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जानिए क्या होगा, जब इन पटरियों से गुजरेगी 130 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार वाली 'तेजस'

4 अक्टूबर को लखनऊ से दिल्ली के बीच चलने वाली 'तेजस एक्सप्रेस' पटरी पर उतरेगी. लेकिन लखनऊ से कानपुर के बीच रेलवे ट्रैक पुराना व जर्जर होने के कारण यह चिन्ता बनी हुई है कि कैसे 130 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार वाली तेजस इन पटरियों पर दौड़ेगी.

कैसे इन पटरियों से गुजरेगी तेजस.
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Published : Oct 3, 2019, 10:15 PM IST

उन्नाव: हाईस्पीड व बहुप्रतीक्षित 'तेजस एक्सप्रेस' का इंतजार अब लखनऊ-दिल्ली रेलमार्ग पर खत्म होने वाला है. मगर 130 किलोमीटर प्रतिघंटा की औसत स्पीड वाली 'तेजस' के लखनऊ-कानपुर रेल मार्ग की पटरियां मनमाफिक नहीं है. इसका कारण रेलमार्ग पर कई जगह पुरानी व जर्जर पटरियां हैं, जो आए दिन 80-100 किलोमीटर प्रति घंटा स्पीड वाली पैसेंजर व एक्सप्रेस ट्रेनों के दबाव में ही चटक रही हैं.

जानकारी देते संवाददाता.

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जर्जर पड़ी हैं पटरियां
गंगाब्रिज के उन्नाव आउटर पर ही कई जगह पेन्ड्रोल क्लिप ढीली पड़ी हैं. रेलवे की लापरवाही की बानगी यहीं नहीं थमती, रेल पटरी का वह स्थान जहां से रेल की मेन लाइन बनती है, वहां भी जॉइंट से नट बोल्ट गायब है. ऐसे में 'तेजस एक्सप्रेस' का संचालन जर्जर पटरियों पर लड़खड़ा भी सकता है.

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खत्म हुआ तेजस का इंतजार
लखनऊ से दिल्ली के बीच चलने वाली 'तेजस एक्सप्रेस' लंबे समय से लखनऊ-कानपुर ट्रैक के रास्ते दिल्ली के बीच चलाने की रेलवे मंत्रालय तैयारी कर रहा था, इसका इंतजार अब खत्म हो चुका है.

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सीएम योगी दिखाएंगे हरी झंडी
रेलवे के मुताबिक 4 अक्टूबर दिन शुक्रवार को पहली बार 'तेजस एक्सप्रेस' नार्दन रेलवे के चारबाग रेलवे स्टेशन से वाया उन्नाव-कानपुर के रास्ते दिल्ली के लिए प्रस्थान करेगी. तैयारियों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखनऊ जंक्शन से 'तेजस एक्सप्रेस' को हरी झंडी दिखाएंगे.

लखनऊ-दिल्ली के बीच चलने वाली 12004-12005 स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस भी उन्नाव जंक्शन व गंगाब्रिज पर पहुंचते ही हांफने को मजबूर है. इसके अलावा मगरवारा, अजगैन, सोनिक रेलवे स्टेशनों के बीच भी स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस समेत अन्य एक्सप्रेस ट्रेनों की रफ्तार में लगाम लगता है. ऐसे में तेजस एक्सप्रेस अपनी औसत स्पीड में फर्राटा भरते दिखाई नहीं दे रही है.

आपको बता दें कि लखनऊ-कानपुर के बीच अकेले सितंबर माह में दो से तीन बार रेल पटरियां टूट चुकी हैं, जिससे रेल संचालन प्रभावित होने के साथ कई हादसे भी होने से बचे. ऐसे में सवाल उठता है कि जब इन पटरियों से 130 किमी. प्रति घंटा से चलने वाली 'तेजस एक्सप्रेस' गुजरेगी तो क्या हाल होगा. फिलहाल उन्नाव जंक्शन पर तैनात स्थानीय अधिकारी तेजस एक्सप्रेस संचालन को लेकर तैयारियों में जुटे हैं.

उन्नाव: हाईस्पीड व बहुप्रतीक्षित 'तेजस एक्सप्रेस' का इंतजार अब लखनऊ-दिल्ली रेलमार्ग पर खत्म होने वाला है. मगर 130 किलोमीटर प्रतिघंटा की औसत स्पीड वाली 'तेजस' के लखनऊ-कानपुर रेल मार्ग की पटरियां मनमाफिक नहीं है. इसका कारण रेलमार्ग पर कई जगह पुरानी व जर्जर पटरियां हैं, जो आए दिन 80-100 किलोमीटर प्रति घंटा स्पीड वाली पैसेंजर व एक्सप्रेस ट्रेनों के दबाव में ही चटक रही हैं.

जानकारी देते संवाददाता.

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गंगाब्रिज के उन्नाव आउटर पर ही कई जगह पेन्ड्रोल क्लिप ढीली पड़ी हैं. रेलवे की लापरवाही की बानगी यहीं नहीं थमती, रेल पटरी का वह स्थान जहां से रेल की मेन लाइन बनती है, वहां भी जॉइंट से नट बोल्ट गायब है. ऐसे में 'तेजस एक्सप्रेस' का संचालन जर्जर पटरियों पर लड़खड़ा भी सकता है.

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खत्म हुआ तेजस का इंतजार
लखनऊ से दिल्ली के बीच चलने वाली 'तेजस एक्सप्रेस' लंबे समय से लखनऊ-कानपुर ट्रैक के रास्ते दिल्ली के बीच चलाने की रेलवे मंत्रालय तैयारी कर रहा था, इसका इंतजार अब खत्म हो चुका है.

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रेलवे के मुताबिक 4 अक्टूबर दिन शुक्रवार को पहली बार 'तेजस एक्सप्रेस' नार्दन रेलवे के चारबाग रेलवे स्टेशन से वाया उन्नाव-कानपुर के रास्ते दिल्ली के लिए प्रस्थान करेगी. तैयारियों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखनऊ जंक्शन से 'तेजस एक्सप्रेस' को हरी झंडी दिखाएंगे.

लखनऊ-दिल्ली के बीच चलने वाली 12004-12005 स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस भी उन्नाव जंक्शन व गंगाब्रिज पर पहुंचते ही हांफने को मजबूर है. इसके अलावा मगरवारा, अजगैन, सोनिक रेलवे स्टेशनों के बीच भी स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस समेत अन्य एक्सप्रेस ट्रेनों की रफ्तार में लगाम लगता है. ऐसे में तेजस एक्सप्रेस अपनी औसत स्पीड में फर्राटा भरते दिखाई नहीं दे रही है.

आपको बता दें कि लखनऊ-कानपुर के बीच अकेले सितंबर माह में दो से तीन बार रेल पटरियां टूट चुकी हैं, जिससे रेल संचालन प्रभावित होने के साथ कई हादसे भी होने से बचे. ऐसे में सवाल उठता है कि जब इन पटरियों से 130 किमी. प्रति घंटा से चलने वाली 'तेजस एक्सप्रेस' गुजरेगी तो क्या हाल होगा. फिलहाल उन्नाव जंक्शन पर तैनात स्थानीय अधिकारी तेजस एक्सप्रेस संचालन को लेकर तैयारियों में जुटे हैं.

Intro: हाईस्पीड व बहुप्रतीक्षित तेजस एक्सप्रेस का इंतजार अब लखनऊ-दिल्ली रेलमार्ग पर खत्म होने वाला है । मगर 130 किलोमीटर प्रतिघंटा की औसत स्पीड वाली 'तेजस' के मनमाफिक लखनऊ- कानपुर रेल मार्ग की पटरियां नहीं है। यह हम नही कह रहे है । इसका प्रमाण रेलमार्ग पर कई जगह पुरानी व जर्जर है पटरियां है । जो आए दिन 80 से 100 किलोमीटर प्रति घंटा स्पीड वाली पैसेंजर व एक्सप्रेस ट्रेनों की दबाव में ही चटक रही है । साथ ही गगाब्रिज के टूटे टर्फ व उन्नाव आउटर पर ही कई जगह पटरियों से गायब व जगह-जगह ढीली पड़ी पेन्ड्रोल क्लिप है । रेलवे की लापरवाही की बानगी यही नही थमती है, रेल पटरी का वह स्थान जहाँ से रेल की मेंन लाइन बनती है। वहां भी जॉइंट से नट बोल्ट गायब है । ऐसे में हवा की स्पीड में बात करने वाली तेजस एक्सप्रेस का संचालन जर्जर पटरियों पर लड़खड़ा भी सकता है। जो यात्रियों को भी मुश्किल में डाल सकता है ।

Body: लखनऊ से दिल्ली के बीच लग्जरी वातानुकूलित हाई प्रोफाइल ट्रेन यानी कि तेजस एक्सप्रेस लंबे समय से लखनऊ-कानपुर ट्रैक के रास्ते दिल्ली के बीच चलाने की रेलवे मंत्रालय तैयारी कर रहा था । जिसका इंतजार अब फिलहाल खत्म हो चुका है । रेलवे के मुताबिक 4 अक्टूबर दिन शुक्रवार (कल) पहली बार तेजस एक्सप्रेस नार्दन रेलवे के चारबाग रेलवे स्टेशन (लखनऊ) से वाया उन्नाव- कानपुर के रास्ते दिल्ली के लिए सुबह पहली बार 12 कोच वाली लग्जरी तेजस एक्सप्रेस प्रस्थान करेगी। तैयारियों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखनऊ जंक्शन से तेजस एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाएंगे।
Conclusion:लखनऊ से कानपुर के बीच लगभग 72 km का सफर तेजस एक्सप्रेस तय करेगी । लखनऊ और कानपुर के बीच स्थित उन्नाव जंक्शन से मगरवारा व गंगाब्रिज के बीच कई स्थानों पर रेल पटरियां पुरानी होने से काफी कमजोर हो गई हैं । इसके अलावा कानपुर छोर पर उन्नाव सीमा स्थित गंगाब्रिज जो ब्रिटिश शासन काल मे बनाया गया था । जो दशको पुराना होने से रेल ट्रैक पर लगे लोहे के टर्फ काफी पुराने होने से उन में छेद हो गए हैं । जिससे ट्रैक से सीधे गंगा जी को देखा जा सकता है । इसके अलावा कई स्थानों पर रेलवे पटरी को सपोर्ट करने वाली पेन्ड्रोल क्लिप भी गायब है । और कई स्थानों पर ढ़ीली होकर स्लीपर से सपोर्ट कमजोर हो गया है। यह आप कैमरे से खुद ही देख सकते है । हालात तब है, जब 130 किलोमीटर की स्पीड से बहुप्रतीक्षित तेजस एक्सप्रेस को गुजरने में अब महज कुछ घंटे का समय बाकी है । आपको बता दें कि लखनऊ कानपुर के बीच अकेले सितंबर माह में दो से तीन बार रेल पटरियां टूट चुकी है । जिससे रेल संचालन प्रभावित होने के साथ ही, रेल हादसे भी बाल बाल बचे। यह हालात तब है, जब रेल इस ट्रैक से महज 80 से 80 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली ट्रेनें गुजर रही है । ऐसे हालातों में 130 किलोमीटर प्रति घंटा से चलने वाली तेजस एक्सप्रेस गुजरेगी तो क्या हाल होगा, इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है ।

लखनऊ कानपुर रेलमार्ग पर ट्रेनों की कागजों पर औसत स्पीड 110 किलोमीटर प्रतिघंट है। कई स्थानों पर पटरियों के कमजोर होने से अधिकांश ट्रेनें औसत स्पीड में फराटा नहीं भर पाती । बता दें कि लखनऊ-दिल्ली के बीच चलने वाली 12004-12005 स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस भी उन्नाव जंक्शन व गंगाब्रिज पर पहुंचते ही हांफने को मजबूर है । इसके अलावा मगरवारा, अजगैन, सोनिक रेलवे स्टेशनों के बीच भी स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस समेत अन्य एक्सप्रेस ट्रेनों की रफ्तार में लगाम लगता है । ऐसे में तेजस एक्सप्रेस अपनी औसत स्पीड में फर्राटा भरते दिखाई नहीं दे रही है।

तेजस एक्सप्रेस संचालन को लेकर उन्नाव जंक्शन पर तैनात स्थानीय अधिकारी तैयारियों में जुटे है । रेलवे की इंजीनियरिंग विभाग टीम सदस्य उन्नाव रेलवे स्टेशन आउटर व प्लेटफार्म पर इलेक्ट्रिक संयंत्रों की मदद से तकनीकी खामियों को चिन्हित कर दूर करने में जुटे रहे ।

विसुअल- उन्नाव जंक्शन के आउटर पर जांच करते सर्वे विभाग टीम के सदस्य ।


पीटीसी:--पंकज कुमार उन्नाव
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