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परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद के चालक का छलका दर्द, बोले-सरकार ने मार दिया मेरा हक

परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद के शहादत दिवस पर सुलतानपुर में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में पहुंचे वीर अब्दुल हमीद के चालक मोहम्मद नसीम का दर्द छलक गया. उन्होंने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच हुई लड़ाई में देश को जीत में हमारा भी श्रेय था. लेकिन हमें मंच पर नहीं बुलाया गया.

परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद के चालक का छलका दर्द.
परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद के चालक का छलका दर्द.
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Published : Sep 11, 2021, 3:35 AM IST

सुलतानपुरः परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद के शहादत दिवस पर जिले में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. पंडित राम नरेश त्रिपाठी सभागार में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल त्रिशुंडी के डीआईजी प्रभाकर भी शामिल हुए. कार्यक्रम में परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद के चालक मोहम्मद नसीम को भी सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में 1965 की लड़ाई में अब्दुल हमीद के चालक रहे मोहम्मद नसीम का दर्द छलक गया. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि इस दुनिया में कोई किसी को पूछता नहीं है. भारत-पाकिस्तान के बीच हुई लड़ाई में देश को जीत में हमारा भी श्रेय था. लेकिन हमें मंच पर नहीं बुलाया गया, हमारा कागज जला दिया गया.

परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद के चालक का छलका दर्द.
मोहम्मद नसीम ने बताया कि 1965 की लड़ाई में भारत और पाकिस्तान की ओर से लगातार फायरिंग की जा रही थी. इसी बीच अचानक फायरिंग बंद हो गई और अब्दुल हमीद पेड़ के पत्तों में छुप गए. हम को गलत मैसेज दिया गया कि यहां दुश्मन नहीं है. हम लोग इत्मिनान में हो गए और कुछ ही देर बाद ट्रेसर राउंड फायरिंग शुरू हो गई. आर्टिलरी यूनिट के अफसर ने हमें बचने की सलाह दी, जिस पर हम और अब्दुल हमीद गाड़ी पर बैठ गए.

मोहम्मद नसीम ने कहा कि आज हम महसूस कर रहे हैं कि इस दुनिया में हमें पूछने वाला कोई नहीं है. हमारा हक भी मार दिया गया और हमारे कागजात जला दिए गए. उन्होंने कहा कि बिना हमारे गाड़ी में फायरिंग किए जीत हासिल नहीं हो पाती. सारा काम हमें सौंप दिया गया था. जीत के बाद जबलपुर से टैंक दिल्ली में गए. वहां प्रधानमंत्री की मौजूदगी में हमीद की पत्नी को बुलाया गया. उनकी पत्नी अधिक पढ़ी-लिखी नहीं थी. उनसे भी कोई सवाल नहीं किया गया और हमें बुलाया नहीं गया. हम इंतजार करते रह गए.

परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद के शहादत दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में आयोजक मोहम्मद इदरीशी की तरफ से सभी लोगों का स्वागत किया गया. क्षेत्राधिकारी नगर राघवेंद्र चतुर्वेदी और नगर कोतवाल संदीप राय ने कार्यक्रम में मेधावी छात्रों को सम्मानित किया. इसके अलावा वरिष्ठ और सम्मानित नागरिकों का अभिनंदन शाल ओढ़ाकर किया गया. कार्यक्रम में कलाकारों ने मंचन के जरिए वीर सैनिकों को लड़ाई के दृश्य के साथ याद किया.

इसे भी पढ़ें-परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद का 56वां शहादत: बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए चिराग पासवान

बता दें कि वीर अब्दुल हमीद (abdul hameed) का जन्म 1 जुलाई 1933 को यूपी के गाजीपुर में हुआ था. 20 साल की उम्र में वे सेना में भर्ती हुए थे. 1965 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में पंजाब के खेमकरण सेक्टर (Khemkaran Sector) में अब्दुल हमीद ने आठ पाकिस्तानी पैटन टैंकों (panton tanks) को तबाह कर दिया था. अब्दुल हमीद इस युद्ध में आठवां पैटन टैंक तबाह करते समय वीरगति को प्राप्त हुए थे. भारत सरकार ने अब्दुल हमीद को अदम्य वीरता और साहस के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र (param vir chakra) से सम्मानित किया था.

सुलतानपुरः परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद के शहादत दिवस पर जिले में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. पंडित राम नरेश त्रिपाठी सभागार में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल त्रिशुंडी के डीआईजी प्रभाकर भी शामिल हुए. कार्यक्रम में परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद के चालक मोहम्मद नसीम को भी सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में 1965 की लड़ाई में अब्दुल हमीद के चालक रहे मोहम्मद नसीम का दर्द छलक गया. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि इस दुनिया में कोई किसी को पूछता नहीं है. भारत-पाकिस्तान के बीच हुई लड़ाई में देश को जीत में हमारा भी श्रेय था. लेकिन हमें मंच पर नहीं बुलाया गया, हमारा कागज जला दिया गया.

परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद के चालक का छलका दर्द.
मोहम्मद नसीम ने बताया कि 1965 की लड़ाई में भारत और पाकिस्तान की ओर से लगातार फायरिंग की जा रही थी. इसी बीच अचानक फायरिंग बंद हो गई और अब्दुल हमीद पेड़ के पत्तों में छुप गए. हम को गलत मैसेज दिया गया कि यहां दुश्मन नहीं है. हम लोग इत्मिनान में हो गए और कुछ ही देर बाद ट्रेसर राउंड फायरिंग शुरू हो गई. आर्टिलरी यूनिट के अफसर ने हमें बचने की सलाह दी, जिस पर हम और अब्दुल हमीद गाड़ी पर बैठ गए.

मोहम्मद नसीम ने कहा कि आज हम महसूस कर रहे हैं कि इस दुनिया में हमें पूछने वाला कोई नहीं है. हमारा हक भी मार दिया गया और हमारे कागजात जला दिए गए. उन्होंने कहा कि बिना हमारे गाड़ी में फायरिंग किए जीत हासिल नहीं हो पाती. सारा काम हमें सौंप दिया गया था. जीत के बाद जबलपुर से टैंक दिल्ली में गए. वहां प्रधानमंत्री की मौजूदगी में हमीद की पत्नी को बुलाया गया. उनकी पत्नी अधिक पढ़ी-लिखी नहीं थी. उनसे भी कोई सवाल नहीं किया गया और हमें बुलाया नहीं गया. हम इंतजार करते रह गए.

परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद के शहादत दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में आयोजक मोहम्मद इदरीशी की तरफ से सभी लोगों का स्वागत किया गया. क्षेत्राधिकारी नगर राघवेंद्र चतुर्वेदी और नगर कोतवाल संदीप राय ने कार्यक्रम में मेधावी छात्रों को सम्मानित किया. इसके अलावा वरिष्ठ और सम्मानित नागरिकों का अभिनंदन शाल ओढ़ाकर किया गया. कार्यक्रम में कलाकारों ने मंचन के जरिए वीर सैनिकों को लड़ाई के दृश्य के साथ याद किया.

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बता दें कि वीर अब्दुल हमीद (abdul hameed) का जन्म 1 जुलाई 1933 को यूपी के गाजीपुर में हुआ था. 20 साल की उम्र में वे सेना में भर्ती हुए थे. 1965 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में पंजाब के खेमकरण सेक्टर (Khemkaran Sector) में अब्दुल हमीद ने आठ पाकिस्तानी पैटन टैंकों (panton tanks) को तबाह कर दिया था. अब्दुल हमीद इस युद्ध में आठवां पैटन टैंक तबाह करते समय वीरगति को प्राप्त हुए थे. भारत सरकार ने अब्दुल हमीद को अदम्य वीरता और साहस के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र (param vir chakra) से सम्मानित किया था.

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