उन्नाव: एक तरफ जहां अयोध्या फैसले को लेकर हर जगह साम्प्रदायिक सद्भाव बिगड़ने की चिंता सताने लगी है. वहीं उन्नाव जिले में एक ऐसे व्यक्ति भी हैं जो आपसी भाईचारे की मिसाल पेश कर रहे हैं. जिले के केसरबाग निवासी मोहम्मद अहमद इंसानियत की किसी जीती जागती मिसाल से कम नहीं हैं, क्योंकि जिन लाशों का कोई वारिस नहीं होता ऐसी लावारिस लाशों का मोहम्मद अहमद अंतिम क्रिया-कर्म खुद ही अपने पैसों से करते हैं.
लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर इंसानियत की मिसाल पेश कर रहे हैं मो. अहमद
उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में रहने वाले मोहम्मद अहमद हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश कर रहे हैं. जब कभी भी लावारिस लाश के अंतिम संस्कार की बात सुनने में आती है तो वहां मो. अहमद खुद ही पहुंच जाते हैं और शव का अंतिम संस्कार करते हैं.
मोहम्मद अहमद.
उन्नाव: एक तरफ जहां अयोध्या फैसले को लेकर हर जगह साम्प्रदायिक सद्भाव बिगड़ने की चिंता सताने लगी है. वहीं उन्नाव जिले में एक ऐसे व्यक्ति भी हैं जो आपसी भाईचारे की मिसाल पेश कर रहे हैं. जिले के केसरबाग निवासी मोहम्मद अहमद इंसानियत की किसी जीती जागती मिसाल से कम नहीं हैं, क्योंकि जिन लाशों का कोई वारिस नहीं होता ऐसी लावारिस लाशों का मोहम्मद अहमद अंतिम क्रिया-कर्म खुद ही अपने पैसों से करते हैं.
Intro:उन्नाव:--जहां एक तरफ जैसे जैसे अयोध्या फैसले की तारीख नजदीक आती जा रही वैसे वैसे साम्प्रदायिक सदभाव बिगड़ने की चिंता सताने लगी है लेकिन उन्नाव में एक ऐसा नाम है जो आपसी भाईचारे की मिशाल है और वो नाम है उन्नाव के केसरबाग के रहने वाले मोहम्मद अहमद का जो इंसानियत की किसी जीती जागती मिशाल से कम नही है क्योकि जिन लाशों का कोई वारिश नही होता ऐसी लावारिश लाशों का मोहम्मद अहमद अंतिम क्रियाकर्म खुद अपने पैसों से करते है पुलिस को जैसे ही किसी इलाके में लावारिश लाश मिलती है पोस्टमार्टम के बाद फौरन वो मोहम्मद अहमद से संपर्क करती है फिर वो लाश चाहे किसी भी धर्म के व्यक्ति की हो मोहम्मद अहमद उसका अंतिम क्रियाकर्म स्वयं करते है खास बात ये है कि कई दिन पुरानी लाश होने पर जिसे कोई छूना भी नही चाहता मोहम्मद अहमद उन लाशों के कफ़न और दफन की व्यवस्था करते है यही नही इसके लिए मोहम्मद अहमद किसी से कोई पैसा नही लेते बल्कि कब्रिस्तान में आने वाली लाशों के वारिशों से चंदा लेकर उन लावारिश लाशों का भी अंतिम क्रियाकर्म करते है।
Body:
उन्नाव जिले में मिलने वाली लावारिश लाशों के कफ़न और दफन की जिम्मेदारी मोहम्मद अहमद बखूबी निभाते है पुलिस को जैसे ही कोई लावारिश लाश मिलती है पोस्टमार्टम के बाद वो फौरन मोहम्मद से संपर्क करता है और उस लाश को उनके कब्रिस्तान तक पहुचा देता है वही मोहम्मद अहमद पहले से लाश के अंतिम क्रियाकर्म की तैयारी कर लेते और लाश आते ही आगे की प्रक्रिया शुरू हो जाती है खास बात ये है कि लावारिश लाश चाहे हिन्दू की हो या मुस्लिम की मोहम्मद अहमद उसी एहतराम के साथ उनका अंतिम क्रियाकर्म करते है लाश को दफन करने के लिए मोहम्मद अहमद अपने सहयोगियों के साथ पहले गड्ढा खोदते है और लाश को नहला धुलाकर सारे रिवाज़ो के साथ उसे दफन कर देते है वही हैरानी की बात तो ये है इन लावारिश लाशों के अंतिम क्रियाकर्म के लिए मोहम्मद अहमद ना तो पुलिस से कोई पैसा लेते है और ना ही किसी जन प्रतिनिधि के सामने हाथ फैलाते है कब्रिस्तान में अंतिम यात्रा में शामिल होने आने वाले लोगो से मोहम्मद अहमद चादर फैलाकर चंदे की गुजारिश करते है और जिसकी जो मर्जी होती है उस चादर पर रख देता है और उसी पैसे से मोहम्मद अहमद लावारिश लाशों के अंतिम क्रियाकर्म में आने वाले खर्च को उठाते है यही नही कब्रिस्तान में मोहम्मद अहमद ने चारो तरफ वृक्षारोपण कर हरियाली कर रखी है और वो लोगो से भी पेड़ लगाने की अपील करते है।
बाईट-मोहम्मद अहमद (जन सेवक)
Conclusion:वीरेंद्र यादव
उन्नाव
मो-9839757000
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उन्नाव जिले में मिलने वाली लावारिश लाशों के कफ़न और दफन की जिम्मेदारी मोहम्मद अहमद बखूबी निभाते है पुलिस को जैसे ही कोई लावारिश लाश मिलती है पोस्टमार्टम के बाद वो फौरन मोहम्मद से संपर्क करता है और उस लाश को उनके कब्रिस्तान तक पहुचा देता है वही मोहम्मद अहमद पहले से लाश के अंतिम क्रियाकर्म की तैयारी कर लेते और लाश आते ही आगे की प्रक्रिया शुरू हो जाती है खास बात ये है कि लावारिश लाश चाहे हिन्दू की हो या मुस्लिम की मोहम्मद अहमद उसी एहतराम के साथ उनका अंतिम क्रियाकर्म करते है लाश को दफन करने के लिए मोहम्मद अहमद अपने सहयोगियों के साथ पहले गड्ढा खोदते है और लाश को नहला धुलाकर सारे रिवाज़ो के साथ उसे दफन कर देते है वही हैरानी की बात तो ये है इन लावारिश लाशों के अंतिम क्रियाकर्म के लिए मोहम्मद अहमद ना तो पुलिस से कोई पैसा लेते है और ना ही किसी जन प्रतिनिधि के सामने हाथ फैलाते है कब्रिस्तान में अंतिम यात्रा में शामिल होने आने वाले लोगो से मोहम्मद अहमद चादर फैलाकर चंदे की गुजारिश करते है और जिसकी जो मर्जी होती है उस चादर पर रख देता है और उसी पैसे से मोहम्मद अहमद लावारिश लाशों के अंतिम क्रियाकर्म में आने वाले खर्च को उठाते है यही नही कब्रिस्तान में मोहम्मद अहमद ने चारो तरफ वृक्षारोपण कर हरियाली कर रखी है और वो लोगो से भी पेड़ लगाने की अपील करते है।
बाईट-मोहम्मद अहमद (जन सेवक)
Conclusion:वीरेंद्र यादव
उन्नाव
मो-9839757000