकेगा. सचिव ने कहा कि किसानों कि आय दोगुनी करने के लिए कृषि विविधिकरण को बढ़ावा देना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. इस अवसर पर पशुपालन एवं कृषि विभाग के सभी अधिकारी मौजूद थे. कार्यक्रम का संचालन डॉ. नीरज सिंह और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. पीएम सिंह ने किया.