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माता लक्ष्मी का यह व्रत दूर करता है हर दुख-दर्द, जानिए कब से हो रहा शुरू

हर व्यक्ति अपने जीवन में सुख शांति समृद्धि पाने के लिए माता लक्ष्मी की आराधना करता है. जब माता लक्ष्मी की विशेष कृपा पाने की बात की जाती है, तो 16 दिन का विशेष महालक्ष्मी व्रत करना सर्वोत्तम बताया जाता है. इस बार इस सर्वोत्तम व्रत की शुरुआत भाद्र पद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि यानी 13 सितंबर दिन सोमवार से होने जा रही है.

महालक्ष्मी व्रत
महालक्ष्मी व्रत
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Published : Sep 12, 2021, 8:58 PM IST

Updated : Sep 12, 2021, 9:52 PM IST

वाराणसी: घर-परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक करने और सुख-समृद्धि, परिवार की रक्षा के लिए भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की अष्टमी से आश्विन माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तक 16 दिनों का महालक्ष्मी व्रत किया जाता है. इस महालक्ष्मी व्रत में नित्य प्रतिदिन महालक्ष्मी का पूजन किया जाता है. व्रत के प्रभाव से मनुष्य पर महालक्ष्मी माता की कृपा बरसती है और आर्थिक स्थिति ठीक होती है, इससे सुख-समृद्धि का वास होता है. इस साल इस सर्वोत्तम व्रत की शुरुआत भाद्र पद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि यानी 13 सितंबर सोमवार से होने जा रही है. यह व्रत स्त्री-पुरुष दोनों समान रूप से कर सकते हैं. आप भी जानिए इस व्रत का माहात्म्य और विधि विधान.

चाहिए धन धान्य तो यह व्रत उत्तम
ज्योतिषाचार्य श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के पूर्व सदस्य पंडित प्रसाद दीक्षित ने बताया कि महालक्ष्मी व्रत की शुरुवात 13 सितंबर को होने जा रही है. यह माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम व्रत है. 16 दिन तक इस व्रत को करने वाले को बहुत नियमों का पालन करना होता है. 16 दिन तक इसे रखने से धन-धान्य की कमी नहीं होती है और संतान की इच्छा रखने वाले लोगों को भी माता आशीर्वाद प्रदान करती हैं. यह व्रत जीवन की हर समस्याओं के निवारण के लिए रखा जाता है.

पूजा विधि बताते ज्योतिषाचार्य और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के पूर्व सदस्य पंडित प्रसाद दीक्षित
धारण करना होता है खास धागा
पंडित प्रसाद दीक्षित कहते हैं कि व्रत की शुरुआत सुबह स्नान ध्यान के साथ माता लक्ष्मी के पूजन के बाद कच्चे सूत के 16 गांठ लगे माता लक्ष्मी के धागे को धारण करने के बाद होती है. 16 दिन तक इस व्रत को रखने के बाद आखिरी दिन माता लक्ष्मी का पूजन और उद्यापन किया जाता है. इसके लिए माता लक्ष्मी की प्रतिमा को चावल या गेंहूं या अनाज के ऊपर स्थापित करने के बाद उनके दोनों तरफ मिट्टी से बने हाथियों को स्थापित किया जाता है और इसके बाद विधि-विधान से माता लक्ष्मी का पूजन होता है. यह व्रत सर्वोत्तम व्रत माना जाता है इसे सोरैया के नाम से भी जाना जाता है. संतान सप्तमी के रूप में भी इस व्रत को करना संतान की प्राप्ति के लिए विशेष फलदाई माना जाता है.
यह है शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य पंडित प्रसाद दीक्षित ने बताया कि 13 सितंबर की सुबह करीब 5:30 बजे से अष्टमी तिथि प्राप्त होगी. सोमवार 13 सितंबर को पूरा दिन इस व्रत को करने के लिए पूजन किया जा सकता है. 28 सितंबर यानी मंगलवार को यह व्रत पूरा होगा. 16 दिन के इस व्रत में फलाहार किया जा सकता है, लेकिन जो धागा 16 गांठों से युक्त धारण करना है.वह बेहद महत्वपूर्ण होता है. पहले दिन इस धागे को धारण करने के बाद अंतिम दिन पूजा करने के बाद इस कच्चे सूत के धागे माता लक्ष्मी को समर्पित कर दिया जाता है. कच्चे सूत का यह धागा संकल्प सूत्र होता है.
इस मंत्र का करें 16 दिन जाप
ॐ श्री हीम श्रीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं हीम श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः।।

वाराणसी: घर-परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक करने और सुख-समृद्धि, परिवार की रक्षा के लिए भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की अष्टमी से आश्विन माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तक 16 दिनों का महालक्ष्मी व्रत किया जाता है. इस महालक्ष्मी व्रत में नित्य प्रतिदिन महालक्ष्मी का पूजन किया जाता है. व्रत के प्रभाव से मनुष्य पर महालक्ष्मी माता की कृपा बरसती है और आर्थिक स्थिति ठीक होती है, इससे सुख-समृद्धि का वास होता है. इस साल इस सर्वोत्तम व्रत की शुरुआत भाद्र पद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि यानी 13 सितंबर सोमवार से होने जा रही है. यह व्रत स्त्री-पुरुष दोनों समान रूप से कर सकते हैं. आप भी जानिए इस व्रत का माहात्म्य और विधि विधान.

चाहिए धन धान्य तो यह व्रत उत्तम
ज्योतिषाचार्य श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के पूर्व सदस्य पंडित प्रसाद दीक्षित ने बताया कि महालक्ष्मी व्रत की शुरुवात 13 सितंबर को होने जा रही है. यह माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम व्रत है. 16 दिन तक इस व्रत को करने वाले को बहुत नियमों का पालन करना होता है. 16 दिन तक इसे रखने से धन-धान्य की कमी नहीं होती है और संतान की इच्छा रखने वाले लोगों को भी माता आशीर्वाद प्रदान करती हैं. यह व्रत जीवन की हर समस्याओं के निवारण के लिए रखा जाता है.

पूजा विधि बताते ज्योतिषाचार्य और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के पूर्व सदस्य पंडित प्रसाद दीक्षित
धारण करना होता है खास धागा
पंडित प्रसाद दीक्षित कहते हैं कि व्रत की शुरुआत सुबह स्नान ध्यान के साथ माता लक्ष्मी के पूजन के बाद कच्चे सूत के 16 गांठ लगे माता लक्ष्मी के धागे को धारण करने के बाद होती है. 16 दिन तक इस व्रत को रखने के बाद आखिरी दिन माता लक्ष्मी का पूजन और उद्यापन किया जाता है. इसके लिए माता लक्ष्मी की प्रतिमा को चावल या गेंहूं या अनाज के ऊपर स्थापित करने के बाद उनके दोनों तरफ मिट्टी से बने हाथियों को स्थापित किया जाता है और इसके बाद विधि-विधान से माता लक्ष्मी का पूजन होता है. यह व्रत सर्वोत्तम व्रत माना जाता है इसे सोरैया के नाम से भी जाना जाता है. संतान सप्तमी के रूप में भी इस व्रत को करना संतान की प्राप्ति के लिए विशेष फलदाई माना जाता है.
यह है शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य पंडित प्रसाद दीक्षित ने बताया कि 13 सितंबर की सुबह करीब 5:30 बजे से अष्टमी तिथि प्राप्त होगी. सोमवार 13 सितंबर को पूरा दिन इस व्रत को करने के लिए पूजन किया जा सकता है. 28 सितंबर यानी मंगलवार को यह व्रत पूरा होगा. 16 दिन के इस व्रत में फलाहार किया जा सकता है, लेकिन जो धागा 16 गांठों से युक्त धारण करना है.वह बेहद महत्वपूर्ण होता है. पहले दिन इस धागे को धारण करने के बाद अंतिम दिन पूजा करने के बाद इस कच्चे सूत के धागे माता लक्ष्मी को समर्पित कर दिया जाता है. कच्चे सूत का यह धागा संकल्प सूत्र होता है.
इस मंत्र का करें 16 दिन जाप
ॐ श्री हीम श्रीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं हीम श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः।।
Last Updated : Sep 12, 2021, 9:52 PM IST
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