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सुलतानपुर: वरुण गांधी के गोद लिए गांव वलीपुर का सच, सुनिए ग्रामीणों की जुबानी - वलीपुर गांव में विकास

यूपी के सुलातार जिले में स्थित वलीपुर गांव को सांसद वरुण गांधी ने गोद लिया है. इसके बावजूद यहां की व्यवस्थाएं मुकम्मल नही हैं. विकास विभाग के अभिलेखों में गांव में व्यवस्थाएं चुस्त-दुरुस्त हैं, लेकिन गांव का नजारा कुछ अलग है.

ग्रामीण महिलाएं
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Published : Oct 26, 2020, 5:11 PM IST

सुलतानपुरः विकास विभाग के अभिलेखों में गांव में खुशहाली पांव पसार रही है और फसलें लहलहा रही हैं. स्वच्छ भारत मिशन के जरिए प्रधानमंत्री मोदी का सपना गांव और जिले में साकार हो चुका है. वहीं जब ईटीवी भारत की टीम गांव पहुंची तो नजारा इसके उलट दिखा. यहां बेचारगी है, लाचारी है, आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवार हैं, जो शिक्षा से कोसों दूर हैं. लॉकडाउन में परदेशी घर लौट आए, लेकिन आज तक रोजगार की मुकम्मल व्यवस्था नहीं की जा सकी.

वलीपुर गांव का सच.

पूर्व सांसद वरुण गांधी के गोद लिए गांव का हाल
जिला मुख्यालय से सटे वलीपुर गांव को भारतीय जनता पार्टी के नेता और सांसद वरुण गांधी गोद ले चुके हैं. उनकी मां यहां से सांसद हैं. मेनका गांधी खुद को सुलतानपुर वासियों की मां बताती हैं, लेकिन महिलाएं पर्दा डालकर सरकारी शौचालय में नित्यक्रिया के लिए जाने को मजबूर हैं.

जानकी कहती हैं कि हम बड़ी परेशानियों से जूझ रहे हैं. कहीं दुकान लगाते हैं तो लोग भगाने लगते हैं. हमें न तो स्वच्छ भारत मिशन से शौचालय मिला है और न ही इंडिया मार्का हैंडपंप. ग्राम प्रधान की तरफ से कोई सहूलियत नहीं प्रदान की गई है. मीरा देवी कहती हैं कि प्रधान की तरफ से शौचालय बनवा दिया जाता, तो अच्छा रहता. शौचालय टूटे-फूटे हैं. लोगों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

गड्ढा खोद छोड़ दिया अधूरा शौचालय
बाबूराम निषाद कहते हैं कि शौचालय के लिए गड्ढा खोद दिया गया. प्रधान से कई बार मिन्नतें कीं, लेकिन निर्माण पूरा नहीं कराया गया. पूर्व प्रधान जुबेर खान कहते हैं कि वर्तमान प्रधान कुछ काम नहीं करना चाहते हैं, वही चाहते हैं जिसमें जमकर कमीशनबाजी हो. आधा हिस्सा यह ले ले, आधा किसी और को दे दिया जाए. जिस किसी ने अपने पैसे से शौचालय बना लिया, उसको 1000-2000 रुपये देकर टरका दिया जाता है.

रोजगार के नाम पर आज तक पहल भी शुरू नहीं हो सकी है. विकास विभाग के आंकड़ों को देखें तो प्रवासी नागरिकों को रोजगार देने के लिए मनरेगा का पिटारा खोला गया. इन्हें जॉब कार्ड प्रदान किए गए और प्रतिदिन के लिहाज से रोजगार तय किया गया, लेकिन असल तस्वीर जुदा है. प्रवासी नागरिकों में 90 फीसदी नागरिक बेरोजगार होकर टहल रहे हैं.

मेनका गांधी ने भी उठाया था यह प्रकरण

डीएम रवीश कुमार गुप्ता ने बताया कि सांसद मेनका गांधी ने भी इस प्रकरण को उठाया था. किस प्रकार से सुविधाओं को जन उपयोगी बनाया जा सके और विकास कार्य बेहतर ढंग से किया जा सके, इसके प्रयास किए जा रहे हैं. मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है, जिससे हो रहे कार्यों का बेहतरीन उपयोग किया जा सके.

वलीपुर और कस्बा सुल्तानपुर गांव में स्ट्रीट लाइट के एवज में 50 लाख खर्च किए गए, जबकि मौजूदा समय में गांव शाम ढलते ही अंधेरे में डूब जाता है. 10 लाख ग्राम पंचायत निधि से खर्च हुए, लेकिन गांव में जगह-जगह कूड़े का ढेर लगा हुआ है. नाली और रोड निर्माण के लिए तीन करोड़ रुपये वित्तीय सत्र 2019 में खर्च हुए, जबकि असल तस्वीर यह है कि पगडंडी के सहारे लोग अपना फासला तय कर रहे हैं.

सुलतानपुरः विकास विभाग के अभिलेखों में गांव में खुशहाली पांव पसार रही है और फसलें लहलहा रही हैं. स्वच्छ भारत मिशन के जरिए प्रधानमंत्री मोदी का सपना गांव और जिले में साकार हो चुका है. वहीं जब ईटीवी भारत की टीम गांव पहुंची तो नजारा इसके उलट दिखा. यहां बेचारगी है, लाचारी है, आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवार हैं, जो शिक्षा से कोसों दूर हैं. लॉकडाउन में परदेशी घर लौट आए, लेकिन आज तक रोजगार की मुकम्मल व्यवस्था नहीं की जा सकी.

वलीपुर गांव का सच.

पूर्व सांसद वरुण गांधी के गोद लिए गांव का हाल
जिला मुख्यालय से सटे वलीपुर गांव को भारतीय जनता पार्टी के नेता और सांसद वरुण गांधी गोद ले चुके हैं. उनकी मां यहां से सांसद हैं. मेनका गांधी खुद को सुलतानपुर वासियों की मां बताती हैं, लेकिन महिलाएं पर्दा डालकर सरकारी शौचालय में नित्यक्रिया के लिए जाने को मजबूर हैं.

जानकी कहती हैं कि हम बड़ी परेशानियों से जूझ रहे हैं. कहीं दुकान लगाते हैं तो लोग भगाने लगते हैं. हमें न तो स्वच्छ भारत मिशन से शौचालय मिला है और न ही इंडिया मार्का हैंडपंप. ग्राम प्रधान की तरफ से कोई सहूलियत नहीं प्रदान की गई है. मीरा देवी कहती हैं कि प्रधान की तरफ से शौचालय बनवा दिया जाता, तो अच्छा रहता. शौचालय टूटे-फूटे हैं. लोगों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

गड्ढा खोद छोड़ दिया अधूरा शौचालय
बाबूराम निषाद कहते हैं कि शौचालय के लिए गड्ढा खोद दिया गया. प्रधान से कई बार मिन्नतें कीं, लेकिन निर्माण पूरा नहीं कराया गया. पूर्व प्रधान जुबेर खान कहते हैं कि वर्तमान प्रधान कुछ काम नहीं करना चाहते हैं, वही चाहते हैं जिसमें जमकर कमीशनबाजी हो. आधा हिस्सा यह ले ले, आधा किसी और को दे दिया जाए. जिस किसी ने अपने पैसे से शौचालय बना लिया, उसको 1000-2000 रुपये देकर टरका दिया जाता है.

रोजगार के नाम पर आज तक पहल भी शुरू नहीं हो सकी है. विकास विभाग के आंकड़ों को देखें तो प्रवासी नागरिकों को रोजगार देने के लिए मनरेगा का पिटारा खोला गया. इन्हें जॉब कार्ड प्रदान किए गए और प्रतिदिन के लिहाज से रोजगार तय किया गया, लेकिन असल तस्वीर जुदा है. प्रवासी नागरिकों में 90 फीसदी नागरिक बेरोजगार होकर टहल रहे हैं.

मेनका गांधी ने भी उठाया था यह प्रकरण

डीएम रवीश कुमार गुप्ता ने बताया कि सांसद मेनका गांधी ने भी इस प्रकरण को उठाया था. किस प्रकार से सुविधाओं को जन उपयोगी बनाया जा सके और विकास कार्य बेहतर ढंग से किया जा सके, इसके प्रयास किए जा रहे हैं. मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है, जिससे हो रहे कार्यों का बेहतरीन उपयोग किया जा सके.

वलीपुर और कस्बा सुल्तानपुर गांव में स्ट्रीट लाइट के एवज में 50 लाख खर्च किए गए, जबकि मौजूदा समय में गांव शाम ढलते ही अंधेरे में डूब जाता है. 10 लाख ग्राम पंचायत निधि से खर्च हुए, लेकिन गांव में जगह-जगह कूड़े का ढेर लगा हुआ है. नाली और रोड निर्माण के लिए तीन करोड़ रुपये वित्तीय सत्र 2019 में खर्च हुए, जबकि असल तस्वीर यह है कि पगडंडी के सहारे लोग अपना फासला तय कर रहे हैं.

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