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जिला सत्र न्यायालय के आदेश पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, पुलिस अधिकारियों को मिली राहत - जिला सवं सत्र न्यायालय आदेश

बहुचर्चित गुंगवांछ हत्याकांड में हाईकोर्ट ने जिला सवं सत्र न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है. अब फाइनल बहस में मामला स्पष्ट होगा.

सुलतानपुर
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Published : Jun 10, 2023, 8:48 AM IST

सुलतानपुर: बहुचर्चित गुंगवांछ हत्याकांड में शुक्रवार को पुलिस अधिकारियों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली. हाईकोर्ट ने जिला एवं सत्र न्यायालय के जरिए बीते 16 मई को एसपी सहित तीन पुलिस अफसरों के खिलाफ आपराधिक वाद दर्ज कर जांच किए जाने संबंधी पारित आदेश को प्रभावी करने पर रोक लगाई है. अब फाइनल बहस में सब कुछ साफ होगा. तीन हफ्ते बाद केस सूचीबद्ध हो सकता है.

अमेठी जिले के इस चौहरे हत्याकांड में एसपी अमेठी, तत्कालीन कोतवाल अमेठी उमाकांत शुक्ला व क्राइम ब्रांच निरीक्षक परशुराम ओझा के खिलाफ जिला एवं सत्र न्यायाधीश जय प्रकाश पांडेय की अदालत ने बीते 16 मई को मुकदमे का आदेश दिया था. इससे पुलिस महकमे में खलबली मच गई थी. कोर्ट ने तीनों अफसरों के खिलाफ केस पंजीकृत कर विस्तृत जांच का आदेश दिया था. आदेश का अनुपालन कराने के लिए मुख्य सचिव (गृह), आईजी लखनऊ और डीआईजी अयोध्या को प्रति भेजने का आदेश दिया था.

हाईकोर्ट के आदेश से अमेठी पुलिस अधीक्षक इलामरन जी., वर्तमान में क्राइम ब्रांच में तैनात निरीक्षक उमाकांत शुक्ला और परशुराम ओझा की मुश्किलें कम हो गई हैं. चार लोगों की हुई जघन्य हत्या के केस में नियमों की धज्जियां उड़ाई गई थीं. नीचे से ऊपर तक के पुलिस अफसरों की मिलीभगत से जमकर तफ्तीशी खेल हुआ. पुलिस का कारनामा देखकर जिला जज का गंभीर हो गए थे. मामले का संज्ञान लेते हुए जिला जज जयप्रकाश पांडेय ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कड़ा आदेश जारी किया था. चार्ज पर सुनवाई के दौरान तीन आरोपियों की तरफ से पड़ी डिस्चार्ज अर्जी को खारिज कर कोर्ट ने आदेश जारी किया था.

अमेठी कोतवाली क्षेत्र के पूरे तिवारी मजरे गुंगवांछ गांव में 15 मार्च 2022 को लाठी-डंडों और सरिया से हमला कर एक ही परिवार के चार लोगों की हत्या हुई थी. अभियोगी अमरजीत यादव ने मामले में राम दुलारे यादव, उनके पुत्र अखिलेश यादव, बृजेश यादव, अभिषेक यादव उर्फ छोटू एवं मौजूदा ग्राम प्रधान आशा तिवारी, उनके पति राम शंकर तिवारी व पुत्र नितिन तिवारी के खिलाफ नामजद हत्या सहित अन्य आरोपों में अमेठी कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था.

तफ्तीश के दौरान तत्कालीन अमेठी कोतवाल ने सभी नामजद आरोपियों के खिलाफ हत्या सहित अन्य आरोपों में पहले चार्जशीट भेजी थी और अज्ञात आरोपियों के खिलाफ विवेचना रखी जारी थी. इस दौरान तफ्तीश विवेचक ने मनमानी तफ्तीश कर प्रधान पति रामशंकर तिवारी को क्लीन चिट देते हुए सीजेएम कोर्ट में 169 सीआरपीसी की रिपोर्ट प्रेषित की थी और इसी आधार पर कोर्ट से रामशंकर तिवारी की रिहाई के लिए मांग की थी. शेष छह आरोपियों के खिलाफ पूरक चार्जशीट भेजी थी.

तत्कालीन सीजेएम ने विवेचक की 169 की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए आरोपी रामशंकर तिवारी को रिहा करने का आदेश जारी किया था. उस दौरान आरोपी की रिहाई के लिए बचाव पक्ष से अधिवक्ता संतोष कुमार पाण्डेय ने पैरवी की थी. वर्तमान में भी रामशंकर तिवारी परिवार के आरोपियों की वही पैरवी कर रहे हैं. शेष की अन्य अधिवक्ता पैरवी कर रहे हैं. उस समय हत्यारोपी रामशंकर तिवारी को जेल से बाहर निकालने में सफलता मिल गई थी.

एक मुल्जिम को राहत दिला लेने के बाद अन्य आरोपियों को भी बचाने के लिए निष्पक्ष जांच की आड़ में आरोपी पक्ष ने पुलिस अधिकारियों को अर्जी भेजी थी. इसके क्रम में एसपी अमेठी ने मामले में अग्रेतर विवेचना का निर्देश दे दिया था. एसपी के निर्देशन में जांच कर रहे क्राइम ब्रांच के निरीक्षक परशुराम ओझा ने पूर्व में चार्जशीटेड हुए आरोपी आशा तिवारी, नितिन तिवारी व अभिषेक यादव उर्फ छोटू को भी अपनी तफ्तीश में क्लीन चिट देते हुए सीजेएम कोर्ट में पेश किया था. 169 सीआरपीसी की रिपोर्ट, तीनों हत्यारोपियों को रिहा करने के लिए दी थी. फिलहाल, तत्कालीन सीजेएम ने 169 की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और छह आरोपियों की पत्रावली सेशन कोर्ट के सुपुर्द कर दी थी.

पत्रावली सेशन कोर्ट के सुपुर्द होने के बाद से ही आरोप विरचित करने के बिंदु पर सुनवाई चल रही थी. इस दौरान पुलिस की जांच में क्लीन चिट पाई आरोपी ग्राम प्रधान आशा तिवारी, उनके पुत्र नितिन तिवारी और सह आरोपी अभिषेक यादव उर्फ छोटू की तरफ से तमाम साक्ष्यों व तर्कों को आधार बनाकर डिस्चार्ज अर्जी पेश की गई थी. जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने उभय पक्षों को सुनने के पश्चात पुलिस की जांच में हुई लीपापोती पर संज्ञान लेते हुए एसपी सहित अन्य के खिलाफ विस्तृत जांच का आदेश दिया था.

एक जघन्य अपराध से जुड़े केस में एसपी सहित अन्य अफसरों ने इस कदर लिखापढ़ी की है कि उसे देखने पर स्वतः ही पुलिस अधिकारियों की अतिरिक्त रुचि जाहिर हो रही है. लगातार तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर विवेचना का पार्ट बनाने की बात सामने आई है. प्रथम दृष्टया सेटिंग-गेटिंग के बल पर तफ्तीशी खेल करने का मामला सामने आ रहा है. आरोपियों के अनुचित प्रभाव में इतना बड़ा खेल करने का मामला दिख रहा है. फिलहाल, हाईकोर्ट में होने वाली अगली सुनवाई तक आरोपी पुलिस अफसरों को राहत मिल गई है.

मामले का विचारण कर रही जिला एवं सत्र न्यायालय की कोर्ट ने चार्जशीटेड व पुलिस के जरिए क्लीनचिट पाए सभी अभियुक्तों को आरोप विरचित करने के लिए तलब किया है. आरोपी रामशंकर तिवारी ने भी जिला एवं सत्र न्यायाधीश के तलबी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है. अभी याचिका लम्बित है. फिलहाल, अभी रामशंकर तिवारी को राहत नहीं मिल सकी है. वहीं, प्रधान आशा तिवारी पक्ष ने अभी हाल में ही हुई घटना का जिक्र करते हुए अज्ञात लोगों के खिलाफ फायरिंग समेत अन्य आरोपों में एफआईआर दर्ज कराई है. लगातार मामले में नया मोड़ आ रहा. जिला जज कोर्ट ने रामशंकर तिवारी के खिलाफ जारी जमानतीय वारंट तामील कराने के लिए एसपी अमेठी को आदेश दिया है. मामले में अगली तारीख तक वारंट तामील की जिम्मेदारी एसपी को मिली है.

यह भी पढ़ें: माओवादी संगठन की हीरामणि देवी को आजीवन कारावास, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आरोप

सुलतानपुर: बहुचर्चित गुंगवांछ हत्याकांड में शुक्रवार को पुलिस अधिकारियों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली. हाईकोर्ट ने जिला एवं सत्र न्यायालय के जरिए बीते 16 मई को एसपी सहित तीन पुलिस अफसरों के खिलाफ आपराधिक वाद दर्ज कर जांच किए जाने संबंधी पारित आदेश को प्रभावी करने पर रोक लगाई है. अब फाइनल बहस में सब कुछ साफ होगा. तीन हफ्ते बाद केस सूचीबद्ध हो सकता है.

अमेठी जिले के इस चौहरे हत्याकांड में एसपी अमेठी, तत्कालीन कोतवाल अमेठी उमाकांत शुक्ला व क्राइम ब्रांच निरीक्षक परशुराम ओझा के खिलाफ जिला एवं सत्र न्यायाधीश जय प्रकाश पांडेय की अदालत ने बीते 16 मई को मुकदमे का आदेश दिया था. इससे पुलिस महकमे में खलबली मच गई थी. कोर्ट ने तीनों अफसरों के खिलाफ केस पंजीकृत कर विस्तृत जांच का आदेश दिया था. आदेश का अनुपालन कराने के लिए मुख्य सचिव (गृह), आईजी लखनऊ और डीआईजी अयोध्या को प्रति भेजने का आदेश दिया था.

हाईकोर्ट के आदेश से अमेठी पुलिस अधीक्षक इलामरन जी., वर्तमान में क्राइम ब्रांच में तैनात निरीक्षक उमाकांत शुक्ला और परशुराम ओझा की मुश्किलें कम हो गई हैं. चार लोगों की हुई जघन्य हत्या के केस में नियमों की धज्जियां उड़ाई गई थीं. नीचे से ऊपर तक के पुलिस अफसरों की मिलीभगत से जमकर तफ्तीशी खेल हुआ. पुलिस का कारनामा देखकर जिला जज का गंभीर हो गए थे. मामले का संज्ञान लेते हुए जिला जज जयप्रकाश पांडेय ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कड़ा आदेश जारी किया था. चार्ज पर सुनवाई के दौरान तीन आरोपियों की तरफ से पड़ी डिस्चार्ज अर्जी को खारिज कर कोर्ट ने आदेश जारी किया था.

अमेठी कोतवाली क्षेत्र के पूरे तिवारी मजरे गुंगवांछ गांव में 15 मार्च 2022 को लाठी-डंडों और सरिया से हमला कर एक ही परिवार के चार लोगों की हत्या हुई थी. अभियोगी अमरजीत यादव ने मामले में राम दुलारे यादव, उनके पुत्र अखिलेश यादव, बृजेश यादव, अभिषेक यादव उर्फ छोटू एवं मौजूदा ग्राम प्रधान आशा तिवारी, उनके पति राम शंकर तिवारी व पुत्र नितिन तिवारी के खिलाफ नामजद हत्या सहित अन्य आरोपों में अमेठी कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था.

तफ्तीश के दौरान तत्कालीन अमेठी कोतवाल ने सभी नामजद आरोपियों के खिलाफ हत्या सहित अन्य आरोपों में पहले चार्जशीट भेजी थी और अज्ञात आरोपियों के खिलाफ विवेचना रखी जारी थी. इस दौरान तफ्तीश विवेचक ने मनमानी तफ्तीश कर प्रधान पति रामशंकर तिवारी को क्लीन चिट देते हुए सीजेएम कोर्ट में 169 सीआरपीसी की रिपोर्ट प्रेषित की थी और इसी आधार पर कोर्ट से रामशंकर तिवारी की रिहाई के लिए मांग की थी. शेष छह आरोपियों के खिलाफ पूरक चार्जशीट भेजी थी.

तत्कालीन सीजेएम ने विवेचक की 169 की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए आरोपी रामशंकर तिवारी को रिहा करने का आदेश जारी किया था. उस दौरान आरोपी की रिहाई के लिए बचाव पक्ष से अधिवक्ता संतोष कुमार पाण्डेय ने पैरवी की थी. वर्तमान में भी रामशंकर तिवारी परिवार के आरोपियों की वही पैरवी कर रहे हैं. शेष की अन्य अधिवक्ता पैरवी कर रहे हैं. उस समय हत्यारोपी रामशंकर तिवारी को जेल से बाहर निकालने में सफलता मिल गई थी.

एक मुल्जिम को राहत दिला लेने के बाद अन्य आरोपियों को भी बचाने के लिए निष्पक्ष जांच की आड़ में आरोपी पक्ष ने पुलिस अधिकारियों को अर्जी भेजी थी. इसके क्रम में एसपी अमेठी ने मामले में अग्रेतर विवेचना का निर्देश दे दिया था. एसपी के निर्देशन में जांच कर रहे क्राइम ब्रांच के निरीक्षक परशुराम ओझा ने पूर्व में चार्जशीटेड हुए आरोपी आशा तिवारी, नितिन तिवारी व अभिषेक यादव उर्फ छोटू को भी अपनी तफ्तीश में क्लीन चिट देते हुए सीजेएम कोर्ट में पेश किया था. 169 सीआरपीसी की रिपोर्ट, तीनों हत्यारोपियों को रिहा करने के लिए दी थी. फिलहाल, तत्कालीन सीजेएम ने 169 की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और छह आरोपियों की पत्रावली सेशन कोर्ट के सुपुर्द कर दी थी.

पत्रावली सेशन कोर्ट के सुपुर्द होने के बाद से ही आरोप विरचित करने के बिंदु पर सुनवाई चल रही थी. इस दौरान पुलिस की जांच में क्लीन चिट पाई आरोपी ग्राम प्रधान आशा तिवारी, उनके पुत्र नितिन तिवारी और सह आरोपी अभिषेक यादव उर्फ छोटू की तरफ से तमाम साक्ष्यों व तर्कों को आधार बनाकर डिस्चार्ज अर्जी पेश की गई थी. जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने उभय पक्षों को सुनने के पश्चात पुलिस की जांच में हुई लीपापोती पर संज्ञान लेते हुए एसपी सहित अन्य के खिलाफ विस्तृत जांच का आदेश दिया था.

एक जघन्य अपराध से जुड़े केस में एसपी सहित अन्य अफसरों ने इस कदर लिखापढ़ी की है कि उसे देखने पर स्वतः ही पुलिस अधिकारियों की अतिरिक्त रुचि जाहिर हो रही है. लगातार तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर विवेचना का पार्ट बनाने की बात सामने आई है. प्रथम दृष्टया सेटिंग-गेटिंग के बल पर तफ्तीशी खेल करने का मामला सामने आ रहा है. आरोपियों के अनुचित प्रभाव में इतना बड़ा खेल करने का मामला दिख रहा है. फिलहाल, हाईकोर्ट में होने वाली अगली सुनवाई तक आरोपी पुलिस अफसरों को राहत मिल गई है.

मामले का विचारण कर रही जिला एवं सत्र न्यायालय की कोर्ट ने चार्जशीटेड व पुलिस के जरिए क्लीनचिट पाए सभी अभियुक्तों को आरोप विरचित करने के लिए तलब किया है. आरोपी रामशंकर तिवारी ने भी जिला एवं सत्र न्यायाधीश के तलबी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है. अभी याचिका लम्बित है. फिलहाल, अभी रामशंकर तिवारी को राहत नहीं मिल सकी है. वहीं, प्रधान आशा तिवारी पक्ष ने अभी हाल में ही हुई घटना का जिक्र करते हुए अज्ञात लोगों के खिलाफ फायरिंग समेत अन्य आरोपों में एफआईआर दर्ज कराई है. लगातार मामले में नया मोड़ आ रहा. जिला जज कोर्ट ने रामशंकर तिवारी के खिलाफ जारी जमानतीय वारंट तामील कराने के लिए एसपी अमेठी को आदेश दिया है. मामले में अगली तारीख तक वारंट तामील की जिम्मेदारी एसपी को मिली है.

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