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उन्नाव के प्रताप सिंह 'मोती' से लिख रहे अपना भविष्य...

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Published : Oct 8, 2019, 4:56 PM IST

उत्तर प्रदेश में उन्नाव के प्रताप सिंह वर्मा अपने घर पर ही कृत्रिम रुप से मोती की खेती कर रहे हैं. प्रताप इंटरनेट के जरिए मोती की खेती के बारे में जानकारी हासिल की. प्रताप ने आज उसे अपना बिजनेस बना लिया है.

मोती की खेती

उन्नाव : हम सब ने आज तक फलों और सब्जियों की खेती करते हुए लोगों को तो बहुत देखा है. लेकिन क्या आप ने कभी किसी को मोती की खेती करते हुए देखा है, वो भी घर पर. जिस मोती को पिरो कर माला बनाते हैं, उसी मोती की खेती सफीपुर कस्बे के प्रताप सिंह वर्मा एक छोटे से कमरे में कर रहे हैं.

उन्नाव के किसान प्रताप सिंह की कहानी.

आर्थिक तंगी बनी वजह
आर्थिक तंगी से जूझ रहे प्रताप ने इंटरनेट के जरिये कृत्रिम विधि द्वारा मोती की खेती के बारे में जानकारी हासिल की. फिर गाजियाबाद में ट्रेनिंग के बाद मोती की खेती शुरू कर दी.

इसे भी पढ़ें - आस्था के मंच पर लगे ठुमके, लुत्फ उठाते नजर आए ईओ साहब

एक कमरे में करते हैं खेती
प्रताप बताते हैं कि गंगा नदी से शीप खरीदकर पानी के छोटे-छोटे तीन जारों में 1000 शीप डालकर उनका भरण पोषण करते हैं. कमरे का तापमान 30 डिग्री से कम रखने के लिए सभी जारो में वाटर प्रोसेसिंग के जरिये शीपों के लिए तापमान अनुकूल रखते हैं. प्रताप ने बताया कि वह दो तरह के मोती की खेती कर रहे हैं. जिसमे एक मोती तैयार होने में जहां एक वर्ष लगेंगे वहीं दूसरी तरह का डिजायनर मोती तैयार होने में लगभग दो साल लगेगें. प्रताप ने बताया कि शीपों के अंदर ऑपरेशन के जरिये बीज डाला जाता है. जिसके बाद शीप के अंदर मोती की लेयर तैयार होती है.

उन्नाव : हम सब ने आज तक फलों और सब्जियों की खेती करते हुए लोगों को तो बहुत देखा है. लेकिन क्या आप ने कभी किसी को मोती की खेती करते हुए देखा है, वो भी घर पर. जिस मोती को पिरो कर माला बनाते हैं, उसी मोती की खेती सफीपुर कस्बे के प्रताप सिंह वर्मा एक छोटे से कमरे में कर रहे हैं.

उन्नाव के किसान प्रताप सिंह की कहानी.

आर्थिक तंगी बनी वजह
आर्थिक तंगी से जूझ रहे प्रताप ने इंटरनेट के जरिये कृत्रिम विधि द्वारा मोती की खेती के बारे में जानकारी हासिल की. फिर गाजियाबाद में ट्रेनिंग के बाद मोती की खेती शुरू कर दी.

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एक कमरे में करते हैं खेती
प्रताप बताते हैं कि गंगा नदी से शीप खरीदकर पानी के छोटे-छोटे तीन जारों में 1000 शीप डालकर उनका भरण पोषण करते हैं. कमरे का तापमान 30 डिग्री से कम रखने के लिए सभी जारो में वाटर प्रोसेसिंग के जरिये शीपों के लिए तापमान अनुकूल रखते हैं. प्रताप ने बताया कि वह दो तरह के मोती की खेती कर रहे हैं. जिसमे एक मोती तैयार होने में जहां एक वर्ष लगेंगे वहीं दूसरी तरह का डिजायनर मोती तैयार होने में लगभग दो साल लगेगें. प्रताप ने बताया कि शीपों के अंदर ऑपरेशन के जरिये बीज डाला जाता है. जिसके बाद शीप के अंदर मोती की लेयर तैयार होती है.

Intro:उन्नाव:-नदियों और समंदर से तो आप सभी ने मोतियों को निकलते हुए देखा होगा लेकिन क्या आपने एक छोटे से पानी के जार में मोतियों की खेती के बारे में सुना है जी हां सफीपुर कसबे के रहने वाले प्रताप सिंह वर्मा ने एक छोटे से कमरे में मोतियों की खेती शुरू की है आर्थिक तंगी से जूझ रहे प्रताप ने इंटरनेट के जरिये कृत्रिम विधि द्वारा मोती की खेती के बारे में जानकारी हासिल की और गाजियाबाद में ट्रेनिंग के बाद मोती की खेती शुरू कर दी है छोटे छोटे पानी के ज़ार में शिपो को ड़ालकर वाटर प्रोसेसिंग के जरिये तापमान अनुकूल रखकर उनका भरण पोषण कर प्रताप मोती की खेती में जुट गए है।


Body:उन्नाव के सफीपुर कसबे का रहने वाला प्रताप सिंह वर्मा मूलतः किसान है लेकिन पिछले कुछ समय से खेती में हो रहे नुकसान से परेशान प्रताप ने इंटरनेट पर कृत्रिम विधि से मोती की खेती के बारे में जानकारी ली और गाजियाबाद में ट्रेनिंग के बाद मकान के छोटे से कमरे में मोती की खेती शुरू कर दी है गंगा नदी से शीप खरीदकर पानी के छोटे छोटे 3 जारो में 1000 शीप रखकर उनका भरण पोषण शुरू कर दिया है कमरे का तापमान 30 डिग्री से कम रखने के लिए सभी जारो में वाटर प्रोसेसिंग के जरिये शिपो के लिए तापमान अनुकूल करके उनका पालन कर रहे है प्रताप सिंह की माने तो तो वो 2 तरह के मोती की खेती कर रहे है जिसमे एक मोती तैयार होने में जहां एक वर्ष लगेंगे वही दूसरी तरह का डिजायनर मोती तैयार होने में 22 से 24 महीने लगेंगे यही नही प्रताप ने बताया कि शिपो के अंदर ऑपरेशन के जरिये बीज डाला जाता है जिसके बाद शीप के अंदर मोती की लेयर तैयार होती है प्रताप की माने तो इस काम मे उसे अच्छा मुनाफा होने की उम्मीद है।

बाईट--प्रताप सिंह वर्मा (किसान)


Conclusion:वीरेंद्र यादव
उन्नाव
मो-9839757000
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