सुलतानपुर : आमतौर पर दीपावली से पहले रामलीला का मंचन हम सभी ने देखा और सुना है. वहीं कुछ स्थानों पर दीपावली के बाद भी रामलीला का आयोजन किया जाता है. रामलीला आयोजन की धार्मिक दृष्टिकोंण से अपनी अलग मान्यता है. इसी क्रम में दीपावली के बाद आयोजित होने वाली सुलतानपुर जिले की रामलीला काफी प्रचलित है.
जिले में दीपावली के बाद आयोजित होने वाली रामलीला का सुभारंभ हो चुका है. इस रामलीला की खास बात यह है कि इसमें प्रबुद्ध वर्ग के अधिकतम लोग भाग लेते हैं. रामलीला मंचन में स्थानीय विद्यालयों के शिक्षक विभिन्न रूपो में प्रतिभाग करते हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि मंचन के दौरान भगवान राम, रावण और हनुमान के चरित्र का रोल शिक्षक करते हैं. वहीं मंचन के दौरान डीआईजी सुभाषचंद्र दुबे काव्य पाठ करते हैं. लोग बताते हैं कि रामलीला मंचन में अंगद और महाराजा दशरथ के मंत्री सुमंत्र की भूमिका डीआईजी सुभाष चंद्र अदा करते हैं.
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लोग बताते हैं कि आईपीएस बनने के पहले से ही डीआईजी सुभाष चंद्र रामलीला मंचन में भाग ले रहे हैं. डीआईजी सुभाषचंद्र दुबे इन दिनों वाराणसी में तैनात हैं. सुलतानपुर जिले की यह अनोखी रामलीला प्रदेश भर में चर्चित है. इस रामलीला का आयोजन सनातन धर्म रामलीला समिति द्वारा कराया जाता है. वर्ष 1983 से यह समिति रामलीला मंचन का आयोजन कर रही है. इस अनोखी रामलीला की शुरूआत जनपद के लंभुआ तहसील क्षेत्र के गांव दूल्हापुर से शुरू होती है.
रामलीला में कौशल्या की भूमिका निभा रहे शिक्षक विश्वनाथ मिश्र बताते हैं कि बीते 40 साल से इसका आयोजन हो रहा है. वहीं राम का अभिनय करने वाले राहुल मिश्र ने बताया कि पिछले 35 साल से वह रामलीला में प्रतिभाग कर रहे हैं.
रामलीला मंचन कमेटी के अध्यक्ष रवींद्र सिंह ने बताया कि हरिशयनी एकादशी से भगवान का जागृत समय माना जाता है. राष्ट्र के कल्याण और उत्थान के लिए रामलीला मंचन का आयोजन किया जाता है. जिसमें स्थानीय लोगों की बड़ी भूमिका होती है. रामलीला में शिक्षित लोग प्रतिभाग करते हैं.
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