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...और जब मेनका गांधी ने उसका नाम रखा 'अहिल्या' - मेनका गांधी ने कुत्ते के बच्चे को गोद लिया

सुलतानपुर में मेनका गांधी का पशु प्रेम एक बार फिर नजर आया. जिसके जीवन में कुदरत ने अंधेरा भर दिया था, मेनका गांधी ने उसे उजालों से नवाजा और नाम रख दिया अहिल्या. देखिए यह रिपोर्ट...

मेनका की 'अहिल्या'
मेनका की 'अहिल्या'
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Published : Jan 15, 2021, 8:39 PM IST

सुलतानपुर : वह जब पैदा हुई तो दुनिया को देख नहीं सकती थी. उसकी दोनों आंखों की रोशनी कुदरत ने बख्शी ही नहीं थी. मोक्ष नगरी में पैदा होना उसके लिए सौभाग्य था या फिर दुर्भाग्य यह तो उसे भी नहीं मालूम था. लेकिन दुखों से उसकी मुक्ति मोक्ष नगरी में लिखी थी.

मेनका की 'अहिल्या'

अहिल्या नाम मिला

जिन हाथों ने उसके दुखों को स्पर्श कर उससे मुक्ति दिलाई उसी ने उसका नाम अहिल्या रख दिया. वाराणसी में जब अहिल्या का जन्म हुआ तो वह दुनिया नहीं देख सकती थी. लोगों का दिल जब नहीं माना तो उन्होंने पशु प्रेमी मेनका गांधी से संपर्क साधा. वाराणसी से शख्स ने फोन कर मेनका गांधी को बताया कि कुत्ते का एक बच्चा उनके पास है जिसकी दोनों आंखें नहीं हैं. मेनका गांधी को यह भी बताया गया कि उसकी देखभाल करने वाला भी कोई नहीं है. इतना सुनते ही मेनका गांधी ने तुरंत उस शख्स को सुलतानपुर पहुंचकर कुत्ते के बच्चे के साथ मिलने के लिए बुलाया.

अहिल्या पर लुटाया प्यार और दुलार

शख्स वाराणसी से कुत्ते के बच्चे को लेकर सुलतानपुर मेनका गांधी के आवास पर पहुंच गया. दिल्ली से सुलतानपुर पहुंचीं मेनका गांधी ने जैसे ही कुत्ते के बच्चे को देखा तो उसे लेकर अपनी शॉल से ढंक लिया. मेनका गांधी कुत्ते के बच्चे पर प्यार और दुलार लुटाने लगीं. मेनका गांधी कुत्ते के बच्चे को अपने कमरे में भी ले गईं और उन्होंने कहा कि वह इसे लेकर दिल्ली जाएंगी. इसे हमेशा अपने साथ रखेंगी. और इसी के साथ मेनका गांधी ने कुत्ते के बच्चे का नाम अहिल्या रख दिया.

सुलतानपुर : वह जब पैदा हुई तो दुनिया को देख नहीं सकती थी. उसकी दोनों आंखों की रोशनी कुदरत ने बख्शी ही नहीं थी. मोक्ष नगरी में पैदा होना उसके लिए सौभाग्य था या फिर दुर्भाग्य यह तो उसे भी नहीं मालूम था. लेकिन दुखों से उसकी मुक्ति मोक्ष नगरी में लिखी थी.

मेनका की 'अहिल्या'

अहिल्या नाम मिला

जिन हाथों ने उसके दुखों को स्पर्श कर उससे मुक्ति दिलाई उसी ने उसका नाम अहिल्या रख दिया. वाराणसी में जब अहिल्या का जन्म हुआ तो वह दुनिया नहीं देख सकती थी. लोगों का दिल जब नहीं माना तो उन्होंने पशु प्रेमी मेनका गांधी से संपर्क साधा. वाराणसी से शख्स ने फोन कर मेनका गांधी को बताया कि कुत्ते का एक बच्चा उनके पास है जिसकी दोनों आंखें नहीं हैं. मेनका गांधी को यह भी बताया गया कि उसकी देखभाल करने वाला भी कोई नहीं है. इतना सुनते ही मेनका गांधी ने तुरंत उस शख्स को सुलतानपुर पहुंचकर कुत्ते के बच्चे के साथ मिलने के लिए बुलाया.

अहिल्या पर लुटाया प्यार और दुलार

शख्स वाराणसी से कुत्ते के बच्चे को लेकर सुलतानपुर मेनका गांधी के आवास पर पहुंच गया. दिल्ली से सुलतानपुर पहुंचीं मेनका गांधी ने जैसे ही कुत्ते के बच्चे को देखा तो उसे लेकर अपनी शॉल से ढंक लिया. मेनका गांधी कुत्ते के बच्चे पर प्यार और दुलार लुटाने लगीं. मेनका गांधी कुत्ते के बच्चे को अपने कमरे में भी ले गईं और उन्होंने कहा कि वह इसे लेकर दिल्ली जाएंगी. इसे हमेशा अपने साथ रखेंगी. और इसी के साथ मेनका गांधी ने कुत्ते के बच्चे का नाम अहिल्या रख दिया.

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