सुलतानपुर: स्वामी प्रसाद मौर्य के करीबी भाजपा विधायक सीताराम वर्मा एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में जाने के बाद उन्होंने पत्रकार वार्ता कर भाजपा में आस्था जताई थी. इस बार टिकट कटने के बाद भी उनके नाम से कलेक्ट्रेट में नामांकन पत्र खरीदने की बात सामने आई है. विधायक ने इसे राजनीतिक साजिश करार दिया है.
बता दें विधायक सीताराम वर्मा जयसिंहपुर विधानसभा से विधायक हैं. बसपा कार्यकाल में वो साल 2010 में जिला पंचायत अध्यक्ष बने थे. तख्तापलट के बाद उन्हें जेल की हवा खानी पड़ी थी. समाजवादी पार्टी शासनकाल में भी उन्हें कुछ दिन जेल में दिन बिताने पड़े थे. इसके बाद वो बीजेपी में शामिल होकर जयसिंहपुर से विधायक बने. बीते दिनों स्वामी प्रसाद मौर्या के भारतीय जनता पार्टी से समाजवादी पार्टी में जाने के बाद उनके नाम की भी चर्चा होने लगी. भाजपा छोड़ने को लेकर सोशल मीडिया पर चल रहे पोस्ट के बाद उन्होंने पत्रकार वार्ताकर भारतीय जनता पार्टी में अपनी आस्था जताई थी.
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लेकिन गुरुवार को सुल्तानपुर कलेक्ट्रेट में नामांकन पत्रों की बिक्री की जांच पड़ताल के दौरान टिकट कटने के बावजूद विधायक सीताराम वर्मा की तरफ से अपने नाम से नामांकन पत्र खरीदने की बात सामने आई. जिसके बाद एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी में गहमागहमी का माहौल हो गया है. तरह-तरह की चर्चाएं सोशल मीडिया चल रही हैं.
वहीं इस खबर का भाजपा विधायक सीताराम वर्मा ने खंडन किया है. उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ साजिश हुई है. विधायक सीताराम वर्मा ने कहा कि उन्होंने कोई भी नामांकन पत्र नहीं खरीदा है. भारतीय जनता पार्टी में उनकी अभी भी पूरी आस्था है. उन्होंने कहा कि वो अनुशासन में रहने वाले सिपाही हैं. कभी ऐसा सोच भी नहीं सकते.
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