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यहां मुस्लिम परिवार बना रहा लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां, अनेकता में एकता से मिटा रहा दूरियां

उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले में एक अनोखी मिसाल देखने को मिली है. यहां दिवाली पर मुस्लिम कारीगर और कुम्हार परिवार के साथ मिलकर गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमाएं बनाते हैं, जिससे उनकी रोजी-रोटी चलती है. साथ ही यह लोगों को अनेकता में एकता का संदेश भी दे रहे हैं.

लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमाएं बनाकर लोगों को दे रहे संदेश
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Published : Oct 23, 2019, 1:19 PM IST

सुलतानपुर: दिवाली के मौके पर जिले में मुसलमान और हिंदू भाईचारे और सामाजिक समरसता का संदेश दे रहे हैं. प्रकाश पर्व दीपावली पर यहां मुस्लिम परिवार लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमाएं और घंटी बनाते हैं, जिसे बजाकर दीपावली पर शुभ के प्रतीक भगवान गणेश और वैभव की प्रतीक मां लक्ष्मी की आरती उतारी जाती है. मुसलमानों के हाथ से बनी इन प्रतिमाओं को हिंदू परिवार घरों में आरती उतारने के लिए ले जाते हैं.

लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमाएं बनाकर लोगों को दे रहे संदेश.

मिट्टी के बर्तन बनाकर कारीगर चला रहे रोजी-रोटी

  • दिवाली पर ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक उल्लास देखने को मिलता है.
  • मुस्लिम परिवारों में दीपावली से एक माह पूर्व अजब ही उल्लास देखने को मिलता है.
  • जिला मुख्यालय से सटे गांव में दीपावली आने की आहट के साथ ही मिट्टी जुटने लगती हैं.
  • पूरा परिवार मिलकर लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमाएं तैयार करते हैं.

इसे भी पढ़ें:- चित्रकूट: चाइनीज लाइटों ने बुझाई दीपों की रोशनी, अंधकारमय हुआ कुम्हारों का भविष्य

  • मुस्लिम कारीगर दरिद्रता मिटाने वाली घंटी भी बनाते है, जो कि घर में सुख-संपत्ति लाती है.
  • इस्लामगंज कस्बे के मुश्ताक अली कहते हैं कि मिट्टी खरीदकर कुल्लड़, खिलौने समेत अन्य चीजें बनाते हैं.
  • वहीं असरोगा के निवासी कारोबारी शाकिर अली का कहना है कि दीपावली पर खिलौने बनाकर बेचते हैं, जिससे हमारी रोजी-रोटी चलती है.

सुलतानपुर: दिवाली के मौके पर जिले में मुसलमान और हिंदू भाईचारे और सामाजिक समरसता का संदेश दे रहे हैं. प्रकाश पर्व दीपावली पर यहां मुस्लिम परिवार लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमाएं और घंटी बनाते हैं, जिसे बजाकर दीपावली पर शुभ के प्रतीक भगवान गणेश और वैभव की प्रतीक मां लक्ष्मी की आरती उतारी जाती है. मुसलमानों के हाथ से बनी इन प्रतिमाओं को हिंदू परिवार घरों में आरती उतारने के लिए ले जाते हैं.

लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमाएं बनाकर लोगों को दे रहे संदेश.

मिट्टी के बर्तन बनाकर कारीगर चला रहे रोजी-रोटी

  • दिवाली पर ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक उल्लास देखने को मिलता है.
  • मुस्लिम परिवारों में दीपावली से एक माह पूर्व अजब ही उल्लास देखने को मिलता है.
  • जिला मुख्यालय से सटे गांव में दीपावली आने की आहट के साथ ही मिट्टी जुटने लगती हैं.
  • पूरा परिवार मिलकर लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमाएं तैयार करते हैं.

इसे भी पढ़ें:- चित्रकूट: चाइनीज लाइटों ने बुझाई दीपों की रोशनी, अंधकारमय हुआ कुम्हारों का भविष्य

  • मुस्लिम कारीगर दरिद्रता मिटाने वाली घंटी भी बनाते है, जो कि घर में सुख-संपत्ति लाती है.
  • इस्लामगंज कस्बे के मुश्ताक अली कहते हैं कि मिट्टी खरीदकर कुल्लड़, खिलौने समेत अन्य चीजें बनाते हैं.
  • वहीं असरोगा के निवासी कारोबारी शाकिर अली का कहना है कि दीपावली पर खिलौने बनाकर बेचते हैं, जिससे हमारी रोजी-रोटी चलती है.
Intro:स्पेशल स्टोरी ईटीवी भारत
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शीर्षक : अनोखा दीपपर्व : जहां मुस्लिम बनाते लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा और घंटी, हिंदू उतारते आरती।



एंकर : सुल्तानपुर के मुसलमान और हिंदू भारतवर्ष को समरसता का संदेश दे रहे हैं। प्रकाश पर्व दीपावली पर यहां मुस्लिम परिवार लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा बनाते हैं। घंटी बनाते हैं। जिससे बजाकर दीपावली पर शुभ के प्रतीक भगवान गणेश और वैभव की प्रतीक मां लक्ष्मी की आरती उतारी जाती है। मुसलमानों के हाथ से बनी इन प्रतिमाओं की हिंदू परिवार और घरों में आरती उतारी जाती है।


Body:वीओ : सुल्तानपुर के इस दीप पर्व पर ग्रामीण क्षेत्र में अधिक उल्लास रहता है। खासकर मुस्लिम परिवारों में दीपावली से 1 माह पूर्व अजब ही उल्लास देखने को मिलता है। जिला मुख्यालय से सटे गांव में दीपावली आने की आहट के साथ ही मिट्टी जुटने लगती हैं। पूरा परिवार मिलकर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा तैयार करते हैं। वह घंटी बनाते हैं जो दरिद्रता को मिटाता है और घर में सुख संपत्ति लाता है।


बाइट : शहर से सटे इसलामगंज कस्बे के मुस्ताक अली कहते हैं कि मिट्टी खरीद कर लाते हैं। कुल्लड़ दीपावली समेत अन्य चीजें बनाते हैं । लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा तैयार करते हैं । दीपावली पर पूजा की अहम सामग्री घंटी बनाकर बेचते हैं। कौशल अली कहते हैं कि साल में एक बार दीपावली पर जमकर काम करते हैं । वहीं अन्य कारोबारी शाकिर अली निवासी असरोगा कहते हैं दीपावली का त्यौहार है । खिलौने बना कर लाते हैं , बेचते हैं । इससे हमारी रोजी-रोटी चलती है।


Conclusion:वॉइस ओवर : सुल्तानपुर का दीपक बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह मुस्लिम और हिंदू आबादी एक दूसरे को भरपूर सहयोग करती है । गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है । सांप्रदायिक सौहार्द यहां जैसा आस-पड़ोस के जनपद में देखने को नहीं मिलता है।



आशुतोष मिश्रा सुल्तानपुर 94 15049 256
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