सुलतानपुर: कछुआ तस्करी के लिए चर्चित सुलतानपुर का पकड़ी गांव रोजगार के नए सवेरे से जुड़ रहा है. विकास विभाग के साथ समाजिक संस्थाएं इस गांव में उजाला फैलाने की कवायद कर रही हैं. इस प्रयास के बाद ग्रामीणों को रोजगार की एक नई किरण दिख रही है. पुलिस अधीक्षक डॉ. अरविंद चतुर्वेदी के बदलाव के बयार का असर जिले में अब दिखने लगा है.
कछुआ तस्करी के लिए चर्चित रहा पकड़ी
राष्ट्रीय स्तर पर रेलवे सुरक्षा बल हो या राजकीय रेलवे पुलिस या फिर पश्चिम बंगाल की खाकी. अपराधों के लिए पुलिस यहां हमेशा तांडव मचाती रही है. लोगों को मारने पीटने के साथ मुकदमों को नामजद करने समेत पुलिसिया कार्रवाई चलती रही है, लेकिन पहली बार अपराध पीड़ित पकड़ी को मुख्यधारा से जोड़ने की कवायद सुलतानपुर में शुरू हुई है.
मिल रहा नया सवेरा
स्थानीय शिव कुमारी ने बताया कि हमारे गांव के कुछ लोग आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त थे. रोजगार नहीं था. गांव में साफ-सफाई भी नहीं थी. पुलिस अधीक्षक की पहल के बाद लोगों को रोजगार मिल रहा है. स्वच्छता कार्यक्रम चल रहे हैं.
खाकी का सहारा
स्थानीय गीता ने बताया कि पहले हमारी कोई मदद नहीं करता था. बच्चे या आदमी बीमार हो तो हम कर्ज लेकर किसी तरह इलाज कराते थे, जब से कप्तान साहब आए हैं. हमें इलाज मिलने लगा है. मुफ्त में और रियायती दर पर साफ-सफाई भी हमारे गांव में होने लगी है.
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बच्चों की शिक्षा से जगी उम्मीद
स्थानीय सीमा ने बताया बच्चों को नया जीवन मिला है. हमारे बच्चे भी लिखने-पढ़ने लगे हैं. हमें बहुत खुशी है और अब नया सवेरा दिख रहा है.
बदलाव से मिल रहे संकेत
स्थानीय नागरिक सत्यनारायण सिंह ने बताया कि पहले यहां के नागरिक अपराध में संलिप्त रहते थे, लेकिन अब इन्हें रोजगार मिल रहा है. देश और समाज से जुड़ रहे हैं. स्वयं सहायता समूह मदद करने को आगे आए हैं. बदलाव दिखने लगा है.
विकास के लिए प्रयास जारी
पुलिस अधीक्षक डॉ. अरविंद चतुर्वेदी ने बताया कि किसी अपराध पीड़ित गांव के लिए तीन-चार चीजें विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण होती हैं. स्वास्थ्य के साथ शिक्षा महत्वपूर्ण अवयव है. सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का प्रयास किया जा रहा है. लखनऊ समेत बहुत स्थानों के सामाजिक कार्यकर्ता एनजीओ इस गांव को बदलने में तत्पर हो गए हैं. विकास विभाग की तरफ से भी तमाम स्टाल लगाए जा रहे हैं. योजनाएं चलाई जा रही हैं.