उन्नाव : हम सब ने आज तक फलों और सब्जियों की खेती करते हुए लोगों को तो बहुत देखा है. लेकिन क्या आप ने कभी किसी को मोती की खेती करते हुए देखा है, वो भी घर पर. जिस मोती को पिरो कर माला बनाते हैं, उसी मोती की खेती सफीपुर कस्बे के प्रताप सिंह वर्मा एक छोटे से कमरे में कर रहे हैं.
आर्थिक तंगी बनी वजह
आर्थिक तंगी से जूझ रहे प्रताप ने इंटरनेट के जरिये कृत्रिम विधि द्वारा मोती की खेती के बारे में जानकारी हासिल की. फिर गाजियाबाद में ट्रेनिंग के बाद मोती की खेती शुरू कर दी.
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एक कमरे में करते हैं खेती
प्रताप बताते हैं कि गंगा नदी से शीप खरीदकर पानी के छोटे-छोटे तीन जारों में 1000 शीप डालकर उनका भरण पोषण करते हैं. कमरे का तापमान 30 डिग्री से कम रखने के लिए सभी जारो में वाटर प्रोसेसिंग के जरिये शीपों के लिए तापमान अनुकूल रखते हैं. प्रताप ने बताया कि वह दो तरह के मोती की खेती कर रहे हैं. जिसमे एक मोती तैयार होने में जहां एक वर्ष लगेंगे वहीं दूसरी तरह का डिजायनर मोती तैयार होने में लगभग दो साल लगेगें. प्रताप ने बताया कि शीपों के अंदर ऑपरेशन के जरिये बीज डाला जाता है. जिसके बाद शीप के अंदर मोती की लेयर तैयार होती है.