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Sultanpur News: किसान सहकारी चीनी मिल ने तोड़ दिए सारे रिकॉर्ड, जानिए कैसे

सुलतानपुर किसान सहकारी चीनी मिल ने पेराई सत्र के ढाई महीने में ही अपने लक्ष्य को पार कर लिया. इसका सारा श्रेय इंजीनियरों की टीम को जाता है. यह उन्हीं का कारनामा है कि उन्होंने इसे फिर से जिंदा कर दिया.

सुलतानपुर किसान सहकारी चीनी मिल
सुलतानपुर किसान सहकारी चीनी मिल
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Published : Jan 24, 2023, 7:07 AM IST

किसान सहकारी चीनी मिल ने पकड़ी रफ्तार

सुलतानपुर: स्वर्गीय संजय गांधी द्वारा स्थापित निष्प्रयोज्य और जर्जर घोषित की जा चुकी सुलतानपुर किसान सहकारी चीनी मिल को एक इंजीनियर ने ऐसी रफ्तार पकड़ाई कि पेराई सत्र के ढाई माह में ही वेंटिलेटर पर पड़ी चीनी मिल ने लक्ष्य का आंकड़ा ही पार कर दिया. सांसद मेनका गांधी के प्रयासों को पीछे छोड़ते हुए 130 करोड़ में से 15 करोड़ की देनदारी अन्यदाताओं के खाते में पहुंच गई. सांसद मेनका गांधी सहित बीजेपी विधायकों ने जिसे बदलने की गुहार मुख्यमंत्री से लगाई थी, उसने ऐसी रफ्तार पकड़ी कि सारे आंकड़ों को पार कर दिया.

सत्र 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी की पहल पर सुलतानपुर किसान सहकारी चीनी मिल की स्थापना हुई थी. इसके बाद से अन्नदाताओं को रोशनी की किरण मिली और गन्ने की बुवाई का रकबा दिन-ब-दिन तेजी से बढ़ने लगा. भ्रष्टाचार के घुन ने 2000 के दशक में चीनी मिल को खोखला कर दिया था. कलपुर्जे खराब हुए तो बदले नहीं गए और इसी के अभाव में किसान सहकारी चीनी मिल खोखली हो गई.

महाप्रबंधक चीनी मिल प्रताप नारायण सिंह ने बताया कि किसान सहकारी चीनी मिल का प्लांट जर्जर था. इसे सीमित संसाधनों के जरिए बेहतरीन ढंग से रिपेयर किया गया. एक बेहतरीन टीम बनाकर भाईचारा करते हुए गन्ना पेराई का कार्यक्रम चलाया गया. इसमें सफलता मिली है. उम्मीद है कि नई मशीनें मिलने पर और बेहतरीन रिस्पांस मिलेगा.

डीएम रवीश कुमार गुप्ता ने कहा कि चीनी मिल के बेहतर संचालन का श्रेय वे जीएम को देंगे. उन्होंने खर्चों को कम करते हुए कुशल नेतृत्व में लोगों को जुटाकर बेहतरीन उत्पादन किया है. यह 1 दिन की सफलता नहीं है. लगातार हो रहे प्रयास का नतीजा है. चीनी मिल के बेहतर भविष्य की वे कामना करते हैं.

अभी तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो सुलतानपुर किसान सहकारी चीनी मिल पर 29 करोड़ की बकायदारी सत्र 2022-23 में दर्ज की गई है. इसमें से 15 करोड़ का भुगतान ढाई माह में अन्नदाताओं को किया जा चुका है. चीनी मिल के आंकड़ों पर नजर डालें तो 1 नवंबर से 30 अप्रैल के बीच का घोषित गन्ना पेराई सत्र अभी ढाई महीने ही बीता है और चीनी मिल प्रशासन ने सरकार द्वारा निर्धारित गन्ना पेराई का 90 प्रतिशत का लक्ष्य हासिल कर लिया है. चीनी मिल प्रशासन की मानें तो तीन करोड़ 26,00000 रुपये किसानों का भुगतान देने को अगली किस्त भी तैयार है. अगले सप्ताह तक वह भी संबंधित किसानों के खाते में पहुंच जाएगी. अभी तक 22,000 क्विंटल चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन सुलतानपुर किसान सहकारी चीनी मिल से किया जा चुका है.

बागपत चीनी मिल से आए प्रताप नारायण सिंह और उनकी इंजीनियरों की टीम ने यह कारनामा कर दिखाया है. हालांकि, सरकार की तरफ से नई चीनी मिल स्थापना की वित्तीय मंजूरी भी मिल चुकी है. धनराशि जारी होते ही मशीनों के स्थापन की कार्यवाही शुरू हो जाएगी. चीनी मिल की रफ्तार और नए संयंत्र के स्थापन से चीनी मिल प्रशासन उत्साहित है. इससे किसान भी गदगद हैं. गन्ना रकबा का क्षेत्रफल बढ़ाने को लेकर 6 माह का लक्ष्य ढाई माह में ही हासिल करने के बाद चीनी मिल के इंजीनियर ऊर्जावान दिखाई दे रहे हैं. वहीं, गन्ना किसान भी बेहद संतुष्ट और खुश नजर आ रहे हैं.

यह भी पढ़ें: सीएम योगी से आनंद महिंद्रा ने की मुलाकात, ग्लोबल इन्वेस्टर्स निवेश पर हुई चर्चा

किसान सहकारी चीनी मिल ने पकड़ी रफ्तार

सुलतानपुर: स्वर्गीय संजय गांधी द्वारा स्थापित निष्प्रयोज्य और जर्जर घोषित की जा चुकी सुलतानपुर किसान सहकारी चीनी मिल को एक इंजीनियर ने ऐसी रफ्तार पकड़ाई कि पेराई सत्र के ढाई माह में ही वेंटिलेटर पर पड़ी चीनी मिल ने लक्ष्य का आंकड़ा ही पार कर दिया. सांसद मेनका गांधी के प्रयासों को पीछे छोड़ते हुए 130 करोड़ में से 15 करोड़ की देनदारी अन्यदाताओं के खाते में पहुंच गई. सांसद मेनका गांधी सहित बीजेपी विधायकों ने जिसे बदलने की गुहार मुख्यमंत्री से लगाई थी, उसने ऐसी रफ्तार पकड़ी कि सारे आंकड़ों को पार कर दिया.

सत्र 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी की पहल पर सुलतानपुर किसान सहकारी चीनी मिल की स्थापना हुई थी. इसके बाद से अन्नदाताओं को रोशनी की किरण मिली और गन्ने की बुवाई का रकबा दिन-ब-दिन तेजी से बढ़ने लगा. भ्रष्टाचार के घुन ने 2000 के दशक में चीनी मिल को खोखला कर दिया था. कलपुर्जे खराब हुए तो बदले नहीं गए और इसी के अभाव में किसान सहकारी चीनी मिल खोखली हो गई.

महाप्रबंधक चीनी मिल प्रताप नारायण सिंह ने बताया कि किसान सहकारी चीनी मिल का प्लांट जर्जर था. इसे सीमित संसाधनों के जरिए बेहतरीन ढंग से रिपेयर किया गया. एक बेहतरीन टीम बनाकर भाईचारा करते हुए गन्ना पेराई का कार्यक्रम चलाया गया. इसमें सफलता मिली है. उम्मीद है कि नई मशीनें मिलने पर और बेहतरीन रिस्पांस मिलेगा.

डीएम रवीश कुमार गुप्ता ने कहा कि चीनी मिल के बेहतर संचालन का श्रेय वे जीएम को देंगे. उन्होंने खर्चों को कम करते हुए कुशल नेतृत्व में लोगों को जुटाकर बेहतरीन उत्पादन किया है. यह 1 दिन की सफलता नहीं है. लगातार हो रहे प्रयास का नतीजा है. चीनी मिल के बेहतर भविष्य की वे कामना करते हैं.

अभी तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो सुलतानपुर किसान सहकारी चीनी मिल पर 29 करोड़ की बकायदारी सत्र 2022-23 में दर्ज की गई है. इसमें से 15 करोड़ का भुगतान ढाई माह में अन्नदाताओं को किया जा चुका है. चीनी मिल के आंकड़ों पर नजर डालें तो 1 नवंबर से 30 अप्रैल के बीच का घोषित गन्ना पेराई सत्र अभी ढाई महीने ही बीता है और चीनी मिल प्रशासन ने सरकार द्वारा निर्धारित गन्ना पेराई का 90 प्रतिशत का लक्ष्य हासिल कर लिया है. चीनी मिल प्रशासन की मानें तो तीन करोड़ 26,00000 रुपये किसानों का भुगतान देने को अगली किस्त भी तैयार है. अगले सप्ताह तक वह भी संबंधित किसानों के खाते में पहुंच जाएगी. अभी तक 22,000 क्विंटल चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन सुलतानपुर किसान सहकारी चीनी मिल से किया जा चुका है.

बागपत चीनी मिल से आए प्रताप नारायण सिंह और उनकी इंजीनियरों की टीम ने यह कारनामा कर दिखाया है. हालांकि, सरकार की तरफ से नई चीनी मिल स्थापना की वित्तीय मंजूरी भी मिल चुकी है. धनराशि जारी होते ही मशीनों के स्थापन की कार्यवाही शुरू हो जाएगी. चीनी मिल की रफ्तार और नए संयंत्र के स्थापन से चीनी मिल प्रशासन उत्साहित है. इससे किसान भी गदगद हैं. गन्ना रकबा का क्षेत्रफल बढ़ाने को लेकर 6 माह का लक्ष्य ढाई माह में ही हासिल करने के बाद चीनी मिल के इंजीनियर ऊर्जावान दिखाई दे रहे हैं. वहीं, गन्ना किसान भी बेहद संतुष्ट और खुश नजर आ रहे हैं.

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