सुल्तानपुर: जिले के इटकौली गांव में 2012 में एक युवक ने पत्नी को जिंदा जलाकर मौत के घाट उतार दिया था. इस मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट की न्यायाधीश पूनम सिंह की तरफ से फैसला सुनाया गया है. फैसले में पति को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. वहीं सास-ससुर को 10 साल की सजा सुनाई गई है.
सामाजिक रीति-रिवाज से हुई थी शादी
जिले के गोसाईगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत इटकौली गांव निवासी हाशिम के साथ 8 साल पहले साजिदा बेगम निवासी चौधरी का पुरवा मजरे अर्जुनपुर थाना गोसाईगंज ने अपनी बेटी की शादी की थी. बेटी शकीना बेगम का निकाह सामाजिक रीति-रिवाज के मुताबिक कराया गया था.
दहेज के लिए शकीना को मिलते थे ताने
शादी के बाद दहेज के लिए शकीना को आएदिन ताने मिला करते थे. 7 अप्रैल 2012 को मांग नहीं पूरी किए जाने पर ससुरालीजनों ने शकीना को जलाकर मार डाला था. शकीना 90 प्रतिशत जल गई थी. उसे कई चोटें भी आई थी. मामले में शकीना की मां साजिदा की तहरीर पर पति और सास-ससुर समेत आठ लोगों के खिलाफ दहेज हत्या समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था.
साक्ष्य के अभाव में चार हुए बरी
सात आरोपियों के खिलाफ फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वितीय न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की गई थी. बचाव पक्ष के अधिवक्ता और अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता ने अपने पक्षकारों को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किया था. आरोपी नासिर, गुड़िया, बाबू और शानू को पूनम सिंह न्यायाधीश ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था. वहीं अदालत ने विवाहिता को मार डालने के मामले में आरोपी पति हाशिम, ससुर मोहम्मद कासिम और सास मैमुन निशा को दोषी करार दिया था.
परवरिश पर कोर्ट ने दी सास-ससुर को राहत
घटना के समय एक वर्ष की रही बच्ची की देख-रेख में सास-ससुर ने विशेष ध्यान दिया था. 8 साल की बच्ची की परवरिश को देखते हुए न्यायालय ने सास-ससुर को बड़ी राहत देने की बात कही. वहीं शकीना की मौत के बाद बच्ची का 8 सालों से पालन-पोषण कर रहे सास-ससुर को महज 10 साल की सजा सुनाई गई है.
सजा सुन रो पड़ी मैमून निशा
फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायाधीश पूनम सिंह की तरफ से 10-10 साल की सजा सास-ससुर को सुनाए जाने के बाद सास मैमुन निशा रो पड़ी. इस दौरान न्यायाधीश ने समझाया कि हर कर्म का दंड मिलता ही है. अब कैद में ही आपका कार्य क्षेत्र है. जो नियत किया गया है. इसे स्वीकार करते हुए जीवन बेहतर बनाने का प्रयास करें.