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भारत का अनूठा दुर्गा पूजा महोत्सव, जो सुलतानपुर को देता है अलग पहचान

पूरे भारत में सुलतानपुर के दुर्गा पूजा महोत्सव को सबसे अलग स्थान मिला हुआ है. यहां रावण दहन के साथ दुर्गा पूजा महोत्सव की शुरुआत होती है और पूर्णिमा तक यह मेला चलता है. इसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है.

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Published : Oct 9, 2019, 1:30 PM IST

दुर्गा पूजा महोत्सव कि शुरुआत हो गई है.

सुलतानपुर: भरत मिलाप से शुरू होने वाले दुर्गा पूजा महोत्सव का सिलसिला पूर्णिमा तक चलता है. केंद्रीय पूजा समिति के नेतृत्व में स्थानीय प्रशासन सहयोगी बनता है. गंगा-जमुना तहजीब के तहत हिंदू और मुस्लिम भाई मिल-जुलकर इस महोत्सव को मनाते हैं.

दुर्गा पूजा महोत्सव की शुरुआत हुई.

इसे भी पढ़ें-सुलतानपुर: फाइनेंस कंपनी के स्टेट हेड और प्रबंधक पर ठगी का आरोप, FIR के आदेश

दुर्गा पूजा महोत्सव की शुरुआत

  • रावण दहन के साथ दुर्गा पूजा महोत्सव की शुरुआत होती है.
  • मेले का आरंभ भरत मिलाप से होता है और पूर्णिमा तक चलने वाले इस मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है.
  • इसे देखते हुए प्रशासन और केंद्रीय पूजा समिति व्यापक तैयारी करते हैं.
  • दुर्गा पूजा महोत्सव में दशहरे से मां दुर्गा की प्रतिमाओं के कपाट खुलते हैं.
  • भरत मिलाप से मेला जोर पकड़ता है, जो 13 अगस्त यानि पूर्णिमा तक निर्बाध चलता है.
  • जगह-जगह भंडारे का आयोजन और मां दुर्गा के जगराते होते हैं.

मेले की तैयारियों के मद्देनजर केंद्रीय पूजा समिति अन्य समितियों के साथ बैठक कर चुकी है. प्रशासन भी अपने सहयोगी अधिकारी और कर्मचारियों के साथ बैठक कर इस बारे में तैयारी कर चुका है. प्रशासन के निर्देश पर उनकी इकाइयां काम कर रही हैं. शहर में 145 मंडल लगे हैं, लेकिन विसर्जन के दिन दो से ढाई सौ इसकी संख्या हो जाती है.
-ओम प्रकाश पांडे, केंद्रीय पूजा समिति अध्यक्ष

मेले की तैयारियां लगभग हो चुकी हैं. अग्निशमन विभाग को विशेष निर्देश दिए गए हैं कि वे पंडाल की अगल-अगल सुरक्षा व्यवस्था मुस्तैद रखें.
-एसएन साबत, एडीजी

सुलतानपुर: भरत मिलाप से शुरू होने वाले दुर्गा पूजा महोत्सव का सिलसिला पूर्णिमा तक चलता है. केंद्रीय पूजा समिति के नेतृत्व में स्थानीय प्रशासन सहयोगी बनता है. गंगा-जमुना तहजीब के तहत हिंदू और मुस्लिम भाई मिल-जुलकर इस महोत्सव को मनाते हैं.

दुर्गा पूजा महोत्सव की शुरुआत हुई.

इसे भी पढ़ें-सुलतानपुर: फाइनेंस कंपनी के स्टेट हेड और प्रबंधक पर ठगी का आरोप, FIR के आदेश

दुर्गा पूजा महोत्सव की शुरुआत

  • रावण दहन के साथ दुर्गा पूजा महोत्सव की शुरुआत होती है.
  • मेले का आरंभ भरत मिलाप से होता है और पूर्णिमा तक चलने वाले इस मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है.
  • इसे देखते हुए प्रशासन और केंद्रीय पूजा समिति व्यापक तैयारी करते हैं.
  • दुर्गा पूजा महोत्सव में दशहरे से मां दुर्गा की प्रतिमाओं के कपाट खुलते हैं.
  • भरत मिलाप से मेला जोर पकड़ता है, जो 13 अगस्त यानि पूर्णिमा तक निर्बाध चलता है.
  • जगह-जगह भंडारे का आयोजन और मां दुर्गा के जगराते होते हैं.

मेले की तैयारियों के मद्देनजर केंद्रीय पूजा समिति अन्य समितियों के साथ बैठक कर चुकी है. प्रशासन भी अपने सहयोगी अधिकारी और कर्मचारियों के साथ बैठक कर इस बारे में तैयारी कर चुका है. प्रशासन के निर्देश पर उनकी इकाइयां काम कर रही हैं. शहर में 145 मंडल लगे हैं, लेकिन विसर्जन के दिन दो से ढाई सौ इसकी संख्या हो जाती है.
-ओम प्रकाश पांडे, केंद्रीय पूजा समिति अध्यक्ष

मेले की तैयारियां लगभग हो चुकी हैं. अग्निशमन विभाग को विशेष निर्देश दिए गए हैं कि वे पंडाल की अगल-अगल सुरक्षा व्यवस्था मुस्तैद रखें.
-एसएन साबत, एडीजी

Intro:updated ---–---- स्पेशल पैकेज स्टोरी ---------– शीर्षक : भारत का अनूठा दुर्गापूजा महोत्सव, जो सुल्तानपुर को देता अलग पहचान। एंकर : सुल्तानपुर में भरत मिलाप से शुरू होने वाले दुर्गा पूजा महोत्सव का सिलसिला पूर्णिमा तक चलता है। इसीलिए पूरे भारत में सुल्तानपुर के इस महोत्सव को सबसे अलग स्थान मिला हुआ है। केंद्रीय पूजा समिति के नेतृत्व में स्थानीय प्रशासन सहयोगी बनता है। गंगा जमुनी तहजीब के तहत हिंदू और मुस्लिम भाई मिलजुल कर इस महोत्सव को मनाते हैं।


Body:वीओ : वैसे वैसे तो सामान्य दुर्गा पूजा महोत्सव नवरात्रि से शुरू होता है और विजयादशमी पर समाप्त हो जाता है। लेकिन सुल्तानपुर का दुर्गा पूजा महोत्सव इससे अलग है। यहां रावण दहन के साथ इसकी शुरुआत मानी जाती है और मेले का आरंभ भरत मिलाप से देखा जाता है। पूर्णिमा तक चलने वाले इस मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है। जिसे देखते हुए प्रशासन और केंद्रीय पूजा समिति व्यापक तैयारियां करता है। बाइट : सुल्तानपुर दुर्गा पूजा महोत्सव में दशहरे से मां दुर्गा की प्रतिमाओं के कपाट खुलते हैं। भरत मिलाप से मेला जोर पकड़ता है , जो 13 अगस्त यानि पूर्णिमा तक निर्बाध चलेगा। शाम ढलते ही कपाट खुलते हैं । रात भर दर्शनार्थी जश्न में झूमते हैं। जगह-जगह भंडारे का आयोजन और मां दुर्गा के जगराते यही है। जो सुल्तानपुर को पूरे देश में अलग पहचान देता है। बाइट : मेले की तैयारियों की मदद मद्देनजर केंद्रीय पूजा समिति अन्य समितियों के साथ बैठक कर चुकी है। कहां क्या समस्या आ रही है, क्या जरूरत है इस बारे में विचार विमर्श हो चुका है। प्रशासन भी अपने सहयोगी अधिकारी कर्मचारियों के साथ बैठक कर इस बारे में तैयारी कर चुका है। प्रशासन के निर्देश पर उनकी इकाइयां काम कर रही हैं। शहर में 145 मंडल लगे हैं। लेकिन विसर्जन के दिन 2 से ढाई सौ इसकी संख्या हो जाती है। ओम प्रकाश पांडे, केंद्रीय पूजा समिति अध्यक्ष


Conclusion:बाइट : पुलिस अधीक्षक हिमांशु कुमार के साथ हुई बैठक हो चुकी है। मेले की तैयारियां लगभग हो चुकी हैं । अग्निशमन विभाग को विशेष निर्देश दिए गए हैं कि वे पंडाल के अगल-बगल सुरक्षा व्यवस्था मुस्तैद रखें। एसएन साबत, एडीजी जोन वाइस ओवर : प्रशासन और केंद्रीय पूजा समिति के अलावा नागरिक भी इस मेले को लेकर बहुत जिम्मेदारी से अपना कर्तव्य निर्वहन करते हैं। गंगा जमुनी तहजीब सुल्तानपुर में देखने को मिलती है। इस दौरान हिंदू और मुस्लिम भाई मिलकर इस महोत्सव को संपन्न कराते हैं। आशुतोष मिश्रा सुल्तानपुर 94 15049 256
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