वाराणसी: 2022 वह साल जिसने बहुत से बदलाव देखे और बहुत से ऐसी घटनाएं भी हुईं जो विश्व पटल पर अपनी एक अलग छाप छोड़कर जा रही हैं. ऐसी ही घटनाओं में एक वाराणसी का ज्ञानवापी केस भी 2022 में सबसे हॉट चर्चा का विषय बना रहा. वैसे तो इसकी शुरुआत 18 अगस्त 2021 में राखी सिंह और 4 अन्य महिलाओं की तरफ से सीनियर सिविल डिवीजन कोर्ट में दायर याचिका के बाद हो गई थी. लेकिन, इस मामले ने तूल तब पकड़ा जब कोर्ट ने इस पूरे प्रकरण को स्वीकार करते हुए 2022 में इस मामले में कमीशन कार्यवाही का आदेश दे दिया. इसके बाद ज्ञानवापी मामला जो 1991 से चला आ रहा था, उसने ऐसी रफ्तार पकड़ी कि पूरा 2022 ज्ञानवापी प्रकरण को लेकर चर्चा का विषय बना रहा. आइए बताते हैं 2022 में ज्ञानवापी मामले में हुई उथल पुथल और आने वाले भविष्य में इस मुकदमे के कयासों के बारे में.
ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में वाराणसी जिला अदालत में इन दिनों सुनवाई चल रही है. जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने मई के महीने में शुरू हुए इस मुकदमे में 12 सितंबर को फैसला देते हुए इसे सुनवाई योग्य मानकर 2022 में और हलचल मचा दी. हालांकि, इस मामले की सुनवाई अब 23 जनवरी को होनी है. लेकिन, इसके बीच कई और मुकदमे अलग-अलग न्यायालयों में चल रहे हैं.
विश्व वैदिक सनातन संघ की तरफ से राखी सिंह ने इस मुकदमे की शुरुआत की थी. हालांकि बाद में इस मुकदमे में लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक यह चार अन्य महिलाएं भी जुड़ गईं. 5 महिलाओं के इस मुकदमे में हड़कंप मचा और 4 महिलाएं तो एक साथ हैं, लेकिन राखी सिंह ने अपने को अन्य चार से अलग कर लिया. इस मामले में चीफ सेक्रेटरी के जरिए उत्तर प्रदेश सरकार, जिला अधिकारी वाराणसी, पुलिस कमिश्नर, ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट प्रतिवादी के रूप में हैं.
वैसे वाराणसी के जिला कोर्ट समेत हाईकोर्ट में पहले से ही यानी 1991 से ज्ञानवापी मामला चल रहा है. इसमें स्वयंभू आदि विश्वेश्वर वादी पक्ष वर्सेस ज्ञानवापी मस्जिद का संचालन करने वाली समिति प्रतिवादी पक्ष के रूप में मौजूद है. लेकिन, अगस्त 2021 में वाराणसी कोर्ट में दाखिल की गई 5 महिलाओं की याचिका इससे अलग माता श्रृंगार गौरी के दर्शन को लेकर थी. माता श्रृंगार गौरी का मंदिर मस्जिद परिसर में ही पीछे की तरह मौजूद है. जहां नियमित दर्शन नहीं होता.
1993 से इस स्थान पर नियमित दर्शन बंद है. सिर्फ चैत्र महीने के नवरात्र की चतुर्थी तिथि को यहां दर्शन खोला जाता है. इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि जब 1992 में अयोध्या में बाबरी कांड हुआ. उसके बाद ज्ञानवापी की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए यहां बैरिकेडिंग लगाई गई और श्रृंगार गौरी मंदिर के ठीक सामने फोर्स का कैंप बना. इसके बाद यहां पर दर्शन पूजन प्रतिबंधित हो गया. तब से यहां नियमित दर्शन नहीं होता और इसी की मांग को लेकर इन 5 महिलाओं ने कोर्ट में याचिका दायर की थी.
तारीखों के जरिए जानिए कब क्या हुआ
- 18 अगस्त, 2021 को राखी सिंह सहित पांच महिलाओं ने सिविल जज सीनियर डिविजन रविकुमार दिवाकर की अदालत में वाद दाखिल किया गया था.
- 8 अप्रैल 2022 को अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा को कोर्ट कमिश्नर बनाकर ज्ञानवापी परिसर की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी का आदेश दिया.
- 19 अप्रैल को यह कार्यवाही होनी थी. लेकिन, ठीक एक दिन पहले जिला प्रशासन और कमिश्नरेट पुलिस ने सुरक्षा कारणों और मस्जिद में सिर्फ सुरक्षाकर्मी और मुसलमानों के ही जाने की अनुमति देने की बात बताकर कार्यवाही को रोकने की मांग की.
- 19 अप्रैल को विपक्षी अंजुमन इंतेजामिया साजिद ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कमीशन कार्यवाही रोकने की गुहार लगाई. हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा.
- 26 अप्रैल को निचली अदालत ने ईद के बाद सर्वे की कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया. आदेश के तहत कोर्ट कमिश्नर ने छह मई को सर्वे करने से कोर्ट को अवगत कराया था.
- 6 मई को एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा की मौजूदगी में कमीशन की कार्यवाही शुरू हुई.
- 7 मई को मस्जिद परिसर में सैकड़ों लोग जमा हो गए और विरोध की वजह से कार्यवाही नहीं हो सकी.
- 12 मई को अदालत ने तहखाने और बंद कमरों सहित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वीडियो सर्वेक्षण को फिर से शुरू करने का आदेश दिया. एडवोकेट कमिश्नर के तौर पर विशाल सिंह व अजय प्रताप सिंह को नियुक्त किया गया.
- 13 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए ज्ञानवापी मस्जिद के एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही को तुरंत रोकने से इनकार किया.
- 14 मई से एक बार फिर एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही शुरू हुई.
- 16 मई को एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान हिंदू पक्ष ने मस्जिद के वजुखाने में शिवलिंग मिलने की बात कही.
- 17 मई को सर्वे रिपोर्ट अदालत में पेश करना करना था.
- 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग को सुरक्षित रखने का आदेश दिया.
- 18 मई को एडवोकेट कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट अदालत में दाखिल की.
- 20 मई को सुप्रीम कोर्ट ने जिला न्यायाधीश वाराणसी को स्थानांतरित करने का आदेश दिया.
- 31 मई को कमीशन की कार्यवाही का वीडियो और फोटो लीक हो गए, जिसके बाद हड़कंप मचा. जिला जज के यहां वादी पक्ष के एक हिस्से में सीबीआई जांच की मांग लेकर प्रार्थना पत्र भी दिया.
- 12 सितंबर को जिला जज ने फैसला सुनाया कि मुकदमा सुनने योग्य है. तब से अब तक इस प्रकरण में सुनवाई जारी है.
- 14 सितम्बर कोर्ट में कार्बन डेटिंग की मांग की गई वादी पक्ष की तरफ से.
- 25 सितंबर को कोर्ट में कार्बन डेटिंग को लेकर हिंदू पक्ष दो धड़े में बंट गया, कोर्ट में एक पक्ष ने कार्बन डेटिंग न होने की याचिका दी.
- 14 अक्टूबर को कोर्ट ने कार्बन डेटिंग की मांग खारिज की वजह बताई कथित शिवलिंग को हो सकता है नुकसान.
- 21 अक्टूबर कोर्ट ने वादी बनने की 18 याचिकाओं को किया खारिज. मुस्लिम पक्ष पर लगाया लेटलतीफी के लिए जुर्माना.
- वर्तमान समय में वादी पक्ष की तरफ से परिसर की पुनः कमीशन कार्यवाही की मांग की गई है. जिस पर मुस्लिम पक्ष विरोध कर रहा है.
अन्य 9 मुकदमे चल रहे अलग-अलग कोर्ट में
- मुख्य मुकदमे के अलावा ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग के पूजा पाठ के अधिकार के लिए विश्व वैदिक सनातन संघ समेत शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और कुछ हिंदूवादी संगठनों की तरफ से ज्ञानवापी परिसर में पूजा का अधिकार और परिसर पर जाने की याचिका पर भी सुनवाई अलग न्यायालय में चल रही है.
- इसके अलावा एमपी एमएलए कोर्ट में असदुद्दीन ओवैसी और अखिलेश यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग वाले प्रार्थना पत्र पर भी सुनवाई जारी है. यह मुकदमा सीनियर एडवोकेट हरिशंकर पांडेय ने दाखिल किया है. उनका आरोप है कि दोनों नेता हिंदू भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से बयानबाजी कर रहे हैं.
- इसके अलावा नवंबर में ज्ञानवापी परिसर में कार्बन डेटिंग की मांग को लेकर याचिका दायर की गई, जिसे कोर्ट ने रिजेक्ट किया और अब मामला हाईकोर्ट में सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है.
इस पूरे मामले में इस मुकदमे के सीनियर एडवोकेट सुभाष नंदन चतुर्वेदी का कहना है कि 2022 निश्चित तौर पर ज्ञानवापी के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हुआ है. 1991 से जो लड़ाई चल रही थी और 350 वर्षों से जिस बात को साबित करने के लिए संघर्ष किया जा रहा था, 2022 में वह तथ्य सामने आए. जिन्होंने पूरे केस की दशा दिशा दोनों बदल दी. कमीशन की कार्यवाही का होना अंदर मस्जिद के हिस्से में मंदिरों की कलाकृति का मिलना. उसमें तमाम घंटियां और सनातन धर्म से जुड़े चिन्हों का मिलना. यह सभी चीजें सबसे चौंकाने वाली थी.
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इसके अलावा वजू खाने में कथित तौर पर शिवलिंग का सामने आना सबको चौंका गया. 2022 में पूरे केस को एक मजबूती प्रदान की है, जो 2023 में निश्चित तौर पर वादी पक्ष के लिए बड़ा महत्वपूर्ण साबित हो सकता है. क्योंकि, जिस तरह से मामला हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है वह कहीं न कहीं से पुराने मुकदमे को भी काफी मदद करेगा और जल्द ही इस पर बड़ा निर्णय भी आ सकता है.