सुलतानपुर: बेसिक शिक्षा विभाग के क्वालिटी कंट्रोलर पद के इंटरव्यू में अभ्यर्थियों से धन उगाही करने वाले मुन्ना भाई के नाम से चर्चित वित्त एवं लेखाधिकारी के खिलाफ दूसरा मुकदमा दर्ज किया जा रहा है. अभ्यर्थियों की शिकायत पर मुख्य विकास अधिकारी की तरफ से कराई गई जांच में दोषी मिलने पर सीडीओ ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है. अभियोग पंजीकरण की आहट मिलते ही बीएसए ऑफिस में बैठे लेखाधिकारी वाहन पर बैठकर फरार हो गए थे. मुख्य विकास अधिकारी के आदेश पर यह मुकदमा पंजीकृत किया गया है.
पूरा मामला योगी सरकार के निर्देश पर बेसिक शिक्षा विभाग में शुरू हुए क्वालिटी नेटल पद के इंटरव्यू से जुड़ा हुआ है. विकास भवन में 16 नवंबर को यह इंटरव्यू आयोजित किया गया था. जिसमें मुख्य विकास अधिकारी अंकुर कौशिक के साथ बेसिक शिक्षा अधिकारी और दो अन्य अफसर साक्षात्कार के लिए लगाए गए थे. वित्त एवं लेखाधिकारी राम यश यादव को अभिलेखों की जांच के लिए पर लगाया गया था.
विभागीय जानकारों का कहना है कि जब लेखाधिकारी को यह जानकारी हो गई कि अमुक अभ्यर्थी मेधावी है और उसका चयन होना है. तो उन्होंने उसका फोन नंबर लेकर पैसा मांगना शुरू कर दिया. चयन कराने के नाम पर धन उगाही का प्रकरण शिकायत के बाद मुख्य विकास अधिकारी को मामला संज्ञान में आया. जिसके बाद उन्होंने पूरे मामले की जांच जिला विकास अधिकारी को सौंप दी. मामले में लंबी पड़ताल के बाद पूरा गड़बड़झाला सामने आया है.
48 पदों के लिए हुए साक्षात्कार में 15 लोगों का चयन इंटरव्यू के माध्यम से किया जाना था. जिसमें प्रदेश के कई जिलों के अभ्यर्थी शामिल हुए थे. पूरे मामले में वित्त एवं लेखाधिकारी राम यश यादव के भ्रष्टाचार की पोल खुल गई है. मुख्य विकास अधिकारी के आदेश पर एबीएसए धनपतगंज नगर कोतवाली में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराने का आह्वान किया है. कार्रवाई से शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है.
मुख्य विकास अधिकारी अंकुर कौशिक ने बताया कि साक्षात्कार में फोन पर पैसा मांगने का मामला सामने आया था. जिस पर जिला विकास अधिकारी को जांच सौंपी गई थी. जांच में प्रथम दृष्टया आरोप सत्य मिलने पर मुकदमा दर्ज कराने की कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है. 2 अभ्यर्थियों की शिकायत पर यह जांच कराई गई थी.
मुकदमा दर्ज: जांच के बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत नगर कोतवाली में मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया है. नगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज होने के बाद लेखा अधिकारी भूमिगत हो गए हैं. मुख्य विकास अधिकारी के आदेश पर यह मुकदमा पंजीकृत किया गया है.