सुलतानपुर: बिजली पानी के मुद्दे पर हुए प्रदर्शन के मामले में राज्यसभा सांसद और आप के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सिंह समेत सपा के पूर्व विधायक अनूप संडा समेत अन्य लोगों को 3 माह की सजा और 1500 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई है. एमपी एमएलए कोर्ट ने लगभग 21 साल के अंतराल पर यह सजा दी है. न्यायालय में मौजूद राज्यसभा सांसद ने बीजेपी सरकार की अव्यवस्था को आंदोलन के लिए जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि वे इस सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करेंगे.
नगर क्षेत्र में सत्र 2001 में 36 घंटे बिजली पानी की समस्या उत्पन्न हो गई थी. जिसे लेकर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और मौजूदा राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने जोरदार आंदोलन छेड़ा था. पूर्व सपा विधायक अनूप संडा समेत कांग्रेस के कई नेताओं ने उनका साथ दिया था. इतना ही नहीं बीजेपी के पूर्व नगर अध्यक्ष सुभाष चौधरी, कांग्रेस नेता और पूर्व सभासद कमल श्रीवास्तव ,कांग्रेस प्रवक्ता रहे संतोष चौधरी, बीजेपी के नामित सभासद रहे विजय सेक्रेटरी भी आंदोलन में शामिल रहे थे. नगर कोतवाली में धरना प्रदर्शन और सरकारी कार्य में बाधा समेत अन्य को मुद्दा बनाते हुए स्थानीय पुलिस ने उपरोक्त सभी लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया था. एमपी एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश योगेश यादव की अदालत में विचारण की प्रक्रिया चल रही थी. 21 साल के अंतराल पर जिला सत्र न्यायालय की एमपी एमएलए कोर्ट ने सजा के बिंदुओं पर राज्यसभा सांसद संजय सिंह, पूर्व विधायक समाजवादी पार्टी अनूप संडा समेत 5 अन्य लोगों को दोषी करार देते हुए सजा मुकर्रर कर दी है. एक मामले में जहां राज्यसभा सांसद संजय सिंह को 3 माह की सजा और 1000 का जुर्माना लगाया गया है. दूसरे मामले में एक माह की सजा और 500 रुपये का जुर्माना लगाया है.
सजा के दौरान राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि 2001 में भाजपा की सरकार थी. उस समय 36 घंटे बिजली पानी नहीं होने पर हम लोगों ने प्रदर्शन किया था. 36 घंटे ब्लैक आउट के बाद लोकतांत्रिक ढंग से हमने बिना किसी व्यवस्था को क्षति पहुंचाए आंदोलन किया था. 21 साल बाद इस मामले में सजा सुनाई जा रही है. जिसमें मेरे साथ पूर्व विधायक अनूप संडा, बीजेपी के नगर अध्यक्ष रहे सुभाष चौधरी और सभासद विजय सेक्रेटरी , कांग्रेस नेता और पूर्व सभासद कमल , पूर्व नगर प्रवक्ता संतोष चौधरी, भी शामिल है. मुद्दों को लेकर हमारी लड़ाई जारी रहेगी. इस सजा के खिलाफ हम उच्च न्यायालय में अपील करेंगे. अधिवक्ता रुद्र प्रताप सिंह मदन ने बताया कि कोर्ट ने अपील दायर करने के लिए मौका देते हुए सभी आरोपियों को रिहा कर दिया है.
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