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यूरीन एनालाइजर खरीद मामला, हाईकोर्ट ने दो सप्ताह में राज्य सरकार से मांगा जवाब

लखनऊ में एक कंपनी के यूरीन एनालाइजर की खरीद का आदेश सरकार ने निरस्त कर दिया. इसको लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आदेश निरस्त किए जाने पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.

हाईकोर्ट लखनऊ
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Published : May 17, 2021, 10:36 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूरीन एनालाइजर की खरीद का आदेश निरस्त किए जाने पर राज्य सरकार से जवाब-तलब किया है. न्यायालय ने दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. बता दें कि मामले की अग्रिम सुनवाई जून के दूसरे सप्ताह में होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने रैपिड डायग्नोस्टिक प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर पारित किया है.

जानें पूरा मामला

याची कम्पनी का कहना था कि यूरीन एनालाइजर की खरीद के लिए ई-टेंडर जारी किया गया था. इसके लिए याची कम्पनी ने सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद आवेदन दिया. याची की टेक्निकल बिड को स्वीकार कर लिया गया और लेटर ऑफ एक्सेप्टेंस भी याची कम्पनी को जारी कर दिया गया. याची कम्पनी को बैंक गारंटी दाखिल करने का निर्देश दिया गया, इसे भी उसने पूरा कर दिया. इसके बाद याची कम्पनी को पर्चेज ऑर्डर जारी कर दिया गया लेकिन कुछ ही दिनों बाद याची कम्पनी को सूचित किया गया कि पर्चेज ऑर्डर को फिलहाल के लिए रोक दिया गया है. उधर प्रतिवादी पक्ष ने यूरीन एनालाइजर की खरीद के लिए रि-टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

इसे भी पढ़ें- कन्नौज के महादेवी घाट पर तीन माह में 3 हजार से ज्यादा शवों का हुआ अंतिम संस्कार

याची पक्ष का कहना है कि उसे बिना कारण बताए उसके पक्ष में जारी पर्चेज ऑर्डर को निरस्त किया गया है जो कि मनमाना है. वहीं याचिका का विरोध करते हुए कहा गया कि पर्चेज ऑर्डर को 11 मई को निरस्त किया गया, क्योंकि यह भारत सरकार के कुछ जरूरी दिशा-निर्देशों के विपरीत था. इस दौरान कहा गया कि चूंकि याची कम्पनी से अभी तक कोई करार नहीं हुआ था, लिहाजा उसे क्लेम करने का कोई अधिकार नहीं है. न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात जवाबी हलफनामा दाखिल करते हुए उन दिशा-निर्देशों को रिकॉर्ड पर लाने का आदेश दिया है, जिनके आधार पर पर्चेज ऑर्डर निरस्त किया गया है.

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूरीन एनालाइजर की खरीद का आदेश निरस्त किए जाने पर राज्य सरकार से जवाब-तलब किया है. न्यायालय ने दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. बता दें कि मामले की अग्रिम सुनवाई जून के दूसरे सप्ताह में होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने रैपिड डायग्नोस्टिक प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर पारित किया है.

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याची कम्पनी का कहना था कि यूरीन एनालाइजर की खरीद के लिए ई-टेंडर जारी किया गया था. इसके लिए याची कम्पनी ने सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद आवेदन दिया. याची की टेक्निकल बिड को स्वीकार कर लिया गया और लेटर ऑफ एक्सेप्टेंस भी याची कम्पनी को जारी कर दिया गया. याची कम्पनी को बैंक गारंटी दाखिल करने का निर्देश दिया गया, इसे भी उसने पूरा कर दिया. इसके बाद याची कम्पनी को पर्चेज ऑर्डर जारी कर दिया गया लेकिन कुछ ही दिनों बाद याची कम्पनी को सूचित किया गया कि पर्चेज ऑर्डर को फिलहाल के लिए रोक दिया गया है. उधर प्रतिवादी पक्ष ने यूरीन एनालाइजर की खरीद के लिए रि-टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

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याची पक्ष का कहना है कि उसे बिना कारण बताए उसके पक्ष में जारी पर्चेज ऑर्डर को निरस्त किया गया है जो कि मनमाना है. वहीं याचिका का विरोध करते हुए कहा गया कि पर्चेज ऑर्डर को 11 मई को निरस्त किया गया, क्योंकि यह भारत सरकार के कुछ जरूरी दिशा-निर्देशों के विपरीत था. इस दौरान कहा गया कि चूंकि याची कम्पनी से अभी तक कोई करार नहीं हुआ था, लिहाजा उसे क्लेम करने का कोई अधिकार नहीं है. न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात जवाबी हलफनामा दाखिल करते हुए उन दिशा-निर्देशों को रिकॉर्ड पर लाने का आदेश दिया है, जिनके आधार पर पर्चेज ऑर्डर निरस्त किया गया है.

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