सुलतानपुरः समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के हाउस टैक्स हाफ और वाटर टैक्स माफ के जुमलेबाजी पर बीजेपी विधायक एवं पूर्व मंत्री विधायक विनोद सिंह ने करारा पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि यह तो पब्लिक को मूर्ख बनाने जैसा है, यह अधिकार तो नगरपालिका बोर्ड में ही नहीं है.
बता दें कि सुलतानपुर नगर पालिका के चुनाव में इन दिनों कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार वरुण मिश्रा, आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार संदीप शुक्ला और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार सैयद रहमान उर्फ मानू ने हाउस टैक्स हाफ और वाटर टैक्स माफ करने संबंधी नारे का पिटारा खोल रखा है. बाकायदा इसके पोस्टर लगवाए गए हैं. घर-घर कार्यकर्ताओं की तरफ से पंपलेट बांटे जा रहे हैं, जिससे नगर पालिका क्षेत्र की जनता को लुभाया जा सके और बड़े हुए टैक्स से उन्हें राहत देने की आशा जगाते हुए उसे वोट में तब्दील किया जा सके.
बहरहाल इस पूरे मुद्दे पर पूर्व मंत्री एवं बीजेपी विधायक विनोद सिंह ने करारा कटाक्ष किया है. उन्होंने कहा कि यह तो पालिका बोर्ड के अधिकार में ही नहीं है.सदन से भी इसे पास नहीं किया जा सकता. यह तो यूपी सरकार के सरकार के अधीनस्थ अधिकार में शामिल है. बीजेपी चेयरमैन पद के प्रत्याशी एवं बीजेपी उपाध्यक्ष प्रवीण अग्रवाल के समर्थन में नागरिकों से मिलने पहुंचे बीजेपी विधायक विनोद सिंह ने चुटकुले अंदाज में टिप्पणी की है. शहर के कुड़वार नाका स्थित सरदार बलदेव सिंह के आवास पर मिलने पहुंचे विधायक ने इसे जुमलेबाजी करार दिया है. प्रवीण अग्रवाल ने भी इस पर टिप्पणी करते हुए इसे झूठ का पुलिंदा करार दिया है.
बीजेपी विधायक एवं पूर्व मंत्री विनोद सिंह ने कहा कि यह घोषणा प्रत्याशियों की तरफ से जो की गई है. वह संज्ञान में आई है. आम आदमी पार्टी ने इसे प्रमुखता से उठाया है, जैसे लगता है कि इन लोगों ने एक्ट नहीं देखा है. यह अधिकार एक्टिंग नहीं दिया है कि पालिका बोर्ड टैक्स में रियायत दे सके. चुनाव में चंद वोट पाने के लिए ऐसा प्रोपेगेंडा अपनाया जा रहा है. निश्चित रूप से यह वोट हासिल करने के लिए एक जुमलेबाजी है. चुनाव के बाद जनता ऐसे लोगों को माफ नहीं करेगी.
वहीं, बीजेपी प्रत्याशी एवं भाजपा जिला उपाध्यक्ष प्रवीण अग्रवाल ने कहा कि यह राज्य सरकार की पॉलिसी होती है. हाउस टैक्स और वॉटर टैक्स कम करना. यदि हाउस टैक्स और वाटर टैक्स ज्यादा आता है तो हम पॉलिसी के तहत राज्य सरकार के अंदर करते हैं. जहां तक घटाने की बात है तो नगरपालिका बोर्ड को टैक्स घटाने का अधिकार नहीं है.