सुलतानपुर: तस्करी में लाखों रुपये की बोली लगने वाले पर्यावरण मित्रों को स्थानीय स्तर के तस्कर चावल के भाव खरीद रहे हैं. राजकीय रेलवे पुलिस और वन विभाग के संयुक्त ऑपरेशन में पकड़े गए 236 जिंदा कछुओं की बरामदगी के दौरान तस्कर ने ईटीवी भारत से इसका खुलासा किया. तस्कर के मुताबिक जिन क्षेत्रों में अधिक गरीबी होती है, वहां एक से डेढ़ किलो चावल देकर कछुए खरीद लिए जाते हैं.
उत्तर प्रदेश के लखनऊ, बाराबंकी, फैजाबाद, सुलतानपुर, अमेठी और रायबरेली का क्षेत्र कछुओं के लिए प्रसिद्ध माना जाता है. यहां पर्यावरण मित्रों की अच्छी तादाद देखने को मिलती है. इसी वजह से तस्करों की संख्या भी यहां अधिक होती है. अमेठी और बाराबंकी के ग्रामीण अंचल में रहने वाले गरीबों को यह तस्कर अपना सूत्र बनाते हैं. इन्हीं के जरिए खरीद-फरोख्त करते हैं.
राजकीय रेलवे पुलिस के शिकंजे में आया तस्कर विनोद ने बताया कि एक से डेढ़ किलो चावल देकर एक कछुआ ले लिया जाता है. इसे इकट्ठा करके पश्चिम बंगाल को भेजा जाता है. विनोद अमेठी के गांधीनगर का रहने वाला है.
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पश्चिम बंगाल में कछुए बड़े पैमाने पर अच्छी रकम में बेचे जाते हैं, लेकिन स्थानीय तालाब, पोखरे और झीलों से इन्हें पकड़ने के लिए गरीब और आर्थिक रूप से तंग लोगों का चयन किया जाता है. उन्हें एक से डेढ़ किलो चावल या गेहूं देकर कछुए ले लिए जाते हैं और फिर उन्हें इकट्ठा कर रेलगाड़ियों के जरिए पश्चिम बंगाल भेज दिया जाता है.
इंदौर -पटना एक्सप्रेस से जीआरपी सुलतानपुर द्वारा 236 जिंदा कछुओं की बरामदगी की गई है.
-अमरजीत मिश्र, वन विभाग के रेंजर