सुलतानपुर : लखनऊ-वाराणसी फोरलेन पर घोटाले का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है. नेशनल हाईवे की रोड की दर से बाईपास की जमीन का भुगतान कर अफसरों ने साढ़े 300 करोड़ रुपए डकार लिए. इसमें आईएएस और बड़े पैमाने पर पीसीएस अफसरों की संलिप्तता सामने आई है. घोटाले का कद इतना बड़ा था कि शासन स्तर मामले की उच्च स्तरीय जांच गठित कर दी गई है.
लखनऊ-वाराणसी फोरलेन इस समय निर्माणाधीन है. सुल्तानपुर से लखनऊ के बीच लगभग 70 से 80 फीसदी काम हो चुका है. वाहन नए फोरलेन पर दौड़ने लगे हैं. बाईपास बाजार को अप्रभावित करने के लिए बनाया गया है, जिससे यातायात प्रभावित न हो और कस्बों की सूरत न बिगड़े. यही स्थिति लंभुआ तहसील में भी देखी गई है, जो सुल्तानपुर वाराणसी के बीच स्थित है. लंभुआ तहसील क्षेत्र में नेशनल हाईवे की जमीन की दर से बाईपास की जमीन का भुगतान किया गया है, जबकि यह बाईपास की जमीन नेशनल हाईवे से कोसों दूर है.
वहीं किसानों के खाते में जब यह पैसा पहुंचा तो किसान भी सकते में आ गए. मामला यह रहा कि मालियत से कई गुना ज्यादा धनराशि मिलने से सभी सकते हैं. प्रशासन ने इसी बीच किसानों के खाते फ्रीज कर दिए हैं. जिला अधिकारी दिव्य प्रकाश गिरी ने बताया कि पूरे मामले को शासन स्तर से संज्ञान में लिया गया है. उच्च स्तरीय जांच टीम गठित की गई है. जांच की रिपोर्ट के आधार पर शासन स्तर से ही कार्रवाई की जाएगी. सरकार 300 करोड़ के घोटाले को लेकर गंभीर है, इस पर बारीकी से नजर रखी जा रही है. माना जा रहा है कि इस जांच से कई अधिकारियों पर गाज गिर सकती है.