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वाराणसी: किसानों को दिया गया ड्रिप सिंचाई का प्रशिक्षण

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Published : Oct 1, 2020, 4:10 PM IST

वाराणसी में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 25 चयनित किसानों को जल संरक्षण के लिए प्रशिक्षण दिया गया. इस दौरान लोगों से ड्रिप और स्प्रिंकलर पद्धति से सिंचाई करने का अनुरोध किया गया.

farmers trained for water conservation
जल संरक्षण पर प्रशिक्षण लेते किसान

वाराणसी: जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के निर्देशानुसार ग्राम पंचायत बरेमा के भटौली गांव में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 25 चयनित किसानों को प्रशिक्षण दिया गया. वेबिनार के माध्यम से वैज्ञानिकों ने जल संरक्षण और आय में वृद्धि करने के उपायों पर किसानों को प्रशिक्षित किया गया.

कार्यक्रम में सर्वप्रथम किसानों को वर्तमान में प्रचलित सिंचाई पद्धति के साथ-साथ आधुनिक प्रशिक्षण की उपयोगिता पर विस्तार से बताया गया. प्रशिक्षण के दौरान डॉक्टर दिनेश कुमार वैज्ञानिक ने किसानों को जल संरक्षण का महत्व बताते हुए अवगत कराया गया कि एक किलो प्याज तैयार करने में 350 लीटर पानी और एक किलो धान तैयार करने में ढाई हजार लीटर पानी खर्च होता है. डूब सिंचाई करने से 10 लीटर पानी में मात्र आधा लीटर पानी का ही सदुपयोग होता है, शेष पानी वाष्पीकरण अथवा भूमि में नष्ट हो जाता है. ड्रिप सिंचाई पद्धति को बताते हुए जल के प्रयोग में 50 प्रतिशत तक कमी लाने के बारे में बताया गया.

जैविक खेती

डॉ. मनोज सोनी वैज्ञानिक अधिकारी पीएफडीसी रहमान खेड़ा ने बताया कि किसान जैविक खेती की तरफ बढ़ते हुए जैविक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. जैन इरिगेशन सिस्टम जलगांव के एरिया मैनेजर विनोद शुक्ला ने सेवापुरी विकासखंड में चलाए जा रहे विशेष अभियान में स्प्रिंकलर स्थापित करने वाली कंपनियों के अनुरक्षण दायित्वों पर किसानों को बताया.

50 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की लागत

डॉ. एके नेमा प्राध्यापक कृषि विज्ञान संस्थान काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने प्रशिक्षण में उपस्थित होकर सिंचाई प्रबंधन को व्यवसायिक खेती का प्रथम सोपान बताते हुए भारत सरकार की योजनाओं ,निर्यातोन्मुखी खेती से जुड़ने का आवाहन किया. सेवानिवृत्त उद्यान वैज्ञानिक अनिल कुमार सिंह द्वारा प्रशिक्षण में उपस्थित होकर किसानों को आलू की खेती में ड्रिप सिंचाई का प्रयोग करने से किसानों को सालाना 50 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर तक लागत में कमी हो रही है.

मधुमकखी पालन का प्रशिक्षण

प्रगतिशील किसान उदय भान सिंह ने अपने क्षेत्र में स्प्रिंकलर से किए जा रहे मटर, गेंहू उत्पादन के बारे में किसानों को जानकारी दी. कार्यक्रम में किसानों के साथ उद्यान निरीक्षक सुनील कुमार भास्कर योगेश कुमार उपस्थित रहे. जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि अभी नौ ग्राम पंचायतों में 25-25 किसानों का जल संरक्षण का प्रशिक्षण और 25 किसानों को मधुमकखी पालन पर प्रशिक्षण दिया जाएगा. जिससे किसान नई जानकारियों के साथ आधुनिक खेती कर सकें.

वाराणसी: जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के निर्देशानुसार ग्राम पंचायत बरेमा के भटौली गांव में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 25 चयनित किसानों को प्रशिक्षण दिया गया. वेबिनार के माध्यम से वैज्ञानिकों ने जल संरक्षण और आय में वृद्धि करने के उपायों पर किसानों को प्रशिक्षित किया गया.

कार्यक्रम में सर्वप्रथम किसानों को वर्तमान में प्रचलित सिंचाई पद्धति के साथ-साथ आधुनिक प्रशिक्षण की उपयोगिता पर विस्तार से बताया गया. प्रशिक्षण के दौरान डॉक्टर दिनेश कुमार वैज्ञानिक ने किसानों को जल संरक्षण का महत्व बताते हुए अवगत कराया गया कि एक किलो प्याज तैयार करने में 350 लीटर पानी और एक किलो धान तैयार करने में ढाई हजार लीटर पानी खर्च होता है. डूब सिंचाई करने से 10 लीटर पानी में मात्र आधा लीटर पानी का ही सदुपयोग होता है, शेष पानी वाष्पीकरण अथवा भूमि में नष्ट हो जाता है. ड्रिप सिंचाई पद्धति को बताते हुए जल के प्रयोग में 50 प्रतिशत तक कमी लाने के बारे में बताया गया.

जैविक खेती

डॉ. मनोज सोनी वैज्ञानिक अधिकारी पीएफडीसी रहमान खेड़ा ने बताया कि किसान जैविक खेती की तरफ बढ़ते हुए जैविक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. जैन इरिगेशन सिस्टम जलगांव के एरिया मैनेजर विनोद शुक्ला ने सेवापुरी विकासखंड में चलाए जा रहे विशेष अभियान में स्प्रिंकलर स्थापित करने वाली कंपनियों के अनुरक्षण दायित्वों पर किसानों को बताया.

50 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की लागत

डॉ. एके नेमा प्राध्यापक कृषि विज्ञान संस्थान काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने प्रशिक्षण में उपस्थित होकर सिंचाई प्रबंधन को व्यवसायिक खेती का प्रथम सोपान बताते हुए भारत सरकार की योजनाओं ,निर्यातोन्मुखी खेती से जुड़ने का आवाहन किया. सेवानिवृत्त उद्यान वैज्ञानिक अनिल कुमार सिंह द्वारा प्रशिक्षण में उपस्थित होकर किसानों को आलू की खेती में ड्रिप सिंचाई का प्रयोग करने से किसानों को सालाना 50 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर तक लागत में कमी हो रही है.

मधुमकखी पालन का प्रशिक्षण

प्रगतिशील किसान उदय भान सिंह ने अपने क्षेत्र में स्प्रिंकलर से किए जा रहे मटर, गेंहू उत्पादन के बारे में किसानों को जानकारी दी. कार्यक्रम में किसानों के साथ उद्यान निरीक्षक सुनील कुमार भास्कर योगेश कुमार उपस्थित रहे. जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि अभी नौ ग्राम पंचायतों में 25-25 किसानों का जल संरक्षण का प्रशिक्षण और 25 किसानों को मधुमकखी पालन पर प्रशिक्षण दिया जाएगा. जिससे किसान नई जानकारियों के साथ आधुनिक खेती कर सकें.

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