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बेहतरीन प्रयासों से आत्मनिर्भरता की कहानी गढ़ रहा उन्नाव का यह किसान

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Published : Nov 30, 2020, 2:12 PM IST

उन्नाव में अब विदेशी फलों की खेती हो रही है. यहां के किसान ऐसे फसलों की ओर रुचि ले रहे हैं, जिनसे ज्यादा उत्पादन और फायदा मिल सके. जिले के एक किसान भाई थाईलैंड के मशहूर ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे है. भारत में भी ड्रैगन फ्रूट की डिमांड खूब रहती है.

ड्रैगन फ्रूट की खेती.
ड्रैगन फ्रूट की खेती.

उन्नाव: देश को आयात न करना पड़े यही तो आत्मनिर्भरता है. इसी पर काम कर रहे हैं उन्नाव के विनोद गुप्ता और उनके भाई विनय गुप्ता. उन्नाव के जगत नगर के रहने वाले विनोद गुप्ता विदेशी फल की खेती कर आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रहे हैं. वह इस खेती में अन्य लोगों को भी आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रहे हैं. जिस फल की खेती विनोद गुप्ता कर रहे हैं, वह प्रायः विदेशों में जैस- थाईलैंड, वियतनाम, इजरायल और श्रीलंका में मुख्य रूप से पाया जाता है. इन देशों के लोग इस खेती को करते हैं, इस विदेशी फल का नाम है ड्रैगन फ्रूट्स. यह फल हाई इम्युनिटी बूस्टर है, साथ ही कई अन्य बीमारियों में लाभकारी है.

विदेशी फल की खेती.
एक एकड़ खेत में लगाया ड्रैगन फ्रूट्स

कहा गया है कि 'कुछ अलग करना है तो जरा भीड़ से हटकर चलो, क्योंकि भीड़ साहस तो देती है लेकिन पहचान छीन लेती है. भीड़ में खड़ा होना मकसद नहीं है मेरा. शौक अपने आप कम हो जायेंगे.' इसी पर काम कर रहे हैं उन्नाव के विनोद गुप्ता और उनके भाई विनय गुप्ता. दोनों भाई मिलकर उन्नाव के जगत नगर में अपने एक एकड़ के खेत में विदेशी फ्रूट (ड्रैगन फ्रूट्स) की खेती कर रहे हैं. इस ड्रैगन फ्रूट्स की खेती इजराइल, वियतनाम, थाईलैंड व श्रीलंका में की जाती है. लेकिन खुद आत्मनिर्भर बनने के लिये कुछ नया करने की जुगत में विनोद गुप्ता और विनय गुप्ता ने यूट्यूब पर कुछ अलग ढूंढने की कोशिश की. जिसमें उन्होंने ड्रैगन फ्रूट्स की खेती के बारे में देखा और रिसर्च किया. इसके बाद उन्होंने अपने खेत में लगभग 7 लाख रुपये खर्च किया. उन्होंने कोलकाता से ड्रैगन फ्रूट का पौधा मंगवाया. खेत में लगभग 6 माह में इन्फ्राट्रक्चर तैयार कर इन पौधों को रोपित किया.

ड्रैगन फ्रूट
ड्रैगन फ्रूट

यूट्यूब पर देख आया आईडिया

ईटीवी से बातचीत में विनोद गुप्ता ने बताया कि वह कुछ नया करना चाहते थे. यूट्यूब पर उन्होंने देखा तो उन्हें ड्रैगन फ्रूट की खेती करने की सूझी. उन्होंने रिसर्च किया तो पता चला कि ड्रैगन फ्रूट्स का पौधा कोलकाता में मिलती है. अपने बेटे को कोलकाता भेजकर उन्होंने फ्रूट्स की पौध मंगवाई और अपने एक एकड़ के खेत में लगभग 300 रुपये प्रति कंक्रीट के सेटअप तैयार किया. लगभग 7 लाख रुपये खर्च कर इसकी खेती शुरू की. उन्होंने बताया कि डेढ़ साल का समय हो गया है, इन पौधों से फल मिलने लगे हैं. इन फलों को उन्नाव मुख्यालय पर बिक्री के लिए ले जाते हैं, जहां सुगर व अन्य बीमारियों से परेशान लोग उनसे सम्पर्क करके खरीद लेते हैं. ड्रैगन फ्रूट 300 से 400 रुपये प्रति किलो के भाव से बिक जाता है.

खेत में लगे ड्रैगन फ्रूट.
खेत में लगे ड्रैगन फ्रूट.

इस फल के बारे में जब सर्च किया तो पता चला कि यह हाई इम्यूनिटी बूस्टर है. साथ ही कई अन्य बीमारियों में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. जिले के अन्य किसानों को भी परंपरागत खेती के साथ-साथ कुछ नया करने का सुझाव दिया. परंपरागत खेती में बहुत ज्यादा किसान को लाभ नहीं होता है.

-विनय गुप्ता, किसान




कुछ दिन पहले पता चला था कि उन्नाव के बांगरमऊ तहसील क्षेत्र के एक किसान ने यहां पर ड्रैगन फ्रूट्स की पैदावार की है. ऐसे के वह बधाई के पात्र हैं, किसानों के उत्साहवर्धन के लिए हमने कृषि अधिकारी को निर्देशित किया है कि वह इस तरह के किसानों को जिले स्तर पर तथा प्रदेश स्तर पर सम्मानित करने के लिए नाम भेजें.

-रविंद्र कुमार, डीएम

उन्नाव: देश को आयात न करना पड़े यही तो आत्मनिर्भरता है. इसी पर काम कर रहे हैं उन्नाव के विनोद गुप्ता और उनके भाई विनय गुप्ता. उन्नाव के जगत नगर के रहने वाले विनोद गुप्ता विदेशी फल की खेती कर आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रहे हैं. वह इस खेती में अन्य लोगों को भी आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रहे हैं. जिस फल की खेती विनोद गुप्ता कर रहे हैं, वह प्रायः विदेशों में जैस- थाईलैंड, वियतनाम, इजरायल और श्रीलंका में मुख्य रूप से पाया जाता है. इन देशों के लोग इस खेती को करते हैं, इस विदेशी फल का नाम है ड्रैगन फ्रूट्स. यह फल हाई इम्युनिटी बूस्टर है, साथ ही कई अन्य बीमारियों में लाभकारी है.

विदेशी फल की खेती.
एक एकड़ खेत में लगाया ड्रैगन फ्रूट्स

कहा गया है कि 'कुछ अलग करना है तो जरा भीड़ से हटकर चलो, क्योंकि भीड़ साहस तो देती है लेकिन पहचान छीन लेती है. भीड़ में खड़ा होना मकसद नहीं है मेरा. शौक अपने आप कम हो जायेंगे.' इसी पर काम कर रहे हैं उन्नाव के विनोद गुप्ता और उनके भाई विनय गुप्ता. दोनों भाई मिलकर उन्नाव के जगत नगर में अपने एक एकड़ के खेत में विदेशी फ्रूट (ड्रैगन फ्रूट्स) की खेती कर रहे हैं. इस ड्रैगन फ्रूट्स की खेती इजराइल, वियतनाम, थाईलैंड व श्रीलंका में की जाती है. लेकिन खुद आत्मनिर्भर बनने के लिये कुछ नया करने की जुगत में विनोद गुप्ता और विनय गुप्ता ने यूट्यूब पर कुछ अलग ढूंढने की कोशिश की. जिसमें उन्होंने ड्रैगन फ्रूट्स की खेती के बारे में देखा और रिसर्च किया. इसके बाद उन्होंने अपने खेत में लगभग 7 लाख रुपये खर्च किया. उन्होंने कोलकाता से ड्रैगन फ्रूट का पौधा मंगवाया. खेत में लगभग 6 माह में इन्फ्राट्रक्चर तैयार कर इन पौधों को रोपित किया.

ड्रैगन फ्रूट
ड्रैगन फ्रूट

यूट्यूब पर देख आया आईडिया

ईटीवी से बातचीत में विनोद गुप्ता ने बताया कि वह कुछ नया करना चाहते थे. यूट्यूब पर उन्होंने देखा तो उन्हें ड्रैगन फ्रूट की खेती करने की सूझी. उन्होंने रिसर्च किया तो पता चला कि ड्रैगन फ्रूट्स का पौधा कोलकाता में मिलती है. अपने बेटे को कोलकाता भेजकर उन्होंने फ्रूट्स की पौध मंगवाई और अपने एक एकड़ के खेत में लगभग 300 रुपये प्रति कंक्रीट के सेटअप तैयार किया. लगभग 7 लाख रुपये खर्च कर इसकी खेती शुरू की. उन्होंने बताया कि डेढ़ साल का समय हो गया है, इन पौधों से फल मिलने लगे हैं. इन फलों को उन्नाव मुख्यालय पर बिक्री के लिए ले जाते हैं, जहां सुगर व अन्य बीमारियों से परेशान लोग उनसे सम्पर्क करके खरीद लेते हैं. ड्रैगन फ्रूट 300 से 400 रुपये प्रति किलो के भाव से बिक जाता है.

खेत में लगे ड्रैगन फ्रूट.
खेत में लगे ड्रैगन फ्रूट.

इस फल के बारे में जब सर्च किया तो पता चला कि यह हाई इम्यूनिटी बूस्टर है. साथ ही कई अन्य बीमारियों में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. जिले के अन्य किसानों को भी परंपरागत खेती के साथ-साथ कुछ नया करने का सुझाव दिया. परंपरागत खेती में बहुत ज्यादा किसान को लाभ नहीं होता है.

-विनय गुप्ता, किसान




कुछ दिन पहले पता चला था कि उन्नाव के बांगरमऊ तहसील क्षेत्र के एक किसान ने यहां पर ड्रैगन फ्रूट्स की पैदावार की है. ऐसे के वह बधाई के पात्र हैं, किसानों के उत्साहवर्धन के लिए हमने कृषि अधिकारी को निर्देशित किया है कि वह इस तरह के किसानों को जिले स्तर पर तथा प्रदेश स्तर पर सम्मानित करने के लिए नाम भेजें.

-रविंद्र कुमार, डीएम

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