वाराणसी: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के मुख्य कैंपस और इससे संबद्ध महाविद्यालयों में एडमिशन प्रक्रिया तो पूरी हो चुकी है. मगर BHU में स्नातक-परास्नातक में 3000 सीटें खाली (Seats vacant in Undergraduation and Masters in BHU) रह गई हैं. ऐसा पहली बार हुआ है जब विश्वविद्यालय और उससे संबद्ध कॉलेजों में इतनी सीटें खाली रह गई हैं. इन सीटों के खाली रहने की वजह विश्वविद्यालय द्वारा देरी से शुरू की गई काउंसिलिंग प्रक्रिया को बताया जा रहा है. वहीं कुछ समस्या काउंसिलिंग में टेक्निकल गड़बड़ियों की भी सामने आती रही है. इन सीटों के खाली रह जाना तब भी और अखर रहा है जब विश्वविद्यालय ने प्रवेश के लिए मॉपअप राउंड भी चलाया था. ऐसे में अब कई खामियां गिनाई जा रही हैं.
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (Kashi Hindu University) में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में एडमिशन के लिए प्रवेश प्रक्रिया के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को जिम्मेदारी दी गई है. पिछले कुछ साल से यही एजेंसी विश्वविद्यालय में एडमिशन के लिए प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन कराती है. इस बार भी इसी एजेंसी ने परीक्षाओं का आयोजन किया था. परीक्षाएं पूरी होने के बाद अगस्त के महीने में ही काउंसिलिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी. काउंसिलिंग के बाद जो सीटें खाली रह गई थीं उनको भरने के लिए विश्वविद्यालय ने मॉपअप राउंड भी चलाया था. मगर इसके बाद भी कॉलेजों और परिसर में लगभग 3000 सीटें खाली रह गई हैं.
कैंपस में 1400 सीटें रह गई हैं खाली: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) से संबद्ध चार कॉलेज हैं. इन सभी में देशभर से स्टूडेंट्स पढ़ने के लिए आते हैं. इसके साथ ही परिसर में भी देश-विदेश से छात्र पढाई के लिए आते हैं. सत्र 2023-2024 के लिए परिसर और कॉलेजों के लिए एडमिशन प्रक्रिया की गई थी. इन सभी पाठ्यक्रमों में खाली सीटों के लिए काउंसिलिंग प्रक्रिया के बाद परिसर और कॉलेजों में लगभग 3000 सीटें खाली रह गई हैं. विश्वविद्यालय परिसर में 1400 सीटें, जबकि संबद्ध कॉलेजों में 1623 सीटें खाली रह गई हैं. विश्वविद्यालय ने मॉपअप राउंड चलाया था. इसके बाद भी जब ये सीटें खाली रह गईं तो प्रवेश प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. कई तरह की खामियों पर फिर से चर्चा होने लगी है.
यूजी में 926 और पीजी में 697 सीटें खाली: विश्वविद्यालय द्वारा मॉपअप राउंड कराए जाने के बाद सवाल उठने लगे थे. बहुत से ऐसे अभ्यर्थी थे जिन्हें काउंसिलिंग लेटर भेजा गया था. उन्हें ऐसे विषय दिए गए थे जो संबद्ध कॉलेजों में पढ़ाए ही नहीं जाते हैं. बीए ऑनर्स को लेकर ऐसे मामले सबसे अधिक सामने आए थे. इसे लेकर एडमिशन लेने वाले छात्र महाविद्यालयों के चक्कर लगाते रहे. इस मामले की जांच हुई तो पता चला कि तकनीकि खामी हुई थी. ऑनलाइन प्रक्रिया से काउंसिलिंग कराने और प्रमाण पत्रों के सत्यापन के बाद बहुत सी सीटें खाली रह गई हैं. अब विश्वविद्यालय से संबद्ध चारों महाविद्यालयों में यूजी की 3389 सीटों में से 926 और पीजी के 2045 सीटों में से 697 सीटें खाली रह गई हैं.
विभिन्न संस्थानों सीटें रह गई हैं खाली: वहीं अगर बात करें काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में एडमिशन प्रक्रिया की तो यहां पर कई सीटें खाली रह गई हैं. बताया जा रहा है कि सभी संकायों और संस्थानों को मिलाकर स्नातक के करीब 10,000 सीटों में से 800 और पीजी के 7000 सीटों में से 600 सीटें नहीं भर पाई हैं. स्नातक की बात करें तो डीएवीपीजी कॉलेज में यूजी में 197, वसंत कन्या महाविद्यालय में 206 सीटें, वसंत महिला महाविद्यालय में 250, आर्य महिला पीजी कॉलेज में 273 सीटें खाली रह गई हैं. वहीं परास्नातक में डीएवीपीजी कॉलेज में 106, वसंत कन्या महाविद्यालय में 147, वसंत महिला महाविद्यालय में 225 और आर्य महिला पीजी कॉलेज में 219 सीटें खाली रह गई हैं.
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