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उन्नावः दंगल में पहलवानों ने दिखाए दांव-पेंच, दर्शकों ने बढ़ाया हौसला

उत्तर प्रदेश के उन्नाव में ऐतिहासिक दंगल का आयोजन किया गया. यहां आयोजित दंगल को देखने के लिए दूर-दूर से लोग देखने आए. वहीं पहलवानों का कहना है कि अगर सरकार बजट पास करके पहलवानों की मदद करे तो पहलवान देश का नाम रोशन कर सकेंगे.

दंगल प्रतियोगिता में विजयी पहलवान.
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Published : Nov 4, 2019, 7:34 PM IST

उन्नावः बीघापुर विकासखंड की ग्रामसभा मगरायर में विशाल दंगल का आयोजन किया गया. यह ऐतिहासिक दंगल है, जो बीते कई सालों से होती चली आ रही है. गांव वाले मिलकर एकता के प्रतीक के साथ दंगल का आयोजन करते हैं. यहां दंगल देखने लिए दूर-दूर गांवों के लोग आते हैं. दंगल के दांव-पेंच देखने व पसंदीदा खिलाड़ी की जीत पर कहीं तालियां बजती हैं तो खुद के खिलाड़ी का दांव उलटा देख लोग हौसला अफजाई करते नजर आते हैं.

दंगल में पहलवानों ने दिखाए दांव-पेंच.

जहां मिली जगह वहीं बैठे लोग
इस दौरान जिसको जहां जैसे जगह मिली वह वहीं बैठ गया. दंगल में सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. वहीं काफी सालों से दंगल में आ रहे पहलवान अपने परिवार और अपनी कमाई के जरिये ही इस खेल में जान डाले हुए हैं. दंगल में आए पहलवान बब्बी ने बताया कि वह अपने अखाड़े और गुरु के लिए पहलवानी करते हैं. बब्बी ने बताया कि अपने खर्चों को मैनेज करने के लिए घर वालों से पैसे लेते हैं और जब पहलवानी शुरू करते हैं तो अखाड़ों से कुछ पैसा मिल जाया करता है.

पढ़ें- उन्नाव: दिवाली के पटाखों ने जिंदगी में घोला जहर, अस्पताल में बढ़ी मरीजों की संख्या

पहलवानों को सरकार से मदद की उम्मीद
वहीं राहुल पहलवान ने बताया कि वह किसी तरह अपना खर्चा मैनेज करते हैं. कई बार घरवाले मैनेज करवाते हैं. वहीं राहुल पहलवान ने सरकार से दंगल के लिए बजट देने की मांग की. पहलवान ने कहा कि बजट दिया जाना चाहिए. सबसे ज्यादा मेहनत इस खेल के अंदर होती है. इस खेल के लिए खिलाड़ियों को सबसे ज्यादा मेहनत अपनी डाइट पर करनी होती है, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण पहलवान ऐसा नहीं कर पाते हैं. यदि सरकार कुश्ती के लिए बजट का इंतजाम कर दे तो कई प्रतिभाएं निकल सामने आएंगी और देश का नाम रोशन करेंगी.

उन्नावः बीघापुर विकासखंड की ग्रामसभा मगरायर में विशाल दंगल का आयोजन किया गया. यह ऐतिहासिक दंगल है, जो बीते कई सालों से होती चली आ रही है. गांव वाले मिलकर एकता के प्रतीक के साथ दंगल का आयोजन करते हैं. यहां दंगल देखने लिए दूर-दूर गांवों के लोग आते हैं. दंगल के दांव-पेंच देखने व पसंदीदा खिलाड़ी की जीत पर कहीं तालियां बजती हैं तो खुद के खिलाड़ी का दांव उलटा देख लोग हौसला अफजाई करते नजर आते हैं.

दंगल में पहलवानों ने दिखाए दांव-पेंच.

जहां मिली जगह वहीं बैठे लोग
इस दौरान जिसको जहां जैसे जगह मिली वह वहीं बैठ गया. दंगल में सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. वहीं काफी सालों से दंगल में आ रहे पहलवान अपने परिवार और अपनी कमाई के जरिये ही इस खेल में जान डाले हुए हैं. दंगल में आए पहलवान बब्बी ने बताया कि वह अपने अखाड़े और गुरु के लिए पहलवानी करते हैं. बब्बी ने बताया कि अपने खर्चों को मैनेज करने के लिए घर वालों से पैसे लेते हैं और जब पहलवानी शुरू करते हैं तो अखाड़ों से कुछ पैसा मिल जाया करता है.

पढ़ें- उन्नाव: दिवाली के पटाखों ने जिंदगी में घोला जहर, अस्पताल में बढ़ी मरीजों की संख्या

पहलवानों को सरकार से मदद की उम्मीद
वहीं राहुल पहलवान ने बताया कि वह किसी तरह अपना खर्चा मैनेज करते हैं. कई बार घरवाले मैनेज करवाते हैं. वहीं राहुल पहलवान ने सरकार से दंगल के लिए बजट देने की मांग की. पहलवान ने कहा कि बजट दिया जाना चाहिए. सबसे ज्यादा मेहनत इस खेल के अंदर होती है. इस खेल के लिए खिलाड़ियों को सबसे ज्यादा मेहनत अपनी डाइट पर करनी होती है, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण पहलवान ऐसा नहीं कर पाते हैं. यदि सरकार कुश्ती के लिए बजट का इंतजाम कर दे तो कई प्रतिभाएं निकल सामने आएंगी और देश का नाम रोशन करेंगी.

Intro: अगर आसपास कहीं दंगल चल रहा हो तो पैर बिना उस तरफ जाए रुक नहीं सकते । कुश्ती के दांव-पेंच देखना और उस पर जोर लगाना सभी को पसंद है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दंगल लड़ने वाले इन पहलवानों का खर्चा कैसे चलता होगा ? दांव-पेंच लगाने के लिए उस तरह का खाना-पीना कैसे करते होंगे? वो भी तब जब दंगल के लिए कोई बजट ही ना हो । ये जानकर आप हैरान रह जाएंगे कि दंगल करने वाले पहलवान अपनी जेब से खर्च कर और परिवार के सहारे कुश्ती लड़ते हैं। उन्नाव की बीघापुर विकासखंड की ग्राम सभा मगरायर में विशाल दंगल का आयोजन किया गया । जिसमें पहलवानों ने जमकर एक दूसरे को पटखनी दी।
Body: उन्नाव के बीघापुर विकासखंड की ग्रामसभा मगरायर में विशाल दंगल का आयोजन किया गया। आपको बता दें कि यहां ऐतिहासिक दंगल होता है, जो बीते कई सालों से होता चला आ रहा है। गांव वाले मिलकर एकता के प्रतीक के साथ दंगल का आयोजन करते हैं। यहां दंगल देखने लिए दूर-दूर से गांवों के लोग आते हैं। दंगल के दांव-पेंच देखने पसंदीदा खिलाड़ी की जीत पर कहीं तालियां बजती हैं तो खुद के खिलाड़ी का दांव उलटा देख लोग हौसला अफजाई करते नजर आते हैं। इस दौरान जिसको जहां जैसे जगह मिली वो वहीं बैठ गया। दंगल के मैदान में सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। वहीं काफी सालों से दंगल का खेल रहे खिलाड़ी अपने परिवार और अपनी कमाई के जरिये ही इस खेल में जान डाले हुए हैं। दंगल में आए पहलवान बब्बी ने बताया कि वो अपने अखाड़े और गुरु के लिए पहलवानी करते हैं। बब्बी ने बताया कि अपने खर्चों को मैनेज करने के लिए घर वालों से पैसे लेते हैं और जब पहलवानी शुरू करते हैं तो अखाड़ों से कुछ पैसा मिल जाया करता है। उसी से अपनी डाइट मैनेज करते हैं। वहीं राहुल पहलवान ने बताया कि वे किसी तरह खर्चा मैनेज करते हैं कई बार घरवाले मैनेज करवाते हैं। फिर उसके बाद दंगल लड़ते हैं कंपटीशन में जाते हैं। वहीं राहुल पहलवान ने भी सरकार से दंगल के लिए बजट देने की मांग की। पहलवान राहुल ने कहा कि बजट दिया जाना चाहिए सबसे ज्यादा मेहनत इस खेल के अंदर होती है। इस खेल के लिए खिलाड़ियों को सबसे ज्यादा मेहनत अपनी डाइट पर करनी होती है लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण पहलवान ऐसा नही कर पाते हैं। यदि सरकार कुश्ती के लिए बजट का इंतजाम कर दे तो कई प्रतिभाएं निकल सामने आएंगी और देश का नाम रोशन करेंगी।


बाइट- बब्बी, पहलवान ।

बाइट- राहुल, पहलवान ।Conclusion:
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