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HOLI 2023: पृथ्वीराज के वंशज राजा हसनपुर के महल में आज उड़ता है हिंदुओं के लिए गुलाल

अवध की होली की खासियत यह है कि यह त्योहार इलाके में धर्म विशेष के लिए नहीं है. सभी धर्मों के लोग मिलजुल कर होली का त्योहार मनाते हैं. सुल्तानपुर में राजा हसनपुर के महल में आज भी होली मनाई जाती है.

पृथ्वीराज के वंशज राजा हसनपुर
पृथ्वीराज के वंशज राजा हसनपुर
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Published : Mar 6, 2023, 5:41 PM IST

राजा हसनपुर के महल में उड़ता है हिंदुओं के लिए गुलाल.

सुल्तानपुर : इतिहास कहता है कि सुल्तानपुर में राजा हसनपुर के पूर्वज पृथ्वीराज के वंशज थे, जिन्होंने तात्कालिक कारणों से मुस्लिम धर्म को स्वीकार कर लिया. वक्त के साथ इस राज परिवार की पीढ़ियां गुजर गई मगर होली खेलने का रिवाज सदियों बाद भी नहीं बदला. आज भी राजा हसनपुर के महल से गंगा जमुनी तहजीब का गुलाल उड़ता है. यह अवध प्रांत में हिंदू मुस्लिम संगम की अनूठी मिसाल है.

अवध में अबीर और गुलाल की होली गंगा जमुनी तहजीब का प्रतीक है. सुल्तान के राजा हसनपुर के महल में आज भी हिंदुओं के लिए गुजिया बनाता है और अबीर गुलाल रखा जाता है. हसनपुर रियासत सुल्तानपुर जिला मुख्यालय से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह वही रियासत है, जो अंग्रेजों से लोहा लेने और भारत को आजादी दिलाने के लिए लड़ाई के मैदान में सबसे आगे खड़ी रही थी. पृथ्वीराज चौहान के वंशज राजा त्रिलोकचंद के समय में इस परिवार ने मुस्लिम धर्म ग्रहण कर लिया था. इसके बाद कई राजा हुए लेकिन इन्होंने हिंदुओं के अबीर गुलाल से नाता जोड़ कर रखा. वर्तमान राजा कहे जाने वाले मसूद अली खान 50 साल से इस गंगा जमुनी तहजीब को कायम किए हुए हैं.

हसनपुर रियासत की होली अवध क्षेत्र की पहचान आज भी बनी है. आज भी महल के बड़े नाद में रंग घोला जाता है. राजा मसूद अली खान हिंदुओं पर रंग डालते हैं, अबीर लगाते हैं और उनके साथ होली का त्योहार मनाते हैं. होली के पकवान भी उनके घर में ही बनते हैं. महल में हिंदू टोली और मुस्लिम टोली के बीच गीत-संगीत के बीच अबीर-गुलाल से होली खेलते हैं.

राजा हसनपुर मसूद अली खान का कहना है कि पूरी रियासत में होली हम लोग मिलजुलकर मनाते रहे हैं. यह अवध की शान है और हमारी पहचान है. हमारे यहां होली की शुरुआत हवन पूजन से होती है. हम वहां जाते हैं और वहां से जुलूस उठकर पूरे क्षेत्र में भ्रमण करता है. हिंदू और मुस्लिम बस्तियों में भी जाता है. होली की शुरुआत हिरण्यकश्यप के कार्यकाल से मानी जाती है. जहां पिता-पुत्र में झगड़ा हुआ था और बड़ी बेटी होलिका ने प्रहलाद को जलाने का प्रयास किया था, तभी से होली मनाया जाता है. इस बीच होली की तैयारियों के बीच प्रशासन ने भी शांति बनाए रखने की तैयारी की है. सुल्तानपुर की जिलाधिकारी जसजीत कौर ने कहा कि होली का त्योहार सब लोग मिलकर मनाएं . जहां कोई अव्यवस्था या समस्या हो तो हमें अवगत कराएं. हर समस्या का समाधान किया जाएगा.

पढ़ें : Happy Holi Tips : हैप्पी और हेल्दी होली के लिए इन बातों का रखना होगा ध्यान

राजा हसनपुर के महल में उड़ता है हिंदुओं के लिए गुलाल.

सुल्तानपुर : इतिहास कहता है कि सुल्तानपुर में राजा हसनपुर के पूर्वज पृथ्वीराज के वंशज थे, जिन्होंने तात्कालिक कारणों से मुस्लिम धर्म को स्वीकार कर लिया. वक्त के साथ इस राज परिवार की पीढ़ियां गुजर गई मगर होली खेलने का रिवाज सदियों बाद भी नहीं बदला. आज भी राजा हसनपुर के महल से गंगा जमुनी तहजीब का गुलाल उड़ता है. यह अवध प्रांत में हिंदू मुस्लिम संगम की अनूठी मिसाल है.

अवध में अबीर और गुलाल की होली गंगा जमुनी तहजीब का प्रतीक है. सुल्तान के राजा हसनपुर के महल में आज भी हिंदुओं के लिए गुजिया बनाता है और अबीर गुलाल रखा जाता है. हसनपुर रियासत सुल्तानपुर जिला मुख्यालय से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह वही रियासत है, जो अंग्रेजों से लोहा लेने और भारत को आजादी दिलाने के लिए लड़ाई के मैदान में सबसे आगे खड़ी रही थी. पृथ्वीराज चौहान के वंशज राजा त्रिलोकचंद के समय में इस परिवार ने मुस्लिम धर्म ग्रहण कर लिया था. इसके बाद कई राजा हुए लेकिन इन्होंने हिंदुओं के अबीर गुलाल से नाता जोड़ कर रखा. वर्तमान राजा कहे जाने वाले मसूद अली खान 50 साल से इस गंगा जमुनी तहजीब को कायम किए हुए हैं.

हसनपुर रियासत की होली अवध क्षेत्र की पहचान आज भी बनी है. आज भी महल के बड़े नाद में रंग घोला जाता है. राजा मसूद अली खान हिंदुओं पर रंग डालते हैं, अबीर लगाते हैं और उनके साथ होली का त्योहार मनाते हैं. होली के पकवान भी उनके घर में ही बनते हैं. महल में हिंदू टोली और मुस्लिम टोली के बीच गीत-संगीत के बीच अबीर-गुलाल से होली खेलते हैं.

राजा हसनपुर मसूद अली खान का कहना है कि पूरी रियासत में होली हम लोग मिलजुलकर मनाते रहे हैं. यह अवध की शान है और हमारी पहचान है. हमारे यहां होली की शुरुआत हवन पूजन से होती है. हम वहां जाते हैं और वहां से जुलूस उठकर पूरे क्षेत्र में भ्रमण करता है. हिंदू और मुस्लिम बस्तियों में भी जाता है. होली की शुरुआत हिरण्यकश्यप के कार्यकाल से मानी जाती है. जहां पिता-पुत्र में झगड़ा हुआ था और बड़ी बेटी होलिका ने प्रहलाद को जलाने का प्रयास किया था, तभी से होली मनाया जाता है. इस बीच होली की तैयारियों के बीच प्रशासन ने भी शांति बनाए रखने की तैयारी की है. सुल्तानपुर की जिलाधिकारी जसजीत कौर ने कहा कि होली का त्योहार सब लोग मिलकर मनाएं . जहां कोई अव्यवस्था या समस्या हो तो हमें अवगत कराएं. हर समस्या का समाधान किया जाएगा.

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