सुलतानपुर : दहलीज के भीतर रहकर घर को सजाने- संवारने और चलाने वाली महिलाएं अब जिला पंचायत में अपना किरदार निभाने को बेताब हैं. राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही महिलाओं से प्रेरित इन गृहिणियों ने जिला पंचायत में अपनी प्रतिभा दिखाने का मन बना लिया है. महिलाएं काफी उत्साहित नजर आ रही हैं.
जिला पंचायत सदस्य पद का चुनाव पूरा हो चुका है. मतदान की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब सभी की निगाहें मतगणना पर टिकी हुई हैं. कोई बेटी है तो कोई किसी परिवार की बहू. महिलाओं में कोई ससुराल से तो कोई मायके से चुनावी ताल ठोंक रही हैं.
दहलीज पार कर बाहर आइए मैदान में
जिला पंचायत सदस्य प्रत्याशी मनीषा पांडे ने कहा कि मैं भी किसी के घर की बेटी हूं. किसी की बहू हूं. आप भी घर की दहलीज पार कर बाहर आइए. मैं भी अपनी ससुराल से चुनाव लड़ रही हूं. जब तक आप मैदान में नहीं आएंगी, तब तक महिला सशक्तिकरण का प्रयास सफल नहीं हो पाएगा. बेटियों से हमारा आह्वान है कि खूब पढ़िए खूब आगे बढ़िए. बंधन और कोई नहीं, हमारे समाज के ही लोग हैं.
घर और देश के बाद हम संभालेंगे जिला पंचायत
जिला पंचायत सदस्य पद की प्रत्याशी बबिता तिवारी ने बताया कि मोदी और योगी ने महिलाओं को बढ़ाया है. पंचायत चुनाव में बड़ी संख्या में महिलाओं को चुनाव लड़ने के मौके दिए गए हैं, जिससे आधी आबादी देश के साथ जिला पंचायतों का भी प्रतिनिधित्व करें. महिलाएं घर संभालती हैं, देश संभालती हैं और अब वे जिला पंचायत संभालेंगी. सभ्य समाज की महिलाओं से नागरिकों को बड़ी उम्मीदें हैं.
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दबी हैं महिलाएं आगे आने की जरूरत
जिला पंचायत सदस्य प्रत्याशी एक अन्य महिला का कहना है कि क्षेत्र के लोग चौराहे पर खड़े होकर सेटिंग किया करते हैं. यदि मेरे पास बांटने का नहीं है तो लूटने के लिए भी कुछ भी नहीं है. जब प्रत्याशी 5 साल बांट कर आएगा, तब उसके अंदर सेवा करने का भाव नहीं होगा. महिलाएं दबी हुई हैं. अपेक्षा है कि महिलाएं निकलकर राजनीति के क्षेत्र में आगे आएं.