वाराणसी: रविवार की रात वाराणसी में काफी दिनों के बाद पुलिस और बदमाशों के बीच मुठभेड़ की घटना घटी. पुलिस के लिए सिर दर्द बना 50 हजार का इनामिया मोनू चौहान अपराध का पर्याय बन चुका था. रविवार की रात को हुई पुलिस मुठभेड़ में 50 हजार का इनामिया मोनू चौहान में मारा गया है. पांडेयपुर क्षेत्र में कभी चाट की लगाने वाला व्यक्ति आखिर कैसे बना 50 हजार का इनामिया. देखिए इस रिपोर्ट में...
मोनू चौहान का आपराधिक इतिहास
मोनू चौहान ने वर्ष 2011 से अपराध जगत में कदम रखा और पुलिस के लिए चुनौती बन गया. 2011 में मोनू सबसे पहले अवैध तमंचे के साथ पकड़ा गया और आर्म एक्ट में पहला मुकदमा दर्ज हुआ. इसके बाद उसी वर्ष मोनू चौहान गैर इरादतन हत्या के जुर्म में जेल गया. इसके बाद से मोनू ने जरायम की दुनिया अपनी अलग पहचान बनाई और मोनू ने वर्ष 2015 में जगतगंज क्षेत्र स्थित ऑटोमोबाइल के शोरूम में 27 लाख रूपये की लूट की घटना को अंजाम दिया. उसी वर्ष 13 फरवरी 2015 को ही मोनू ने नेवादा में एक प्रॉपर्टी डीलर की हत्या भी की. 20 जून 2015 को वाराणसी की शिवपुर पुलिस ने मोनू को पकड़ा, जिसके बाद वो जमानत पर बाहर आया और फिर से अपराध करने लगा.
सनी मुठभेड़ के दौरान हुआ था फरार
वर्ष 2015 में कुख्यात अपराधी सनी सिंह और पुलिस के बीच हुई मुठभेड़ के दौरान मोनू पुलिस की चुंगल से भाग निकला. जानकारी के अनुसार मोनू शराब पीने का शौकीन था और शराब पीने के बाद उसकी सनक बढ़ जाती थी. शराब के नशे में ही उसने कुछ दिन पूर्व में लालपुर स्थित एक घड़ी व्यापारी श्याम बिहारी की गोली मारकर हत्या कर दी और उसके दो दिन बाद उसी इलाके की एक महिला को भी गोली मार दी थी.
सूचना के आधार पर पुलिस ने की कार्रवाई
शहर में अपराध का पर्याय बने मोनू को पकड़ने के लिए पुलिस लगातार प्रयासरत थी और मुखबिरों को लगाया गया था. मुठभेड़ के बाद एसएसपी अमित पाठक ने बताया कि ऐसी सूचना मिली कि मोनू चौहान अपने साथी अनिल यादव के साथ रिंग रोड के पास किसी घटना को अंजाम देने जा रहा था. सूचना के आधार पर जब पुलिस ने मोनू को घेरने का प्रयास किया तो मोनू ने पुलिस टीम पर फायर झोंक दिया, जिसमें पुलिस के दो जवान घायल हो गए. जवाबी कार्रवाई में मोनू पुलिस की गोली का शिकार बना और अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.