वाराणसीः काशी को धर्म और अध्यात्म की नगरी के साथ क्रांतिकारियों, साहित्य और नेताओं का शहर भी कहा जा सकता है. देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के साथ-साथ समाजवाद प्रणेता डॉ. राम मनोहर लोहिया का भी काशी नगरी से गहरा नाता है. डॉ. राम मनोहर लोहिया की 109वीं जयंती के अवसर हम आप को बताएंगे कि काशी से उनका नाता कैसा रहा.
भारतीय संस्कृति व धर्म से जुड़ी किताबों का अध्ययन
अम्बेडकर नगर जिले के अकबरपुर में 23 मार्च 1910 को जन्मे डॉ. राम मनोहर लोहिया ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सेंट्रल बॉयज स्कूल से 12वीं की परीक्षा पास की. इसके साथ वह शहर की गलियों और घाटों पर काफी वक्त बिताते थे. इसी दौरान उन्होंने भारतीय संस्कृति व धर्म से जुड़ी किताबों का अध्ययन किया. काशी नगरी में ही उन्हें सबसे पहले हिंदी भाषा को लेकर सम्मान की भावना विकसित होने के साथ-साथ इतिहास के प्रति रुचि भी पैदा हुई. इसी के साथ उन्होंने विश्वनाथ मंदिर में पहली बार दलित प्रवेश आंदोलन चलाने के लिए राजनारायण को प्रेरणा दी थी.
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चंदौली सीट से लड़े लोकसभा का चुनाव
1957 में चंदौली लोकसभा सीट से डॉ. राम मनोहर लोहिया लोकसभा चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान पर उतरे थे. लोहिया को हराने के लिए नेहरू जैसे बड़े नेताओं ने ताकत लगा दी. अंत में टीएन सिंह से डॉ. राम मनोहर लोहिया को पराजित होना पड़ा. 1967 में 'अंग्रेजी हटाओ आंदोलन' में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्र नेताओं के साथ बढ़-चढ़कर आंदोलन में हिस्सा लिया, क्योंकि विश्वविद्यालय हिंदी का केंद्र हुआ करता था.
मालवीय जी से मांगी थी नौकरी
डॉ. राम मनोहर लोहिया ने बर्लिन विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में शोध किया था. इस विषय पर उनकी अच्छी पकड़ थी. वहां से लौटने के बाद उन्होंने मालवीय जी से काशी हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ाने की इच्छा जाहिर की मालवीय जी सहस तैयार भी थे, लेकिन विश्वविद्यालय में कोई पद खाली न होने की वजह से इन्हें विश्वविद्यालय का हिस्सा नहीं बनाया गया.