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सुलतानपुर: मुख्य सचिव, DGP और DIG समेत 5 को भारतीय प्रेस परिषद ने किया तलब, नोटिस - संवाददाता ज्ञानेंद्र तिवारी

भारतीय प्रेस परिषद ने प्रेस की स्वतंत्रता प्रभावित के मामले को लेकर यूपी के मुख्य सचिव, डीजीपी और पूर्व डीआईजी सुलतानपुर डॉ. विपिन मिश्रा को नोटिस जारी करते हुए 2 सप्ताह के भीतर लिखित वक्तव्य प्रस्तुत करने का आदेश जारी किया है.

सुलतानपुर.
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Published : Aug 5, 2022, 12:55 PM IST

सुलतानपुर: प्रेस की स्वतंत्रता प्रभावित के मामले को लेकर भारतीय प्रेस परिषद ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, डीजीपी और पूर्व डीआईजी सुलतानपुर डॉ. विपिन मिश्रा को नोटिस जारी करते हुए 2 सप्ताह के भीतर लिखित वक्तव्य प्रस्तुत करने का आदेश जारी किया है, जिसके बाद उत्तर प्रदेश शासन से लेकर पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है.


दरअसल, सुलतानपुर जनपद के एक हिंदी दैनिक समाचार पत्र के संवाददाता ज्ञानेंद्र तिवारी के खिलाफ खबरों के प्रकाशन को लेकर दवाब बनाने के नियत से तत्कालीन थानाध्यक्ष गोसाईगंज इंस्पेक्टर मनबोध तिवारी ने गोसाईगंज थाने पर 23 सितंबर 2021 को लिखित तहरीर देते हुए कहा था कि पत्रकार ज्ञानेंद्र तिवारी द्वारा सोशल मीडिया व अन्य प्लेटफार्म का दुरुपयोग किया जा रहा है, जिसके बाद इंस्पेक्टर मनबोध तिवारी की तहरीर पर पत्रकार ज्ञानेंद्र तिवारी के खिलाफ धारा 505 के तहत FIR दर्ज की गई. वादी रहे शुभम शर्मा के नाम से दर्ज FIR को सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने ही निरस्त करने का आदेश दिया था. जोकि सुलतानपुर पुलिस के लिए बड़ा झटका साबित हुआ था.

नोटिस.
नोटिस.

पत्रकार ज्ञानेंद्र पर दर्ज एफआईआर पर भारतीय प्रेस परिषद की अध्यक्ष ने सख्त रूख अपनाते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, सचिव गृह विभाग, सुलतानपुर में तैनात रहे पुलिस महानिदेशक डॉ. विपिन मिश्रा, तत्कालीन थानाध्यक्ष गोसाईगंज मनबोध तिवारी व तत्कालीन पुलिस अधीक्षक विपिन कुमार मिश्रा के खिलाफ नोटिस जारी करते हुए 2 सप्ताह के भीतर अपना लिखित वक्तव्य प्रस्तुत करने का फरमान जारी कर दिया है.

वहीं भारतीय प्रेस परिषद के सचिव द्वारा जारी चिट्ठी में कहा गया है कि प्रारंभिक रूप में शिकायत पर विचारोपरांत अध्यक्ष ने विचार व्यक्त करते हुए कहा है कि प्रकरण प्रेस की स्वतंत्रता पर अतिक्रमण व कुठाराघात का प्रतीत होता है. प्रेस परिषद अधिनियम 1978 की धारा 13 (1) के साथ पठित अधिनियम की धारा 15 (4) के अंतर्गत इस मामले में आपके विरुद्ध परिषद द्वारा कार्रवाई क्यों नहीं की जाए.

इसे भी पढे़ं- डीजीपी मुकुल गोयल बोले- चुनावी प्रक्रिया में जो भी गड़बड़ी कर रहा उसके खिलाफ की जा रही कार्रवाई

सुलतानपुर: प्रेस की स्वतंत्रता प्रभावित के मामले को लेकर भारतीय प्रेस परिषद ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, डीजीपी और पूर्व डीआईजी सुलतानपुर डॉ. विपिन मिश्रा को नोटिस जारी करते हुए 2 सप्ताह के भीतर लिखित वक्तव्य प्रस्तुत करने का आदेश जारी किया है, जिसके बाद उत्तर प्रदेश शासन से लेकर पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है.


दरअसल, सुलतानपुर जनपद के एक हिंदी दैनिक समाचार पत्र के संवाददाता ज्ञानेंद्र तिवारी के खिलाफ खबरों के प्रकाशन को लेकर दवाब बनाने के नियत से तत्कालीन थानाध्यक्ष गोसाईगंज इंस्पेक्टर मनबोध तिवारी ने गोसाईगंज थाने पर 23 सितंबर 2021 को लिखित तहरीर देते हुए कहा था कि पत्रकार ज्ञानेंद्र तिवारी द्वारा सोशल मीडिया व अन्य प्लेटफार्म का दुरुपयोग किया जा रहा है, जिसके बाद इंस्पेक्टर मनबोध तिवारी की तहरीर पर पत्रकार ज्ञानेंद्र तिवारी के खिलाफ धारा 505 के तहत FIR दर्ज की गई. वादी रहे शुभम शर्मा के नाम से दर्ज FIR को सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने ही निरस्त करने का आदेश दिया था. जोकि सुलतानपुर पुलिस के लिए बड़ा झटका साबित हुआ था.

नोटिस.
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पत्रकार ज्ञानेंद्र पर दर्ज एफआईआर पर भारतीय प्रेस परिषद की अध्यक्ष ने सख्त रूख अपनाते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, सचिव गृह विभाग, सुलतानपुर में तैनात रहे पुलिस महानिदेशक डॉ. विपिन मिश्रा, तत्कालीन थानाध्यक्ष गोसाईगंज मनबोध तिवारी व तत्कालीन पुलिस अधीक्षक विपिन कुमार मिश्रा के खिलाफ नोटिस जारी करते हुए 2 सप्ताह के भीतर अपना लिखित वक्तव्य प्रस्तुत करने का फरमान जारी कर दिया है.

वहीं भारतीय प्रेस परिषद के सचिव द्वारा जारी चिट्ठी में कहा गया है कि प्रारंभिक रूप में शिकायत पर विचारोपरांत अध्यक्ष ने विचार व्यक्त करते हुए कहा है कि प्रकरण प्रेस की स्वतंत्रता पर अतिक्रमण व कुठाराघात का प्रतीत होता है. प्रेस परिषद अधिनियम 1978 की धारा 13 (1) के साथ पठित अधिनियम की धारा 15 (4) के अंतर्गत इस मामले में आपके विरुद्ध परिषद द्वारा कार्रवाई क्यों नहीं की जाए.

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