वाराणसीः धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एक अलग ही नजारा देखने को मिला. देश से कोने-कोने से 1008 महिलाओं और युवतियों ने हाथ में दीपक लेकर शिव तांडव स्तोत्र का जाप किया. प्रसिद्ध अस्सी घाट पर भारतीय परिधान में महिलाओं ने शिव तांडव स्तोत्र समापन कार्यक्रम में हिस्सा लिया. इस दौरान हर हर महादेव और बाबा विश्वनाथ के जयकारों से पूरा घाट गूंज उठा.
कई राज्यों की महिलाओं ने लिया हिस्सा
फाउंडेशन फॉर होलिस्टिक डिप्लोमेटिक एडमिशन के तत्वाधान में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में महाराज गुजरात, केरल, हैदराबाद, भुनेश्वर सहित देश कोने से महिलाओं ने हिस्सा लिया. प्रोफेसर समीर खंडेकर ने बताया कोविड-19 में माधुरी सहस्त्रबुद्धे ने इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी. सबसे पहले शिव तांडव स्त्रोत खुद सीखा. उसके बाद अपने इष्ट मित्रों भाई-बहनों को स्रोत सिखाया. यह प्रक्रिया धीरे धीरे बढ़ती जा रही है. इसी तरह 2000 महिलाओं के घरों में शिव तांडव स्त्रोत गया.
कोरोना गाइडलाइंस का किया पालन
महिलाओं और युवतियों ने वाराणसी में 'शिव तांडव स्तोत्र' पाठ के दौरान कोरोना गाइडलाइंस का पालन किया. पूरा घाट रोशनी से नहाया हुआ नजर आया. इस खूबसूरत छठा को देखने के लिए भारी संख्या में लोग पहुंचे थे. इसके अलावा काशी में महाशिवरात्रि के पर्व को प्रशासनिक तैयारियां भी पूरी कर ली गई हैं.
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उन्होंने बताया कि 120 लीडर महिलाओं के नेतृत्व में स्तोत्र को घरों में सिखाया गया. उसी तांडव स्तोत्र का आज समापन यहां पर हुआ है. 1008 महिलाओं ने यहां पर आकर इस महा अभियान में शामिल हुईं और बाकी महिलाएं ऑनलाइन इस कार्यक्रम में जुड़ीं. ऑनलाइन और ऑफलाइन मिलाकर लगभग 1400 महिलाओं इस कार्यक्रम में जुड़ीं.